बाथरूम में गए थे और वहीं पर लगा ली फांसी
विंध्यभारत, रीवा
संजय गांधी अस्पताल के बर्न यूनिट में मेडिकल आफीसर के पद पर पदस्थ एक चिकित्सक ने आत्मघाती कदम उठा लिया। घर पर ही फंदे पर झूलकर जान दे दी। इस घटना ने पूरे अस्पताल के चिकित्सकों को हिला कर रख दिया है। आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है।
संजय गांधी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज रीीवा के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। यहां कुछ न कुछ बड़बड़ ही चल रही है। आए दिन कोई न कोई कांड हो रहा। इन कांडों से राहत नहीं मिल पा रही है। अभी तक यहां मरीजों की ही जान जा रही थी। वहीं आत्महत्या कर रहे थे लेकिन यह साया अब डॉक्टरों पर भी मंडराने लगा है। संजय गांधी अस्पताल के बर्न यूनिट में मेडिकल आफिसर के पद पर पदस्थ डॉ प्रवेश श्रीवास्तव ने शनिवार की देर शाम अपने घर पर आत्मघाती कदम उठा लिए। इसकी जानकारी जैसे ही हुई हडक़ंप मच गया। शव का पीएम के बाद अंतिम संस्कार बंदरिया मुक्तिधाम में किया गया है।
पिछले चार सालों से थे पदस्थ
डॉ प्रवेश मिलनसार थे। वह पिछले चार सालों से एसजीएमएच के बर्न यूनिट में सेवाएं दे रहे थे। वह प्रमोशन को लेकर जरूर थोड़ी टेंशन में चल रहे थे। उनके हाव भाव से हालांकि इसकी भनक किसी को नहीं लगी कि वह इस तरह के कदम भी उठा लेंगे। उनकी उम्र भी ज्यादा नहीं थी। वर्न यूनिट में सभी कर्मचारियों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं।
खाना खाने के पहले बाथरूम गए थे
सूत्रों की मानें तो कॉलेज चौराहा के पास ही डॉ प्रवेश का अपना खुद का मकान है। घर पर माता पिता के साथ रहते थे। एक छोटी बहन थी।उसकी शादी हो चुकी थी। शनिवार की शाम को वह खाना खाने के पहले बाथरूम गए लेकिन लंबे समय बाद भी बाहर नहीं निकले। परिजनों ने जब दरवाजा खोला तो वह फंदे से लटकते मिले।
यह बजह बताई जा रही
डॉ प्रवेश श्रीवास्तव की मौत की दो वजहें बताई जा रही है। हालांकि यह दोनों ही वजहें पारिवारिक और मानसिक परेशानी से जुड़ी हुई हैं। एक मामला उनसे ही जुड़ा हुआ था। वह मांगलिक बताए जाते थे। उनका इसकी वजह से विवाह भी नहीं हो पा रहा था। वहीं दूसरा कारण पीजी करना चाह रहे थे। दो साल से परीक्षा नहीं निकल पा रही थी। यह कारण साथ में काम करने वालों के हैं। वास्तविक कारण स्पष्ट नहीं है। पुलिस जांच में जुटी है। जांच में ही असल वजह सामने आएगी।
एसजीएमएच पर लग गया ग्रहण
मेडिकल कॉलेज और संजय गांधी अस्पताल पर मानों पिछले कुछ दिनों से श्राप सा लग गया। यहां वह सारी घटनाएं हो रही जो रुकी हुईं थी। ढ़ाई साल बाद अचानक संजय गांधी अस्पताल फिर से सुसाइड प्वाइंट बन गया। अस्पताल से डॉक्टर भी नौकरी छोडक़र भागने लगे। अब तो डॉक्टरों की मौत भी होने लगी है। कुल मिलाकर पूरे प्रदेश में ही स्वास्थ्य सुविधाओं पर ग्रहण लग गया है। सिर्फ बजट खर्च हो रहा लेकिन हालात बदतर हो रहे हैं। रीवा के लिए नए डीन डॉ सुनील अग्रवाल भी शुभ साबित नहीं हुए हैं। उनके आने के बाद हालात बदतर हुए हैं।