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तीन मुख्यमंत्रियों तक पहुंची आयुष्मान कैशलेस योजना की फाइल, स्थिति जस की तस- 6 साल से योजना का इंतजार कर रहे हैं शासकीय कर्मचारी

नगर प्रतिनिधि, रीवा

कर्मचारी 6 साल से आयुष्मान कैशलेस स्वास्थ्य योजना का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कर्मचारी अभी भी इंतजार में हैं।
6 साल बाद भी आयुष्मान कैशलेस स्वास्थ्य योजना का इंतजार कर रहे हैं। यह योजना 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के शासनकाल में घोषित की गई थी, लेकिन आज तक यह योजना कर्मचारियों तक नहीं पहुंच पाई है। तीन मुख्यमंत्रियों (कमलनाथ, शिवराज सिंह चौहान और मोहन यादव) के पास यह योजना फाइल के रूप में पहुंची, लेकिन कर्मचारियों को केवल आश्वासन ही मिला। मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
इस स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे में शासकीय कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, शिक्षक संवर्ग और नगर सैनिक के अलावा राज्य की स्वशासी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी शामिल थे। इसके अलावा यह योजना निगम मंडलों में काम करने वाले कर्मचारियों और अखिल भारतीय सेवा के कर्मचारियों के लिए विकल्प के तौर पर रखा गया है।
अभी इस व्यवस्था पर हो रहा है काम
वर्तमान में कर्मचारियों के इलाज की व्यवस्था कुछ इस प्रकार है। जब कर्मचारी इलाज कराते हैं, तो उन्हें खर्च की हुई राशि का रिम्बर्समेंट कराने के लिए अपने विभाग में आवेदन करना होता है। इसके लिए पहले डॉक्टर, मेडिकल बोर्ड या डायरेक्टर हेल्य और मेडिकल एजुकेशन से मंजूरी प्राप्त करनी होती है।
अगर कर्मचारी अस्तपताल में भर्ती होकर इलाज कराते हैं, तो ऐसे में उन्हें 5 लाख रुपये तक के क्लेम की मंजूरी संभागीय स्तर के सरकारी अस्पताल के डीन की अध्यक्षता में बनी कमेटी की ओर से जाती है। यदि क्लेम 5 लाख से अधिक और 20 लाख रुपये तक होता है, तो इस मामले में संचालक स्वास्थ्य सेवाओं की अध्यक्षता में बनी कमेटी रिम्बर्समेंट को मंजूरी देती है।
यदि कर्मचारी भर्ती नहीं होते, तो वे या उनके परिजन बाह्य रोगी के रूप में इलाज कराते हैं। इसका मतलब है कि अस्पताल में दिखाया जाता है और फिर लौट आते हैं। इस स्थिति में एक साल में अधिकतम 20 हजार रुपये का रिम्बर्समेंट होता है। यदि इलाज निरंतर चल रहा हो, तो तीन माह में 8000 रुपये से अधिक का रिम्बर्समेंट नहीं किया जा सकता है। इसके लिए जिला मेडिकल बोर्ड की मंजूरी जरूरी होती है।
कांग्रेस सरका ने बनाई थी कैशलेस इलाज की योजना
यह योजना 6 साल पहले 2019 में कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक में मंजूर की गई थी। उस समय यह योजना 1 अप्रैल से लागू होने वाली थी और प्रदेश के सभी कर्मचारियों को इसका लाभ मिलने वाला था। इसके साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी इस योजना में शामिल किया गया था। योजना के तहत साधारण बीमारियों के लिए 5 लाख रुपए और गंभीर बीमारियों के लिए 10 लाख रुपए तक कैशलेस इलाज की सुविधा देना था इस स्वास्थ्य बीमा योजना के दायरे शासकीय कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, शिक्षक संवर्ग और नगर सैनिक के अलावा राज्य की स्वशासी संस्थाओं में भी इश्का लाभ मिलना है।

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