अभय मिश्रा ने बोला तो सही लेकिन दब गई आवाज
दो दिन पहले रीवा कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में जिला योजना समिति की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल भी मौजूद थे। इस बैठक में एकलौते कांग्रेस विधायक अभय मिश्रा के कई सवालों पर सब की बोलती बंद हो गई। कोई जवाब नहीं दे पा रहा था लेकिन वहां पर माहौल भाजपा के पक्ष में था इसलिए उनकी बात को लगातार अनसुनी की जाती रही। भाजपा के भी लोग यह मान रहे थे की बात तो सच है की जिला योजना समिति की बैठक तब तक नहीं हो सकती जब तक उसके सदस्यों का निर्वाचन न हो जाए। लेकिन यहां पर निर्वाचन होना तो दूर मनोनयन भी किसी का नहीं हुआ था, फिर भी बैठक हुई। बैठक में अभय मिश्रा ने जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया लेकिन वह बात भी हाल के अंदर गूंजने के बाद दब सी गई। बाहर निकल कर अभय मिश्रा ने कहा मेरी आवाज को कोई नहीं दबा सकता, अब देखना है की राजनीति के बाजार में वह अपनी आवाज को कैसे बुलंद करेंगे।
अंबेडकर के बहाने दिखी नेताओं की सक्रियता
तेज गर्मी में रीवा के नेता अचानक सक्रिय होकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने निकले। जो नेता ए सी के अलावा कहीं कम नहीं रख रहे थे वह भी गर्मी में माला पहनने और भाषण बाजी करने अंबेडकर की प्रतिमा के सामने जाकर खड़े हो गए। कांग्रेस और भाजपा के नेताओं में अंबेडकर की प्रतिमा को माल्यार्पण करने की होड़ सी लगी थी। सामान्य समस्याओं पर हमेशा चुप्पी साध कर बैठने वाले बहुजन समाज पार्टी के नेता भी भीड़ भाड़ के साथ प्रतिमा स्थल तक गए और भाषण बाजी की। आम जनता ने कहा कम से कम चलो जयंती के बहाने ही नेता घर से निकले।
सरकार ने बता दी जिला पंचायत सदस्यों को उनकी औकात
सामान्य तौर पर जिला पंचायत के सदस्य अपने आप को कम से कम आधा विधायक तो मानते ही हैं। बात भी 100 फीसदी सही है। क्योंकि एक विधानसभा क्षेत्र के 25 फ़ीसदी गांवो के वे भी जनप्रतिनिधि होते हैं। हजारों वोटो से जीतने वाले यह जिला पंचायत सदस्य गतिज दिवस रीवा में आयोजित जिला योजना समिति की बैठक वाले हाल में घुसने के लिए तरस गए। कुछ जिला पंचायत सदस्यों को गुस्सा आया तो वह दरवाजे के बाहर ही धरने पर बैठ गए। पुलिस वालों ने समझाया तो बाद में किनारे हुए। बाद में नेताओं ने कहा कि जब तक मंत्री से बात नहीं होगी तब तक वह नहीं हटेंगे, मंत्री जी आए और 5 सेकंड में ठीक है ठीक है करते हुए आगे बढ़े लिए। वहीं मौजूद पब्लिक यह कहती रही कि जिला पंचायत सदस्यों को भाजपा सरकार ने उनकी औकात दिखा दी, कि उनके बगैर भी जिला योजना समिति की बैठक की जा सकती है।
साहब …नहीं रहूंगा मनगवा नगर परिषद में
नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा नगर परिषद मनगवा का अतिरिक्त प्रभार गुढ़ नगर परिषद के सीएमओ के एन सिंह को दे दिया। पहले तो श्री सिंह बड़े प्रसन्न हुए कि उन्हें दो-दो नगर पालिका का प्रभार मिल गया है, लेकिन जब मनगवा नगर परिषद में काम करना शुरू किया तो उन्हें समझ में आया कि यहां सब कुछ सामान्य नहीं है। जैसे हर नगर पालिका में वह अपने हिसाब से व्यवस्थाएं देखते थे यहां पर बगैर उनके इशारे कुछ नहीं हो सकता। उनकी समझ में यह भी आ गया कि कभी भी उनकी बेइज्जती हो सकती है तो उन्होंने अपनी पीड़ा करीबी अफसरो से व्यक्त की। उन्हें सलाह दी गई कि चुपचाप वह मनगवा शेर निकाल ले इसी में उनकी बेहतरी है, क्योंकि मनगवा का मामला इन दिनों सीधे हाई कोर्ट से डील हो रहा है, अगर फंस गए तो बेवजह लफड़े में फंस जाओगे। लिहाजाओं ने अपने अधिकारियों को चि_ी लिख दी कि साहब मुझे यहां से मुक्त करो। सच्चाई यह है कि फिलहाल कोई भी अधिकारी मनगवा जाने के लिए राजी नहीं हो रहा है। अब अधिकारी भी परेशान है। उधर नेताजी मस्ती के साथ कह रहे हैं यहां वही रहेगा जिससे मैं चाहूंगा।
संजय पांडे को मिला हुआ है पूर्ण अभय दान
रीवा जिले में एक अधिकारी इन दिनों काफी चर्चाओं में है। प्रशासनिक और राजनीतिक हलके में अच्छी खासी पकड़ होने के कारण बड़ा मलाईदार पद भी हासिल करने में इन्हें महारत हासिल है। साई बाबा की कृपा तो इन्हें मिली ही हुई है, उनकी कृपा से राजनेताओं के भी यह चहेते बने हुए हैं। सबका कृपा पात्र होने के बाद अब इन पर घोटाले पर घोटाले के आरोप भी लगातार लग रहे हैं। लेकिन उनकी कार्य शैली दबंगई के साथ यथावत चल रही है। हो भी क्यों न, जब सभी का आशीर्वाद प्राप्त है तो अपने हिसाब से ही काम करना चाहिए। क्योंकि समय कुछ दिन के लिए ही मिलता है जितना कमा सकते हैं कमां ले, अगर लूप लाइन में चले जाएंगे तो कोई पूछने वाला नहीं रहेगा
राजनीति के गलियारे से
