शिवेंद्र तिवारी 9179258906

जब मैदान में वह दौड़ते थे तो विरोधी बल्लेबाज़ ‘सीधा खड़ा नहीं रह पाते थे’।
डेब्यू टेस्ट: 29 जनवरी 1971 — और अंतिम टेस्ट: 2 जनवरी 1984।
टेस्ट करियर: 70 मैच, कुल 355 विकेट — उनकी धारदार गेंदबाज़ी का परिचय।
औसत: 23.92 — हर विकेट पर दर्द और डर का संदेश।
वनडे करियर: 63 मैच, 103 विकेट, औसत 20.82 — छोटा फॉर्मेट में भी जिंदादिल कहर।
उनके नाम 23 बार पाँच विकेट और 7 बार दस विकेट; सर्वश्रेष्ठ 7/83, सर्वश्रेष्ठ मैच: 11/123
लिली के जोड़ीदार थे Jeff Thomson और वोह भी बेहद तेज़ गेंदबाज़ थे । इस जोड़ी का ऐसा आतंक था जिसने बल्लेबाज़ों की रातों की नींद उड़ा दी थी ।
किसी के लिए वो सिर्फ़ गेंदबाज़ नहीं थे, वो एक मकसद से खेलते थे, विरोधी को मानसिक रूप से तोड़ने का मक़्सद ।
लिली जवान थे, लडाकू थे, और मैदान पर उनकी झुंझलाहट अक्सर आग में बदल जाती।
उनके किस्से सिर्फ़ विकेट लेने के नहीं, विवादों और भी कई किस्से हैं जो अब क्रिकेट की लोककथा बन चुके हैं।
सबसे मशहूर किस्सा 1979 में WACA, पर्थ — डेनिस ने एल्यूमिनियम (ComBat) बल्ला उठाया और विवाद खड़ा कर दिया।
विकट मैच और मीडिया ने उस घटना को तूल दिया विपक्षी और दर्शक दोनों हैरान रह गए
लिली ने बैट बदला, इंग्लैंड के खिलाफ खेल में इस्तेमाल किया, और इंग्लैंड और अंपायरों ने नाराज़गी जताई ।
दूसरा काला अध्याय है जावेद मियाँदाद के साथ वह नज़दीकी टकराव , 1981 पर्थ टेस्ट में दोनों के बीच कहासुनी और शरीरिक टकराव जैसे पल भी देखें गए।
मीडिया पर तस्वीरें और क्लिप आईं मियाँदाद ने बल्ला उठाया, कुछ देर के लिए मैच का माहौल बदल सा गया।
सच यही है कि मैदान में दोनों का गुस्सा और प्रतिष्ठा की रक्षा ने चीज़ों को गरमा दिया, पर कोई बड़ा घातक हमला नहीं हुआ।
लिली पर ‘गुस्सैल’ लेबल आया, पर यही गुस्सा कई मौकों पर टीम के लिए जीत का कारण भी बना।
1973 में उनकी रीढ़ की चोट ने करियर को almost खतरे में डाल दिया प्लास्टर कास्ट में गुज़रे कुछ महीने।
फिर भी वह लड़े, फिट हुए, लौटे और रिकॉर्ड बनाए — इन जुझारूपन की वजह से ही वे महान बने।
उनकी गेंदबाज़ी में सिर्फ़ गति नहीं; बदलाव, स्नर और एक तरह की ‘मानसिक युद्धनीति’ भी थी।
1984 तक उन्होंने Lance Gibbs का रिकॉर्ड तोड़ कर टेस्ट विकेटों का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
उस रिकॉर्ड ने उन्हें उस दौर का सबसे बड़ा तेज़ गेंदबाज़ बना दिया, जिसे लोग आज भी याद करते हैं।
लिली हर ओवर में दर्शकों को एन्जॉए करने आते थे।
एक बार किसी ने कहा कि ‘लिली की आँखों में हमला पहले से दिख जाता था’ और अक्सर सच निकलता था।
उनके और Thomson के जोड़ी ने कई batting line-ups को तोड़ दिया ।
क्रिकेट के मैदान पर उनकी ‘लड़ाकू’ छवि सिर्फ़ विरोधियों तक सीमित नहीं थी — टीम मैनेजमेंट को भी संभालना पड़ता था।
ऐसे किस्सों में एक और था जहाँ उनका आक्रामक व्यवहार अंपायरों और विपक्ष के साथ टकराया ।
उनकी एक spell की आवाज़ आज भी पुराने दर्शकों के दिल में गूंजती है — ‘धमाकेदार, निर्दय, पर असरदार’।
फर्स्ट क्लास में 198 मैच और 882 विकेट — एक लंबा और निरंतर करियर।
वन-डे में भी उनके नाम 5/34 जैसा बेहतरीन प्रदर्शन है — हर फॉर्मैट में खतरनाक थे।
उनकी खास बात थी संकट में आकर भी लिली का आत्मविश्वास घटता नहीं था , यही उनकी ‘लड़ाकू’ छवि को परिभाषित करता है।
ICC हॉल ऑफ फ़ेम में उनका नाम दर्ज है — उनकी काबिलियत की अंतरराष्ट्रीय मान्यता।
उनके नाम पर बने स्टैच्यू, संग्रहालय में बट, और पुरानी तस्वीरें सब यह बताते हैं कि लिली सिर्फ़ खिलाड़ी नहीं, एक मिथक भी थे।
अलग-अलग लोगों की राय अलग होगी — पर आँकड़े, किस्से और तस्वीरें मिलकर एक सच्ची तस्वीर देते हैं।
पर फेसबुक पर ये बात बस इतनी कहूँगा — डेनिस लिली ने क्रिकेट को ‘थरथराहट’ और ‘जंग’ दोनों सिखाये।
वह तेज़ थे इसलिए खतरनाक, और लडाकू इसलिए अविस्मरणीय।
उनके किस्से — जैसे ComBat या Miandad टकराव — विवादास्पद हैं, पर सच्चे हैं और खेल के इतिहास का हिस्सा भी।
आज के युवा शायद समझें न, पर पुराने फैन्स उनकी हर चाल याद रखते हैं।
उनकी दीवार-सी धाकड़ छवि ने ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ों की परंपरा को परिभाषित किया।
और जब भी कोई तेज़ गेंदबाज़ बोलता है, पुराने दिमाग़ों में लिली का नाम अपने आप आता है।
ये पोस्ट उनके नाम — उन पलों के लिए जिन्होंने दर्शकों की साँसें रोकीं और रिकॉर्डों को हिला दिया।
डेनिस लिली: विवादों का योद्धा, विकेटों का शेर, और मैदान का नाटकबाज़।
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Shivendra tiwari