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पदस्थापना दौरान संचालनालय के नियमों की खूब उड़ी धज्जियां, काउसलिंग में खूब चला जुगाड़ का खेल, जिपं. में उठ सकता है मामला

शिक्षकों की काउसलिंग में खूब की गई मनमानी
काउसलिंग समिति द्वारा शिक्षकों के पक्ष की नहीं हुई सुनवाई
अधिकारी और प्राचार्यों के बदले सहायक शिक्षकों को काउसलिंग समिति में किया गया शामिल

नगर प्रतिनिधि, रीवा

हर नियमों को दर किनार करते हुए गुरूवार के सुबह १० बजे से मार्तण्ड क्रमांक १ में प्राथमिक शिक्षकों की काउसलिंग शुरू हुई। काउसलिंग के दौरान बुधवार के दिन भले ही पीने के पानी और शिक्षकों के बैठने की व्यवस्था न रही हो लेकिन गुरूवार के दिन ऐसी अव्यवस्था देखने को नहीं मिली। फिर भी हर नियमों को रद्दी की टोकरी में डालने का प्रभाव खूब देखने को मिला। इतना ही नहीं काउसलिंग समिति में शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और प्राचार्यों को दर-किनार कर ऐसे तकास शिक्षकों को बैठाया गया था जिन्हें हर खेल खेलने की महारथ हासिल है। काउसङ्क्षलग के समय जानकारी के अभाव में जहां महिला शिक्षक काफी परेशान दिखीं वहीं कुछ शिक्षक अपना जुगाड़ फिट करने में व्यस्थ रहें। हालाकि काउसलिंग में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितता की खनक जिला पंचायत तक पहुंची और यह माना जा रहा है कि जिला शिक्षा अधिकारी को कहीं न कहीं काउसलिंग में हुई अनियमितता का जवाब देना पड़ेगा।
नियमों की हुई अनदेखी
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा कराये गये काउसलिंग में लोक शिक्षण संचालनालय के गाइड लाइनों का पालन नहीं किया गया। लोक शिक्षण संचालनालय का स्पष्ट निर्देश था कि अतिशेष शिक्षकों के काउसलिंग के दौरान उनकी पहली प्राथमिकता उनके संकुल अन्तर्गत आने वाले पदरिक्त स्थानों में दी जाय। अगर संकुल अन्तर्गत विद्यालयों में पद रिक्त नहीं हैं तो इसके बाद विकासखण्ड स्तर और बाद में जिला स्तर विकल्प लिया जाय। लेकिन काउसलिंग में इन बातों का ख्याल नहीं रखा गया और लेन-देन के चक्कर में संचालनालय के सारे निर्देशों को शिथिल कर दिया गया।
पोर्टल के गड़बड़ी के शिकार हुए शिक्षक
बुधवार को और गुरूवार को हुए काउसलिंग में सबसे ज्यादा ऐसे शिक्षक परेशान देखने को मिले जो विज्ञान संकाय के शिक्षक हैं और पोर्टल में फीडिंग कला संकाय में है तथा कला संकाय के शिक्षक होते हुए फीडिंग के त्रुटिबस विज्ञान संकाय में उनका नाम पोर्टल में दिख रहा है। ऐसे शिक्षक काउसलिंग समिति के सामने अपने मार्गसीट सहित अन्य दस्तावेज लेकर गलत फीडिंग होने नाम पर गिड़गिड़ाते रहे लेकिन समिति में बैठे घांग कर्मचारी ऐसे शिक्षकों की एक भी नहीं सुने और मनमानी तरीके से पदस्थापना कर दिये।
डीईओ कार्यालय में बैठे हैं चार काकस
काउसलिंग समिति में अगर २ प्राचार्यों को छोड़ दिया जाय तो शेष जूनियर और प्राथमिक स्कूल के शिक्षक समिति में बैठे देखे गये। डीईओ कार्यालय में ४ ऐसे काकस शिक्षक हमेशा देखने को मिलते हैं जो विद्यालय जाने के बदले डीईओ कार्यालय में बैठकर अपनी दुकान चलाते हैं। डीईओ कार्यालय में हर आने-जाने वालों से उनके काम के संबंध में पूंछते हैं और बाद में मामला सेट करने में लग जाते हैं। यह वह काकस शिक्षक हैं जो शिक्षा विभाग के हर आयोजनों और कार्यक्रम की व्यवस्था बनाते देखे जाते हैं साथ ही साथ शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की भी व्यवस्था बनाने में पीछे नहीं रहते यही कारण है कि अधिकारी अमला विद्यालय न जाने की छूट दे रखा है। ऐसा नहीं है कि नवागत डीईओ किसी बात से वाकिफ नहीं हैं लेकिन इन शिक्षकों के कारनामों से जिला शिक्षा अधिकारी भी खुश हैं।
जिला पंचायत में गूंज सकता है मामला
काउसलिंग में हुई भारी अनियमितता की गूंज जिला पंचायत के जिम्मेदारी अधिकारियों समेत जिला पंचायतों तक पहुंची है। यह माना जा रहा है कि जिला पंचायत के शिक्षा समिति की बैठक में इस मामले को कुछ जिला पंचायत सदस्यों द्वारा जोर-शोर से उठाया जायेगा। अगर मामला उठा और जांच के दायरे तक पहुंचा तो शिक्षा विभाग के कई जिम्मेदार अधिकारी समेत काउसलिंग समिति में बैठे कर्मचारियों पर भी आफत आना तय है।
एक विशेषता मिली देखने को
बुधवार के दिन सहायक शिक्षकों की काउसलिंग जहां निर्धारित समय से काफी देर में शुरू हुई वहीं शिक्षकों के बैठने के लिए न किसी प्रकार व्यवस्था थी और न ही पीने के पानी का इंतजाम किया गया था। इन कमियों का उल्लेख विंध्य भारत अखबार अपने अंक में किया था जिसका नतीजा रहा कि गुरूवार के दिन प्राथमिक शिक्षकेां की काउसलिंग अपने निर्धारित समय सुबह १० बजे से शुरू हो गई और शिक्षकों के बैठने के लिए कुर्सियां और पीने का पानी भी रखा देखने को मिला।

ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक परेशान
ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों से आये शिक्षकों ने बताया कि हम लोगों को पदस्थापना की तरीख से अवगत कराया गया था लेकिन दवा आपत्ति करने संबंधी कोई सूचना नहीं दी गई थी जिसके चलते हम लोग दावा आपत्ति नहीं कर पाये। कई शिक्षकों ने यह भी आरोप लगाया है कि नियमन हम अतिशेष शिक्षक की श्रेणी में नहीं आते लेकिन दावा आपत्ति के तारीख की जानकारी न होने के कारण हम लोग अपना पक्ष नहीं रख पाये और विभागीय लापरवाही की शिकार हो गये। हालाकि ऐसे शिक्षकों द्वारा काउसलिंग समिति के सामने अपने को अतिशेष न होने का दावा प्रस्तुत किया गया लेकिन खाली हाथ अपनी बात रखने वाले शिक्षकों की सुनवाई नहीं हुई। इसी तरह महिला शिक्षिकाएं काफी परेशान नजर आईं क्योकि उन्हें न तो यह मालुम था कि हमें कौन का फार्म भरना है और न ही यह जानती थी कि काउसलिंग के दौरान कौन-कौन से दस्तावेज जमा करने हैं।

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