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बागवानी करते समय यह बहुत सामान्य बात है पौधों में कीट लग जाना आइये जानते हैं इन पर नियंत्रण

©शिवेंद्र तिवारी

बागवानी करते समय यह बहुत सामान्य बात है कि पौधों में कीट लग जाते हैं। यह आपकी गलती या लापरवाही के कारण नहीं होता, बल्कि अक्सर मौसम के बदलाव और परागणकर्ताओं (पोलिनेटर्स) के माध्यम से कीट एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाते हैं। इन पर हमेशा नियंत्रण रख पाना थोड़ा मुश्किल और कई बार नुकसानदायक भी होता है।

यदि आप केवल जैविक उपायों से नियंत्रण रखना चाहें, तो यह हमेशा संभव नहीं होता। कहीं न कहीं, ये कीट आपकी नज़र से दूर अपना बसेरा बना ही लेते हैं और हरियाली आने पर प्रकट हो जाते हैं। दूसरी ओर, यदि आप रासायनिक उपायों का सहारा लेते हैं, तो कुछ हद तक सफलता मिल सकती है, पर इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं।
अत्यधिक रसायन प्रयोग करने से मित्र कीट जैसे परागणकर्ता भी नष्ट हो सकते हैं, जिससे फल वाले पौधों में फल आना कठिन हो सकता है। साथ ही, लगातार रसायन प्रयोग से कीटों में सहनशीलता यानी रजिस्टेंस विकसित हो सकती है। उनकी शरीर में ऐंटीबॉडी विकसित होकर उन्हें रसायनों से बचाने लगती हैं, और वे मरते नहीं हैं।

इसलिए यदि समय पर कीटों की पहचान और उपचार किया जाए, तो कई समस्याओं से बचा जा सकता है। इससे न केवल पौधों की वृद्धि प्रभावित नहीं होती, बल्कि पत्तियाँ, फल और फूल भी समय रहते बचाए जा सकते हैं। आइए, इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि कैसे कीटों की पहचान करें और उनके प्राकृतिक व जैविक उपाय अपनाएँ, और केवल आवश्यक होने पर ही रासायनिक प्रयोग करें।

1】चींटी (Ants)
● लक्षण: पौधों की मिट्टी या तनों पर दिखाई देती हैं; अक्सर एफिड्स व मिलीबग की वजह से आती हैं।
● जैविक उपाय:

  • दालचीनी या हल्दी चींटियों के रास्ते में डालें।
  • नींबू रस या सिरका प्रवेश मार्ग पर छिड़कें।
  • बोरिक एसिड + चीनी का घोल रखें।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • क्लोरपायरीफॉस 20% EC – 2 ml/लीटर पानी; मिट्टी में डालें।

2】व्हाइटफ्लाई (Whiteflies)
● लक्षण: छोटे सफेद उड़ने वाले कीट, जो पत्तियों के नीचे छिपे रहते हैं।
● जैविक उपाय:

  • नीम तेल स्प्रे (5 ml/लीटर + 2-3 बूंद लिक्विड साबुन)।
  • पीले स्टिकी ट्रैप लगाएं।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 0.3 ml/लीटर।

3】एफिड्स / थ्रिप्स (Aphids)
● लक्षण: कोमल पत्तियाँ व कलियाँ मुड़ जाती हैं, पत्तियाँ चिपचिपी होती हैं।
● जैविक उपाय:

  • साबुन-पानी स्प्रे।
  • तुलसी, गेंदा जैसे पौधे पास लगाएं।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • थायमेथॉक्साम 25% WG – 0.5 ग्राम/लीटर।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 0.5 ग्राम/लीटर।

4】मिलीबग (Mealybugs)
● लक्षण: सफेद रूई जैसे कीट, तनों और पत्तियों पर।
● जैविक उपाय:

  • 70% अल्कोहल से रूई भिगोकर कीटों पर लगाएं।
  • नीम तेल छिड़कें।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • मेलाथियॉन 50% EC – 2 ml/लीटर।

5】माइट्स और स्पाइडर माइट्स
● लक्षण: पत्तियाँ पीली/भूरी, महीन जाले, धीमी वृद्धि।
● जैविक उपाय:

  • ठंडे पानी से पत्तियों को धोएं।
  • नीम तेल छिड़कें।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • प्रोपरगाइट 57% EC – 1.5 ml/लीटर।

6】दीमक (Termites)
● लक्षण: मिट्टी के नीचे से जड़ों को खाते हैं, पौधा अचानक मुरझा जाता है।
● जैविक उपाय:

  • नीम की खली मिट्टी में मिलाएं।
  • सरसों का तेल (20 ml/लीटर) डालें।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • क्लोरपायरीफॉस 20% EC – 2.5 ml/लीटर।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL रूट ड्रेंचिंग के लिए।

7】स्केल कीट (Scale Insects)
● लक्षण: भूरे/सफेद कठोर कवच जैसे कीट तनों पर चिपके होते हैं।
● जैविक उपाय:

  • रुई से अल्कोहल लगाकर साफ करें।
  • नीम तेल स्प्रे करें।
    ● रासायनिक नियंत्रण:
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 0.5 ml/लीटर।

8】स्लग और स्नेल (Slugs & Snails)
● लक्षण: पत्तियों पर गोल-गोल कटाव, रात में निकलते हैं।
● जैविक उपाय:

  • एग शेल या राख का घेरा बनाएं।

■ सामान्य सावधानियाँ रसायनों के प्रयोग में:

  • छिड़काव करते समय मास्क, दस्ताने, चश्मा पहनें।
  • सुबह या शाम को स्प्रे करें, धूप में नहीं।
  • फल वाले पौधों पर उपयोग से पहले प्हार्वेस्ट करें।
  • बच्चों और पालतू जानवरों को दूर रखें।
  • एक ही दवा बार-बार न करें, प्रभाव कम हो सकता है।

पाठकों जैविक उपाय हमारे प्राथमिक विकल्प होने चाहिए। रसायनों का प्रयोग केवल तब करें जब कीट बहुत अधिक बढ़ जाएं और अन्य उपाय पूरी तरह से विफल हों जाए। आज का ये लेख आपको कैसा लगा हमें कॉमेंट में जरूर बताये। उपाय अच्छे लगे हैं तो इन्हें अपने बागवानी प्रेमी मित्रों के साथ साझा जरूर करें।

विंध्य भारत

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