महीनों से खराब थी तबियत, जबलपुर, बांधवगढ़ तथा रीवा के चिकित्सकों के देख-रेख में चल रहा था इलाज
लगातार हो रही बाघों की मौत चिंताजनक
संजय टाईगर रिजर्व का बाघ शिकारियों को हुआ शिकार, आरोपी पकड़ से बाहर
विंध्यभारत, रीवा
संजय टाईगर रिजर्व में करंट लगने से दो दिन पहले एक बाघ की मौत हो गई थी। वहीं विश्व की पहली ओपन व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में दिल्ली से लाए गए सफेद बाघ टीपू की मंगलवार दोपहर मौत हो गई। टीपू पिछले तीन महीने से बीमार था और गहन चिकित्सा इकाई में उसका उपचार चल रहा था। सतना डीएफओ मयंक चांदीवाल और जू डायरेक्टर रामेश्वर टेकाम ने इसकी पुष्टि की है। मुकुंदपुर जू के डायरेक्टर ने बताया कि 11 वर्षीय नर सफेद बाघ टीपू की तबीयत कुछ महीनों से खराब थी। जू के पशु चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता लगातार उसका इलाज कर रहे थे। इसके अलावा जबलपुर, रीवा और बांधवगढ़ के विशेषज्ञ डॉक्टर भी उसकी जांच और उपचार में शामिल थे।
आईसीयू में इलाज के दौरान गई जान
पिछले एक सप्ताह से उसकी हालत और बिगड़ गई थी, जिसके बाद उसे आईसीयू में रखा गया। मंगलवार दोपहर 1:54 बजे टीपू ने अंतिम सांस ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रारंभिक कारण क्रॉनिक किडनी फेल्योर सामने आया है। बाघ के अंगों के सैंपल जांच के लिए सुरक्षित रखे गए। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में शवदाह की प्रक्रिया पूरी की गई।
अब सफारी में केवल तीन बाघ
मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी वर्ष 2016 में जनता के लिए खोली गई थी। यहां शुरुआत में मादा बाघिन विंध्या लाई गई थी, जिसके बाद राधा, रघु, सोनम और मोहन आए। 2023 में दिल्ली से टीपू को लाया गया था। विंध्या और राधा की पहले ही मौत हो चुकी है। अब टीपू की मौत के बाद सफारी में केवल रघु, सोनम और मोहन बचे हैं।
अधिकारियों की मौजूदगी में शवदाह
डॉक्टरों ने बाघ की मौत की कारण को लेकर कहा कि शुरुआती तौर पर मौत की वजह क्रॉनिक किडनी फेल्युअर होना पाया गया. शव परीक्षण के बाद वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सफेद नर बाघ टीपू का शवदाह किया गया. 11 साल के सफेद नर बाघ टीपू की मौत के अब ओपन व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में सिर्फ रघु, सोनम और मोहन बचे हैं. अपनी स्थापना से लेकर अब तक सफारी में 3 सफेद बाघों की मौत हो चुकी है.
जू डायरेक्टर रामेश्वर टेकाम ने बताया कि महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी और जू मुकुंदपुर में रखे गए टीपू के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी. मुकुंदपुर जू के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. नितिन गुप्ता के साथ-साथ जबलपुर एसडब्ल्यूएफएच के डॉ. अमोल रोकड़े, वेटरनरी कॉलेज रीवा की डॉ. कंचन वालवाडकर और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डॉ. राजेश तोमर द्वारा उसका इलाज किया जा रहा था. लेकिन टीपू ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. टीपू का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
शिकारियों ने फैलाया करंट का जाल, बाघ की हुई मौत
यह मामला संजय टाइगर रिजर्व सीधी के दुबरी वन परिक्षेत्र के डेवा पंचायत देवमठ ग्राम का है जहां एक और टाइग्रेस शिकारियों के शिकार व्यवस्था का शिकार हो गई। बताया जा रहा है कि 17 अगस्त 2025 दिन सोमवार के रात लगभग 10 से 11 के बीच खरवर गांव के कुछ लोग दवा कराकर ब्लोरो बाहन से वस्तुआ से लौट रहे थे। जैसे ही वस्तुओं डेवा रोड से खरवर की तरफ टर्न हुए तो देखा कि रास्ते से लगभग 50 मीटर की दूरी पर कुछ जल रहा है। उन्होंने गाड़ी मोड़ कर देखा तो टाइगर जंगल में खूंटी गाडकर फैलाए गए जीआई तार में फंसा हुआ था और जल रहा था। तब इन लोगों द्वारा जंगल विभाग के कर्मचारियों को घटना की सूचना दी गई।
शिकार के लिए जाल फैलाने की पहले भी हो चुकी है शिकायतें
बता दें कि जिस तरह से 11000 वोल्टेज के विद्युत तार से पौधों व खूंटी का उपयोग का लगभग 300 मीटर की दूरी तक जीआई तार फैलाया गया था। वह ऐसा प्रतीत हो रहा था कि आदतन शिकारियों द्वारा छोटे जानवरों के शिकार के लिए तार फैलाया गया था। जिसके चपेट में बाघ आ गया और उसकी मृत्यु हो गई। संयोग रहा की उसी समय वहां से वहां में कुछ लोग वाहन से गुजरे और उनकी नजर वहां तक पहुंच गई।
विभाग के पहुंचने के पहले आरोपी हो गए फरार
फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों को सूचना करने के बाद आरोपी पकड़े जाने के डर से वहां से फरार हो गए। पेड़ तथा खूंटी में जिस तरह व्यवस्थित ढंग से तार बांधा गया था ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि शिकारियों द्वारा अक्सर शिकार के लिए यह तार फैलाया जाता रहा होगा।
सूचना मिलने पर फौजी कुत्तों की मदद से हो रही जांच
सूचना मिलते ही फॉरेस्ट की टीम वहां पहुंच गई। तब तक शिकारी वहां से निकल चुके थे और बाघ की मृत्यु हो चुकी थी। रात भर संजय टाइगर रिजर्व की टीम मृत बाघ की रखवाली की। सुबह जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत करा खोजी कुत्ते की मदद से अपराधियों तक पहुंचाने के लिए दुबरी और वस्तुओं दोनों रेंज की टीम लग गई। जहां से फौजी कुत्ते के मदद से कुछ संदेहियों को हिरासत में लिया जाकर जांच विवेचना एवं पंूछताछ की जा रही है। कार्यवाही के दौरान जेई मड़वास आकाश राजपूत के साथ विद्युत विभाग के कई कर्मचारी मौजूद रहे।