डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का आश्वासन भी नहीं आया काम
विज्ञान विषय को नई शिक्षा नीति में कर दिया गया है अंतिम नंबर पर
शिक्षिकाओं ने दो टूक शब्दों में कहा -परिवार छोडक़र बाहर नहीं जाएगी
विशेष संवाददाता, रीवा
आज जिला शिक्षा कार्यालय के दफ्तर में लगातार हंगामा की स्थिति बनी रही। काउंसलिंग के लिए पहले तो महिलाएं आई लेकिन जब वहांकी स्थितिया देखी तो काउंसलिंग का बहिष्कार कर दिया। इन महिला शिक्षिकाओं का आरोप था कि विज्ञान विषय को अब विभाग द्वारा अंतिम श्रेणी का बताया जाकर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है। इस मामले को लेकर गत दिवस इन महिला शिक्षिकाओं ने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला से भी मुलाकात की थी और उन्होंने आश्वस्त किया था कि महिला शिक्षिकाओं को जिले से बाहर नहीं भेजा जाएगा लेकिन अब यहां पर महिला शिक्षिकाओं को सीधी और सिंगरौली जिले के दूरस्थ स्थानों पर माध्यमिक विद्यालयों में भेजने की रणनीति बनाई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि जब इन शिक्षिकाओं की भर्ती हुई थी तब विज्ञान पद विभाग के अनुक्रम में प्रथम नंबर पर रखा गया था लेकिन नई शिक्षा नीति आने के बाद पहले अनुक्रम में अब गणित विषय को डाल दिया गया है जबकि विज्ञान को सबसे अंतिम में कर दिया गया है। सरकार की नीति यह है कि जहां पर बच्चे काम है वहां पर गणित शिक्षक के शिक्षक ही विज्ञान विषय का अध्यापन कार्य संपादित कर देंगे। ऐसे में रीवा जिले की 57 शिक्षिकाओं को अतिशेष की श्रेणी में डाल दिया गया है। इसके लिए संभाग स्तर पर काउंसलिंग की बात कही गई थी। लगातार काउंसलिंग का दौर चल रहा है। अब जब शिक्षिकाओं को यह पता चला कि रीवा जिले के सारे पद भर दिए गए हैं और उन्हें सीधी और सिंगरौली भेजा जाएगा तो उन्होंने अपना विरोध करना शुरू कर दिया।
बताया गया है कि इसी मुद्दे को लेकर आधा सैकड़ा से ज्यादा शिक्षिकाओं ने गत दिवस प्रदेश की डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला से भी मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताई थी। उनकी समस्या सुनने के बाद डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने भी आश्वासन दिया था कि रीवा जिले की कोई भी शिक्षिका बाहर नहीं जाएगी। जिससे शिक्षिकाएं प्रसन्न थी। लेकिन आज जब वह काउंसलिंग के दौर में पहुंची तो उन्हें पता लगा कि सभी शिक्षिकाओं को सीधी और सिंगरौली जिले में पदस्थ किया जाना है। यह जानकारी मिलते ही शिक्षिकाओं ने हंगामा शुरू कर दिया और पूरी काउंसलिंग का बहिष्कार कर दिया है। विभाग के अधिकारी भी हैरान थे कि आखिर वह इस स्थिति में अब क्या करें।
इस मामले में एक शिक्षिका ने बताया है की गत दिवस डिप्टी सीएम ने आश्वासन दिया था कि अप्रैल तक कोई रद्दो बदल नहीं होगा जो जहां है वही अध्यापन का कार्य करवाएगा। लेकिन यहां पर उल्टा हो रहा है। उधर अधिकारियों का कहना है कि जब तक कोई विभागीय आदेश नहीं आ जाता उनके हाथ बंधे हुए। इस मामले में चर्चा करते हुए शिक्षिकाओं ने आरोप लगाया है कि रीवा जिले की महिलाओं को रीवा से बाहर भेजा जा रहा है प्रशासन को चाहिए कि अब पद जनरेट करें। इन महिलाओं का कहना था कि परिवार को और बच्चों को छोडक़र वह यहां से नहीं जाएगी, ऐसा हम लोगों ने प्रण कर लिया है। हम अपने परिवार के लिए ही नौकरी करते हैं। इस दौरान यह भी कहा गया कि विज्ञान के विषय के साथ विभाग का बर्ताव सही नहीं है जब बच्चे विज्ञान विषय नहीं पढ़ेंगे तो कोई डॉक्टर और वैज्ञानिक कैसे बन पाएगा जब विज्ञान का पद नहीं था तो पहले काउंसलिंग क्यों कराई थी और नियुक्ति क्यों दी थी शिक्षकों के साथ ही ऐसी गति होगी तो नए भारत का निर्माण कैसे होगा।
उधर काउंसलिंग का बहिष्कार करने वाली एक शिक्षिका ने कहा कि विज्ञान गणित विषय के शिक्षकों की एक साथ भर्ती हुई थी। लेकिन अब विज्ञान का पद ही समाप्त कर दिया गया। विज्ञान को पांचवें अनुक्रम में रख दिया गया है । पहले नंबर पर गणित को रखा गया है जबकि दूसरे क्रम में भाषा तीसरे नंबर पर सामाजिक विज्ञान, चौथे क्रम में संस्कृत और पांचवें क्रम पर विज्ञान विषय को स्थान दिया गया है। इनका दावा है की गणित विषय के शिक्षक विज्ञान का विषय पढ़ा ही नहीं पाएंगे।
इस मामले को लेकर विभाग के अधिकारियों में भी हैरानी की स्थिति बनी हुई है। उच्च स्तर से कोई मार्गदर्शन दिया नहीं जा रहा है जिससे वह परेशान है। उधर काउंसलिंग के बहिष्कार की सूचना विभाग के आला अधिकारियों को दे दी गई है। अल्बर्टा इन सभी शिक्षिकाओं ने अंतिम स्तर पर बातचीत के दौरान यही कहा कि वह किसी कीमत पर रीवा जिले से बाहर नहीं जाएगी।