विशेष संवाददाता, रीवा
संजय गांधी अस्पताल में मनमानी का दौर चालू है। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के निर्देशों का पालन करना भी ठेका कंपनियों उचित नहीं समझती हैं। जिससे एक बार फिर आक्रोश भडक़ाने की स्थिति में है।
बताया गया है कि श्याम शाह मेडिकल कॉलेज अंतर्गत संचालित संजय गांधी अस्पताल एवं सुपर स्पेशलिटी के आउट सोर्स कर्मचारियों के वेतन में मनमानी का दौर जारी है। आउटसोर्स कर्मचारियों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि हमारे वेतन में खासी भिन्नता है। किसी के खाते में 9000 हजार तो किसी खाते में 8000 और किसी खाते में केवल 7000 वेतन आ रही है । इसका मतलब साफ है कि ठेके कंपनी हाइट्स इजाइल आउट सोर्स कर्मचारी का शोषण कर रही है। जिसके चलते अब एक बार फिर आउटसोर्स कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
सबसे अहम तथ्य यह है कि आउट सोर्स कर्मचारियों की मजबूरी पर अस्पताल प्रबंधन पूर्ण तरीके से मूकदर्शक बना हुआ है। हद तो तब हो गई जब अपनी मांगो को लेकर विरोध करने वाले छ: आउटसोर्स कर्मियों को बाहर का रास्ता ठेका कंपनी द्वारा दिखाया गया, बाद में इस मुद्दे के तूल पकडऩे के कारण डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने पांचों कर्मचारियों को कार्य पर वापस रखने के ठेका कंपनियों को निर्देश दिए , पर ठेका कंपनी ने उनके निर्देशों को भी ताक पर रखते हुए उन कर्मचारियों को वापस नहीं लिया गया। आज तक उन छ: कर्मचारियों का वेतन 3 माह से नहीं दिया गया। सच्चाई यह है कि हाइट्स कंपनी और इजाइल कम्पनी के आगे अस्पताल प्रबंधन भी बौना बना हुआ है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि डिप्टी सीएम के निर्देश को जब ठेका कंपनी हाइट्स और इजाइल ने दरकिनार कर दिया है तो अब वह किसकी सुनेगा , यह एक बड़ा सवाल है। इन ठेका कम्पनी की तानाशाही के चलते आज स्थिति यह है कि आउटसोर्स कर्मचारी मजबूरी में इन तानाशाही कंपनियों का विरोध नहीं कर पा रहे , क्योंकि सबको डर है कि शिवेंद्र पाण्डे, विपिन पाण्डे शेष्मणि कुशवाहा, विवेक द्विवेदी, रविकरण वंशल जैसे आउटसोर्स कर्मचारी जैसी हालत न हो जाए। क्योंकि आउटसोर्स कर्मचारियों की कही पर सुनवाई नहीं है।