16 ठेकेदारों को किया गया एक करोड़ से अधिक का भुगतान
सब मानते हैं हुआ बड़ा भ्रष्टाचार, लेकिन दोषियों को बचाने के हो रहे प्रयास
5० प्रतिशत कार्य व योजना की राशि सिमट गई कुल 5 ठेकेदारों में
विशेष संवाददाता, रीवा
जल जीवन मिशन के तहत पीएचई विभाग में सबसे अधिक भुगतान किस ठेकेदार को किया गया? कितने ठेकेदारों को पांच करोड़ से अधिक का भुगतान हेतु किया गया? किन ठेकेदारों के पास जल जीवन मिशन के सबसे अधिक कार्य थे? ऐसे ठेकेदारों ने मिशन के कार्यों को कितनी गुणवत्ता के साथ पूरा किया? ऐसे ठेकेदारों पर विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, लेखापाल, आडीटर, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री से लेकर थर्ड पाटी एजेंसी एवं आईएसए ऐजेंसी एनजीओ आदि किस तरह से मेहरवान रहे? इसका आकलन ऐसे ठेकेदारों को किये गये भुगतान से लगाया जा सकता है। किन्तु दुर्भाग्य का विषय है कि ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई।
ज्ञात हो जल जीवन मिशन में आठ ऐसे ठेकेदार हैं जिन्हें सबसे अधिक भुगतान किया गया है। जांच रिपोर्ट के खुलासे के बाद पता चलता है कि जिन ठेकेदारों को सबसे अधिक भुगतान किया गया है उनमें शिवेन्द्र कुमार तिवारी को 13 करोड़ 48 लाख 59 हजार 407 रूपये, आशीष कुमार मिश्रा को 9 करोड़ 74 लाख 87 हजार 208 रूपये, अनुष्का कांस्ट्रक्शन को 9 करोड़ 17 लाख 73 हजार 124 रूपये एवं ओमकार प्रसाद शुक्ला को 6 करोड़ 38 लाख 55 हजार 280 रूपये, दीपराज सिंह को 5 करोड़ 80 लाख 09 हजार 445, गोविन्द कांस्ट्रक्शन 5 करोड 23 लाख, 02 हजार 334 रूपये, संजय राय 5 करोड़ 45 लाख 15 हजार 143 रूपये, केडीएस कांस्ट्रक्शन 4 करोड़ 75 लाख 42 हजार 384 रूपये का भुगतान किया गया है। इस तरह से कुल 60 करोड़ 03 लाख 44 हजार 323 रूपये का भुगतान कुल आठ ठेकेदारों को किया गया है। ये वही ठेकेदार हैं जिनके पास योजना के सबसे अधिक कार्य थे। सूत्रों के अनुसार इन्हीं ठेकेदारों के कार्यों में सबसे अधिक अनियमितता की गई हैं जहां भारी मात्रा में कार्य अपूर्ण होने के बाद भी पूर्ण बताकर राशि का आहरण किया गया। इस तरह से देखा जा सकता है कि लगभग 50 प्रतिशत कार्य एवं योजना की राशि कुल पांच ठेकेदारों के बीच सिमट गई।
इसी प्रकार जिन ठेकेदारों को एक करोड़ से अधिक का भुगतान किया गया है उनमें अभिषेक सिंह 3.02 करोड, अस पर्कले इन्फ्रा को 2.27 करोड़, चौधरी विल्डर्स 1.86 करोड़, देव कांस्ट्रक्शन 1.60 करोड़, हिल स्टोन हाउसिंग कांस्ट्रक्शन 1.58 करोड़, जयश्री कांस्ट्रक्शन 1.91 करोड़, कुंवर मार्केटिंग 1.70 करोड़, आरके विल्डर्स 3.53 करोड़, राजमणि प्रसाद तिवारी 1.19 करोड़, एसएन कांस्ट्रक्शन 3.14 करोड़, शैलेन्द्र कुमार शर्मा 1.34 करोड़, शाति कांस्ट्रक्शन 3.12 करोड़, शिवम असफाल्टिंग 2.44 करोड़, स्काई लाइट 2.10 करोड़, टीआर इन्फ्राटेक 2.09 करोड़ एवं तेज प्रताप सिंह 1.68 करोड़ का भुगतान किया गया है। इस तरह कुल 16 ठेकेदार ऐसे हैं जिन्हें एक करोड़ से चार करोड़ के बीच भुगतान किया गया। शेष 15 ऐसे ठेकेदार हैं जिन्हें एक करोड़ के कम का भुगतान किया गया।
आठ बड़े ठेकेदार बने चुनौती
पीएचई विभाग के लिये सबसे अधिक चुनौती कुल आठ ठेकेदारों को माना जा रहा है। जिन्हें 130 करोड़ की अनियमितता में 60 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान विभाग द्वारा किया गया है। ऐसे ठेकेदारों से जल जीवन मिशन के अधूरे एवं गुणवत्तापूर्ण कार्यों को पूर्ण करवाना बड़ी चुनौती है। शायद विभाग ऐसे ठेकेदारों को ही बार-बार अवसर दे रहा है। यदि उनके कार्य गुणवत्ता के साथ पूर्ण नहीं होते तो आने वाले समय में कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।
पूरे भ्रष्टाचार का आखिर दोषी कौन?
पीएचई विभाग रीवा में यदि कार्यपालन यंत्री की कुर्सी पर शरद सिंह जैसा भ्रष्ट अधिकारी पदस्थ न हुआ होता तो शायद जल जीवन मिशन का सत्यानाश न हुआ होता। इतिहास में जब भी जल जीवन मिशन के भ्रष्टाचार को याद किया जायेगा तो ऐसे अधिकारी का नाम जरूर याद किया जायेगा। किन्तु दुर्भाग्य का विषय यह है कि 130 करोड़ के महाघोटाले की जांच होने के बाद भी अभी तक शासन स्तर से दोषी कार्यपालन यंत्री एवं उसके सहयोगियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। कहते हैं कि जब विभाग का प्रमुख अधिकारी ईमानदार होता है तो वहां कोई भी अनियमितता होने की गुंजाईस न के बराबर होती है। वहीं इसके उल्टा जब विभाग का प्रमुख अधिकारी ही भ्रष्ट हो जाता है तो फिर कुछ भी हो सकता है। जल जीवन मिशन में भी यही हुआ जहां ठेकेदारों से कमीशन का बड़ा खेल चला जबकि लक्ष्य एवं दिशा निर्देशो के अनुरूप कार्य नहीं हुये।