मैं नर्मदा हूं…..
मैं नर्मदा हूं। जब गंगा नहीं थी , तब भी मैं थी। जब हिमालय नहीं था , तभी भी मै थी। मेरे किनारों पर नागर सभ्यता का विकास नहीं हुआ। मेरे दोनों किनारों पर तो दंडकारण्य के घने जंगलों की भरमार थी। पहले मेरे तट पर उत्तरापथ समाप्त होता था और दक्षिणापथ शुरू होता था।…