शिवेंद्र तिवारी 9179259806

जब श्रीलंका , भारत को पूरी तरह निगल गई थी , बहुत बुरी तरह से भारत को निचोड दिया था श्रीलंका के खिलाड़ियों ने , उस सीरीज़ के रिकॉर्ड हर भारतीय फेन भुला देना चाहता है ..
शारजाह 2000 जब श्रीलंका ने भारतीय क्रिकेट को ‘खा’ लिया!
दोस्तों, भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ हार ऐसी होती हैं जो सालों तक चुभती रहती हैं।
अक्टूबर 2000 में शारजाह में हुई ‘कोका-कोला चैंपियंस ट्रॉफी’ त्रिकोणीय श्रृंखला एक ऐसी ही दर्दनाक कहानी है, जिसे सुनकर आज भी हर भारतीय फैन सिहर उठता है।
सौरव गांगुली की कप्तानी में नई-नई बदलाव से गुजर रही भारतीय टीम के लिए यह टूर्नामेंट किसी बुरे सपने से कम नहीं था, जहाँ श्रीलंका की टीम मानो आग उगल रही थी।
श्रीलंका ने हमें न सिर्फ फाइनल में हराया, बल्कि पूरी सीरीज में तीन बार धूल चटाई। यह दिखाता है कि भारतीय टीम का प्रदर्शन किस कदर निराशाजनक रहा था।
लीग स्टेज में ही श्रीलंका ने अपने घातक इरादे दिखा दिए थे। यह वह सीरीज थी जहाँ श्रीलंका के दो धुरंधरों—मरवन अटापट्टू और महेला जयवर्धने—ने भी अपने शतकों से भारतीय गेंदबाजों को खूब परेशान किया था।
अटापट्टू ने शानदार तरीके से बल्लेबाजी करते हुए नाबाद 102 रन बनाए थे, जबकि महेला जयवर्धने ने 123 गेंदों में 128 रनों की धुआँधार पारी खेली थी। इन दोनों के शतकों की बदौलत श्रीलंका ने भारत के सामने 294 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था।
और इसी मैच में, मुरलीधरन ने अपने जादुई स्पिन से भारतीय बल्लेबाजों को घुटनों पर ला दिया था। मुरली ने उस दिन केवल 30 रन देकर 7 विकेट झटके थे! यह भारत-श्रीलंका वनडे मुकाबलों में आज भी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी प्रदर्शन का रिकॉर्ड है। उनके इस घातक स्पेल ने हमें 226 पर ऑल आउट कर दिया था, और श्रीलंका ने यह मैच 68 रन से जीता था। यह तो बस आने वाले तूफान की आहट थी।
और फिर आया फाइनल… 29 अक्टूबर 2000 ..
श्रीलंका ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। इसके बाद जो हुआ, वह इतिहास बन गया – मगर भारत के लिए एक शर्मनाक रिकॉर्ड के तौर पर।
कप्तान सनथ जयसूर्या ने शारजाह के मैदान पर जो तूफ़ान लाया, उसे शब्दों में बयाँ करना मुश्किल है।
जयसूर्या ने 161 गेंदों में 21 चौकों और 4 छक्कों की मदद से एक ऐसी पारी खेली कि भारतीय गेंदबाज़ी लाइन-अप बिखर गई।
189 रन की वह धुआँधार पारी उस समय वनडे क्रिकेट के इतिहास में तीसरा सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर था।
रसेल अर्नोल्ड के 52 रनों के साथ मिलकर, जयसूर्या ने श्रीलंका का स्कोर 5 विकेट पर 299 रन तक पहुंचा दिया। भारत के सामने 300 रनों का विशाल लक्ष्य था।
इसके बाद तो भारतीय टीम पर मानो किसी की नज़र लग गई।
बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम को लगा जैसे साक्षात काल उनका इंतजार कर रहा है।
चमिंडा वास ने अपने शानदार स्विंग से टॉप आर्डर को चीर कर रख दिया।
वास ने अपनी घातक गेंदबाजी से केवल 14 रन देकर 5 विकेट लिए और भारतीय पारी की कमर तोड़ दी।
पूरी भारतीय टीम… पूरी टीम… 54 रनों के स्कोर पर ऑल आउट हो गई।
जी हाँ, केवल 54 रन!
यह उस समय वनडे क्रिकेट में भारत का सबसे कम स्कोर था। रॉबिन सिंह के 11 रन ही एकमात्र दहाई अंक का स्कोर था। श्रीलंका ने यह फाइनल 245 रनों के बड़े अंतर से जीता, जो उस समय वनडे इतिहास में रनों के लिहाज़ से उनकी सबसे बड़ी जीत थी।
जयसूर्या को ‘मैन ऑफ द मैच’ और ‘मैन ऑफ द सीरीज’ चुना गया।
वह सीरीज एक बदलाव के दौर से गुजर रही भारतीय टीम के लिए एक कड़वा सबक थी।
श्रीलंका ने हमें बल्लेबाजी, गेंदबाजी और यहाँ तक कि रिकॉर्ड बनाने में भी ‘खा’ लिया था।
उस शारजाह सीरीज की यादें आज भी यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या सचमुच उस दिन भारतीय टीम खेलने उतरी थी, या श्रीलंका के शेरों ने उन्हें मैदान पर ही ‘खा’ लिया था!
वाह रे श्रीलंका, क्या खेल दिखाया था!
लेकिन यह बस भारत की नयी शुरुआत थी , इसके कुछ ही दिन पहले ICC knockout ट्रॉफी हुई
वहाँ भारत ने ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसी मज़्बूत टीमों को पटखनि दी ..
क्या आपको यह सीरीज़ याद है ? बताइए ..
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Vindhya bharat