दफ्तरों में मूल पद खाली होने से समय से नहीं हो पाते लोगों के काम
मऊगंज और मैहर की जनता को निराशा लगी हाथ
स्वास्थ्य विभाग सहित जिले के दर्जनों विभाग चल रहें हैं प्रभार की बैसाखी पर
नगर प्रतिनिधि, रीवा
प्रशासनिक व्यवस्था के सूखे को सरकार की ट्रांसफर लिस्टों की बौछार भी दूर नहीं कर पाई है। करीब तीन साल बाद हुए थोकबंद तबादलों के बावजूद विभागों में मूल पदों पर पोस्टिंग नहीं हो पाई है। तहसीलों से लेकर, स्वास्थ्य विभाग, नगरीय पालिका-नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी, बिजली कंपनी में साल भर या महीनों से सैकड़ों पद प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। ऐसे में दोहरे-तिहरे प्रभार के चलते इन विभाग के जिला, विकासखण्ड और तहसील स्तर के कार्यालयों में जनता से जुड़े काम प्रभावित हो रहे हैं। स्थायी अधिकारी की पोस्टिंग न हो कभी कभार ही इन कार्याल ले रहे हैं। इस वजह से दफ्तरों में व्र चरमरा गई है।
यहां भी है पदोन्नति न होने का रोड़ा
विभागों में बड़ी संख्या में मूल पदों पर स्थायी अधिकारी की पोस्टिंग में भी 9 साल से अटकी पदोन्नति का रोड़ा अटका हुआ है। हालांकि अब सरकार फिर पदोन्नति शुरु करने जा रही है लेकिन सालों से विभागीय स्तर पर प्रमोशन न होने ओर नई भर्ती भी पयप्ति संख्या में नहीं होने से पदों पर प्रभारी पदस्थ करने की मजबूरी सरकार के सामने बनी हुई है।
प्रभार अटका रहा जनता के काम
सरकारी दफ्तरों में मूल पद खाली होने या अधिकारियों को दो या तीन कार्यालयों की जिम्मेदारी सौंपने से इनकी व्यवस्थाएं गड़बड़ा गई हैं। कहीं अधिकारी अतिरिक्त भागदौड़ से बचने के चक्कर में प्रभार के कार्यालय जाते ही नहीं है या सप्ताह में एक-दो बार ही रस्मदायगी करते हैं। वहीं कुछ स्थानों में कार्रवाई का पावर न होने से या बाद की उलझनों को देखते हुए काम हाथ में लेने से पल्ला झाड़ लेते हैं। इन दोनों ही वजहों से जनता से छोटे छोटे काम महीनों तक अटक रहे हैं। लोग दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं।
मऊगंज और मैहर में जिलों में सबसे खराब स्थिति
छोटे और नए जिलों में सरकार अब भी पूरा प्रशासनिक तंत्र स्थापित नहीं कर पाई है। कई जिला कार्यालय अब भी पुराने जिलों से है चल रहे हैं। मऊगंज, मैहर और पांढुर्णा को जिला तो बना दिया गया हैं लेकिन वहां अब तक ज्यादातर जिला कार्यालयों का सेटअप खड़ा नहीं हो सका है। इस वजह से अधिकारी अपडाउन ही कर रहे हैं।
एनएचएम के कई बड़े पद प्रभार में
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कई मुख्य पद जिले में रिक्त पड़े हैं, इनकी नियमित पदस्थापना को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। इतना ही नहीं, लगभग 15 वर्षों से यही हालात बने हुए हैं। मानव संसाधन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जिला रीवा की बात की जाए तो जिले में कई पद रिक्त हैं। बता दें कि जिले में डिस्ट्रिक प्रोग्राम मैनेजर (डीपीएम) सहित डिस्ट्रिक एकाउंट मैनेजर (डीएएम), एपीएम का पद रिक्त है। इसके अलावा भी पद अनुसार पदों में भर्ती नहीं की गई है, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठीक से संचालित नहीं हो पा रही हैं।
कई घोटाले आए सामने
बता दें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के इन वरिष्ठ पदों के रिक्त होने से इन पर सीएमएचओ द्वारा प्रभार में काम कराया जा रहा है। इन पदों में बैठने वाला ने जमकर भ्रष्टाचार किया। हाल ही में एपीएम शिवशंकर तिवारी को लेकर शिकायत हुई, जिसमें उन्होंने भर्ती के नाम पर कई लोगों ने रुपयों की वसूली की। इसके अलावा नोकरी से हटा देने की धमकी देते हुए डाटा इंट्री ऑपरेटर से अश्वीनता का आरोप लगाया गया। हैरानी तो यह है कि इन्हें जब पद से हटा दिया गया तो वह कोर्ट से स्टे लेकर चले आए और अब स्वास्थ्य विभाग की इनकी जानकारी हाईकोर्ट के सामने प्रस्तुत नहीं कर पा रहा है। इसके अलावा पूर्व के प्रभारी डीपीएम व एपीएम पर व डीएएम पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लग चुके हैं, कइयों में वह दोषी भी मिले हैं।