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“I use Cinthol. Do You?” विनोद खन्ना उस एड में छा गए। कस्टमर्स को किराना स्टोर्स पर ये कहते हुए काफी सुना जाता था कि वो विनोद खन्ना वाला साबुन चाहिए।

  • शिवेंद्र तिवारी

वो साल 1987 था। सिंथॉल साबुन के विज्ञापन में पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान नज़र आए। उस ज़माने में इमरान खान का जलवा हुआ करता था। इसलिए गोदरेज ने इमरान खान को अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया। वो दौर कुछ ऐसा था कि अन्य ब्रांड्स और सिंथॉल साबुन के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। इसिलिए आदि गोदरेज की पत्नी परमेश्वर गोदरेज खुद सिंथॉल के विज्ञापनों पर अपनी नज़र रखती थी। परमेश्वर गोदरेज सिंथॉल के लिए एक बढ़िया सा विज्ञापन चाहती थी। और उनका टार्गेट कंज़्यूमर महिलाएं थी। उनकी ख्वाहिश के मुताबिक एक मॉडल के साथ सिंथॉल का एक विज्ञापन शूट किया गया। लेकिन वो विज्ञापन उन्हें पसंद नहीं आया।

परमेश्वर गोदरेज ने एड फिल्ममेकर शांतनु शौरी को बुलाया और उन्हें एड बनाने की ज़िम्मेदारी दी। परमेश्वर चाहती थी कि जो कंटेंट शूट हुआ है शांतनु उसे फिर से एडिट करके एक बढ़िया सा एड तैयार करें। लेकिन फुटेज देखने के बाद शांतनु ने हाथ खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि ये बहुत बुरी तरह से शूट हुआ है। इसलिए बेहतर होगा कि एड को फिर से शूट किया जाए। परमेश्वर गोदरेज को भी शांतनु का सुझाव सही लगा। फिर एक दिन परमेश्वर ने शांतुन को बताया कि एड में स्टार पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान को फीचर किया जाएगा। शांतनु को इमरान खान को एड में फीचर किया जाना अजीब लगा।

शांतनु ने परमेश्वर गोदरेज से इमरान खान के नाम पर फिर से विचार करने को कहा। पर चूंकि उन दिनों सभी को भारत और पाकिस्तान के रिश्ते थोड़े बेहतर होने की उम्मीद लग रही थी तो परमेश्वर गोदरेज का मानना था कि इमरान की लोकप्रियता का फायदा उठाया जा सकता है। उस ज़माने में इमरान की भारत में भी खासी फैन फॉलोइंग थी। विशेषकर महिलाओं के बीच। परमेश्वर गोदरेज की ख्वाहिश के मुताबिक शांतनु शौरी ने इमरान खान को सेंटर में रखकर एक स्क्रिप्ट लिखी। और वो स्क्रिप्ट परमेश्वर की तरफ से फाइनल भी कर दी गई।

1987 के अक्टूबर-नवंबर में हुआ क्रिकेट विश्वकप भारत और पाकिस्तान ने मिलकर आयोजित किया था। 26 अक्टूबर 1987 के दिन जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज़ के बीच मुकाबला होना था। पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान भी ये मैच देखने भारत आए। हालांकि उनका मुख्य उद्देश्य था सिंथॉल का विज्ञापन शूट करना। परमेश्वर गोदरेज ने शांतनु शौरी को भी जयपुर बुला लिया। मैच सुबह साढ़े नौ बजे शुरू होना था। यानि एड शूट करने के लिए उन्हें सिर्फ एक घंटा मिला था। वो भी मैच से पहले। यानि हर हाल में सुबह साढ़े सात बजे शूट शुरू करके साढ़े आठ बजे तक खत्म करना था। अपने दो कैमरामैन को साथ लेकर शांतनु शौरी ने 45 मिनट में पूरा एड शूट कर लिया।

कुछ ही दिन बाद एड को तैयार करके दूरदर्शन पर रिलीज़ किया गया। एड पर सबकी नज़रें जमी। काफी चर्चाएं हुई। एड वाकई में पसंद किया गया। सिंथॉल साबुन की सेल में ज़बरदस्त उछाल आया। सिंथॉल के कॉम्पिटीटर्स ने भी एड को सीरियसली लिया। हिंदुस्तान यूनिलीवर का ब्रांड रैक्सोना भी उन दिनों ब़़ा मशहूर था। सुनने में आया कि रैक्सोना के नए एड पर तेज़ी से काम शुरू कर दिया गया है। मगर एड एजंसी के उस वक्त के जानकारों का मानना था कि इमरान खान की प्रज़ेंस ने सिंथॉल को बहुत ऊंचाईयों पर पहुंचा दिया है। फिलहाल उससे मुकाबला करना किसी दूसरे ब्रांड के लिए आसान नहीं होगा।

तभी भारत और पाकिस्तान के रिश्ते फिर से खराब होने शुरू हो गए। इमरान खान वाले एड का प्रसारण रोकना पड़ गया। परमेश्वर गोदरेज के लिए वो एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई। उन्हें किसी भी सूरत में एड कंटीन्यू करना था। लेकिन इमरान खान वाला एड तो अब खत्म हो चुका था। ऐसे में ज़रुरत थी एक नए एड शूट की। और उस नए एड में किसी ऐसे चेहरे की जो इमरान खान की टक्कर का लगे। एक विदेशी एड फिल्म कंपनी को नया एड बनाने की ज़िम्मेदारी देने पर विचार किया जाने लगा। उस कंपनी के लोगों से एक मीटिंग फिक्स की गई जो भारत में ही होनी थी।

परमेश्वर गोदरेज के साथ शांतनु शौरी भी उस मीटिंग में हिस्सा ले रहे थे। जबकी परमेश्वर गोदरेज के पति और गोदरेज ग्रुप के चेयरमैन आदि बुरोरजी गोदरेज भी मीटिंग में मौजूद थे। उस विदेशी कंपनी के लोगों ने आईडिया दिया कि एड की स्टोरी लाइन फैमिली बेस्ड होगी। मगर परमेश्वर गोदरेज को वो आईडिया पसंद नहीं आया। उन्होंने शांतनु शौरी की तरफ देखा। मानो वो उनसे पूछना चाह रही हों कि तुम्हारा क्या विचार है। शांतनु ने भी इशारों में बता दिया कि उन्हें भी आईडिया पसंद नहीं आया। शांतनु और परमेश्वर गोदरेज मीटिंग रुम से बाहर चले आए।

बाहर आकर परमेश्वर गोदरेज ने शांतनु से पूछा कि क्या तुम्हारे दिमाग में कोई आईडिया है? उस वक्त शांतनु शौरी ने परमेश्वर गोदरेज को विनोद खन्ना के नाम का सुझाव दिया था। विनोद खन्ना, जो कुछ साल पहले फिल्मों से संन्यास लेकर ओशो के अमेरिका वाले आश्रम चले गए थे, वो अब वापस लौट चुके थे। उन्होंने कुछ फिल्में साइन भी कर ली थी। और चर्चा थी कि विनोद खन्ना फिर से वही पहले जैसा स्टारडम हासिल कर लेगे। उस समय विनोद खन्ना के बारे में फिल्म इंडस्ट्री में हर तरफ बातें हो रही थी। शांतनु गोदरेज को भी विनोद खन्ना का नाम सही लगा।

परमेश्वर गोदरेज और शांतनु मीटिंग रूम में वापस गए और परमेश्वर गोदरेज ने रूम में घुसते ही अपने पति आदि गोदरेज से कहा कि शांतनु और मैं एक बहुत बढ़िया आईडिया लाए हैं। हमने विनोद खन्ना को एड में लेने के बारे में सोचा है। मीटिंग में बैठा हर इंसान ये सुनकर दंग रह गया। क्योंकि उनमें से किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि परमेश्वर गोदरेज विनोद खन्ना को एड में लेने की बात कर रही हैं। वो विनोद खन्ना जो कुछ साल पहले सबकुछ छोड़ छाड़कर संन्यासी बन गए थे। और उन लोगों का ऐसा सोचना लाज़िमी भी था। क्योंकि उन लोगों को नहीं पता था कि जब से विनोद खन्ना ने वापसी की है तब से वो गॉसिप्स का हॉट टॉपिक बने हुए हैं। परमेश्वर गोदरेज को विनोद खन्ना को ना लिए जाने की सलाह दी गई। लेकिन वो विनोद खन्ना के नाम पर मुहर लगा चुकी थी।

आखिरकार परमेश्वर गोदरेज की बात सबको माननी पड़ी। माननी ही पड़ती। मीटिंग खत्म होने के बाद विनोद खन्ना से संपर्क किया गया और उन्हें सिंथॉल के कमर्शियल में फीचर होने का ऑफर दिया गया। विनोद खन्ना ने भी फौरन वो ऑफस स्वीकार कर लिया। परमेश्वर ने शांतनु शौरी से पूछा कि शूट कैसे किया जाएगा? शांतनु ने आईडिया दिया कि विनोद खन्ना को नीली जींस व नीली शर्ट पहनाकर घुड़सवारी करते हुए फिल्माया जाएगा। और घोड़े पर सिर्फ लगाम होगी। घुड़सवारों के बैठने वाली सीट नहीं होगी।

परमेश्वर को भी ये आईडिया अच्छा लगा। तय हुआ कि जुहू बीच पर सुबह दिन निकलते ही शूट शुरू कर दिया जाएगा। शेड्यूल बना दिया गया और विनोद खन्ना जी को भी सूचना दे दी गई कि उन्हें फलां दिन फलां वक्त लोकेशन पर पहुंचना है। लेकिन शूट का पहला दिन बर्बाद हो गया। वो इसलिए क्योंकि विनोद खन्ना सुबह-सुबह पहुंचे ही नहीं। वो लगभग 10 बजे लोकेशन पर पहुंचे। जबकी शांतनु शौरी चाहते थे कि शॉट सूर्योदय के समय लिया जाए। शांतनु ने विनोद खन्ना से कहा कि अब तो शूट नहीं हो सकेगा। विनोद खन्ना ने शांतनु को उसी समय शूट करने के लिए मनाने की कोशिश की। लेकिन शांतनु नहीं माने। उन्हें सुबह का शॉट ही चाहिए था।

परमेश्वर गोदरेज ने भी शांतनु का समर्थन किया। और उन्होंने विनोद खन्ना से कहा कि तुम चाहो तो हमारे बीच हाउस में ही रात को रुक जाओ। सुबह जल्दी उठकर यहीं शूट कर लेना। विनोद खन्ना को ये आईडिया सही लगा। वो राज़ी हो गए। उस रात वो गोदरेज के बीच हाउस में ही रुके। अगले दिन विनोद खन्ना सुबह जल्दी उठ गए और शांतनु शौरी ने कुछ ही देर में शूट कंप्लीट कर लिया। शूटिंग के वक्त पूरी यूनिट मौजूद थी जिनमें कुछ कैमरामैन, घोड़ों के ट्रेनर्स व कुछ असिस्टेंट्स भी थे। शांतनु एक ऐसा शॉट भी फिल्माना चाहते थे जिसमें विनोद खन्ना घोड़े के साथ बीच किनारे फुल मस्ती में दौड़ते दिखें और फिर उछलकर घोड़े पर बैठ जाएं। उन्होंने विनोद खन्ना से इस सीन के बारे में बात की। विनोद खन्ना भी बेझिझक वो सीन शूट करने को राज़ी हो गए। और आठ से दस टेक में वो शॉट ओके हो गया।

अगर आपने विनोद खन्ना वाला सिंथॉल का वो एड देखा होगा तो आपने नोटिस किया होगा कि बीच के बाद विनोद खन्ना एक ब्लैक कलर का सूट पहनकर मर्सिडीज़ गाड़ी से एक बंगले से निकलते हुए नज़र आते हैं। वो सीन गोदरेज वालों के बीच हाउस में ही शूट किया गया था। और वो मर्सिडीज़ भी गोदरेज वालों की ही थी। अगर आपने ये एड नहीं देखा है तो यूट्यूब पर ये आपको मिल जाएगा। देखिएगा ज़रूर। इमरान खान वाला एड भी मिल जाएगा।

साल 1989 में विनोद खन्ना वाला सिंथॉल साबुन का एड दूरदर्शन पर रिलीज़ कर दिया गया। विनोद खन्ना को उस एड में बहुत पसंद किया गया। सबने माना कि अगर ये एड इमरान खान वाले एड की टक्कर का बना है तो उसकी वजह है विनोद खन्ना जी का उसमें फीचर होना। उस एड से सिर्फ गोदरेज कंपनी को ही नहीं, विनोद खन्ना को भी तगड़ा फायदा हुआ था। क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में भी विनोद खन्ना और उस एड की बहुत चर्चा हो रही थी।

अखबारों व मैगज़ीनों तथा पोस्टर्स व होर्डिंग्स के लिए भी विनोद खन्ना की कई तस्वीरें खींची गई थी। और वो तस्वीरें शांतनु शौरी ने खुद खींची थी। एड की टैगलाइन अंग्रेजी में दी गई जो थी “I use Cinthol. Do You?” विनोद खन्ना उस एड में छा गए। कस्टमर्स को किराना स्टोर्स पर ये कहते हुए काफी सुना जाता था कि वो विनोद खन्ना वाला साबुन चाहिए।

#Shivendr@Tiwari_Vindhy@bharat

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