विश्व-कप में रणतुंगा और डेव व्हाटमोर ने हर खिलाड़ी को एक ख़ास काम दे रखा था। कालूवितरना बल्ला भांजेंगे, गुरुसिंघे गति बनाए रखेंगे, मुरली पहला स्पिन आक्रमण करेंगे, चामिंडा वास के लिए आखिरी ओवर बचाए जाएँगे। अरविंद डिसिल्वा के लिए कोई मास्टरप्लान नहीं था।
शिवेंद्र तिवारी उन्हें रणतुंगा ने सिर्फ इतना कहा, ‘आरा! हम अंत तक शायद थक जाएँ। तुम उस वक्त तक ऊर्जा सँभाल कर रखना और उस दिन शतक जरूर मारना। हमें विश्व-कप दिला देना आरा! तुमसे और कुछ नहीं चाहिए।’ जब 1995 में श्रीलंका की टीम ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट-सीरीज़ हार कर आई थी, तो पूरी टीम…