सतना के लाल अब नहीं रहे…
जननेता कभी भी बनाए नहीं जाते। वो माटी की धूल फांकते हुए, संघर्षों की भट्ठी में तपते-गलते हैं और समय के कपाल पर प्रहार कर— चमक उठते हैं। ऐसे ही थे तीन बार सतना के विधायक रहे शंकरलाल तिवारी। नई पीढ़ी में जो उनके ज्यादा निकट था। वो उन्हें आत्मीयता के साथ बाबू कहकर ही…