शिवेंद्र तिवारी
१. भोजन धीरे-धीरे ही पकना चाहिए
आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। साथ ही भोजन में मौजूद सभी प्रोटीन शरीर को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। इसके अलावा आयुर्वेद में इस बात को भी बताया गया है कि जो भोजन धीरे-धीरे पकता है, वह सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है,जबकि जो खाना जल्दी पकता है उसके पोषक तत्व समाप्त हो जाते हैैं।
२. सस्ते और आसानी से मिल जाते हैं मिट्टी के बर्तन। भारत में मिट्टी के बर्तन, बाकी धातुओं के बर्तनों के मुकाबले काफी सस्ते होते हैं। मिट्टी से बने ये बर्तन अलग-अलग आकारों और साइज में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और ये काफी सस्ते भी होते हैं। मिट्टी से बने इन बर्तनों को घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग करके भी खरीद सकते हैं।
३. मिट्टी से बने बर्तनों में पकाया गया खाना जायकेदार होता है। अगर खाने में सौंधी-सौंधी खुशबू पसंद है, तो मिट्टी के बर्तन में पका हुआ खाना एक अलग स्वाद का अनुभव कराता है। मिट्टी के बर्तन में जब खाना पकाया जाता है, तो आंच में पकने से उसमें मिट्टी की खुशबु और मसालों का जायका मिल जाता है, जो खाने के स्वाद को दो गुना कर देता है।
४. कांच और सिरेमिक के बर्तनों की तरह ही मिट्टी के बर्तन भी हर साइज और आकार में मिल जाते हैं। जिन पर बेहद खूबसूरत कलाकारी और रंगों का समायोजन भी होता है। अपनी सुबह की चाय का मजा कुल्हड़ में लिया जा सकता है। इसके अलावा पानी को ठंडा करने के लिए मटकी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये बर्तन डाइनिंग टेबल को पारम्परिक रूप भी देते हैं।
५. इंसान के शरीर को रोज १८ प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व मिलने चाहिए, जो केवल मिट्टी से ही आते हैं। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से ८७ प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। केवल मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका भी अलग से ही स्वाद आता है। प्रेशर कुकर एल्यूमीनियम का होता है जो सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है। इससे टी.बी, डायबिटीज, अस्थमा और पेरेलिसिस भी हो सकता है। प्रेशर कूकर के भाप से भोजन पकता नहीं है बल्कि उबलता है। आयुर्वेद के अुनसार खाना पकाते समय उसे हवा का स्पर्श और सूर्य का प्रकाश मिलना जरूरी है।
६. आम धारणा के विपरीत मिट्टी के इन बर्तनों में ऊष्मा को अवशोषित करने की क्षमता तांबे और लोहे के बर्तनों के मुकाबले ज्यादा नहीं होती, इसलिए ज्यादा गरम होने पर इनके टूटने का खतरा रहता है. लेकिन धीमी आंच पर आसानी से इनमें खाना बनाया जा सकता है। इनमें रोजाना दाल, चावल और सब्जी पकाया जा सकता है। भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश और हवा का स्पर्श होना आवश्यक है। भोजन को अधिक तापमान में पकाने से उसके शूक्ष्म पोषकतत्त्व नष्ट हो जाते हैं। भोजन को प्रेशर कुकर में पकाने से भोजन पकता नहीं है, बल्कि भाप और दबाव के कारण टूट जाता है, जिसे हम पका हुआ भोजन कहते है। इनकी सबसे अच्छी बात यह है कि इनको हम माइक्रोवेव में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
७. दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। बंगालियों की सबसे पसंदीदा चीज मिष्टी दोई खाने के लिए बंगाल जाने की जरूरत नहीं है। हम अपने घर पर ही मिट्टी की हांडी में इसे बना सकते हैं। इसी तरह इसमें दही भी जमा सकते हैं। इसमें गरमा गर्म दूध डालकर पीने से दूध बहुत ही स्वादिष्ट लगता है, मिट्टी की खुशबू दूध के स्वाद को कई गुना कर देती है।
