आबकारी विभाग के अधिकारी मेहरबान, किसी भी दुकान में नहीं टंगी है रेट लिस्ट
लोग वीडियो भी कर रहे वायरल, वसूली बाज भी दूसरी ओर सक्रिय
विशेष संवाददाता, रीवा
रीवा सहित मऊगंज जिले से इन दिनो शराब दुकानों के लगातार वीडियो वायरल हो रहे है। वीडियो बनाने वाले वही लोग है जो शराब ठेकेदारो पर दबाव बनाकर साल भर या तो फ्री कमीशन में शराब चाहते है या फिर ठेकेदारो से सेवा। इस मामले में जब तह तक जानकारी एकत्रित की गई तो बात कुछ और ही निकल कर सामने आई जिसमें आबकारी विभाग की घोर लापरवाही देखी गई। आबकारी सूत्रों ने बताया कि जिस प्रकार शराब दुकानो के टेंडर मंहगे हुए है वैसे आबकारी विभाग द्वारा शराब के दामों को भी निर्धारित कर दिया गया है, लेकिन रेट सूची अभी जारी नही की गई है।
सबसे बड़ी बात यह है कि रीवा शहर और अन्य जगहों में संचालित दुकानों में कहीं भी रेट लिस्ट आज तक नहीं टगाई गई है।
इस मामले में विभागीय सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि बढ़े हुए दामों के हिसाब से शासन ने शराब ठेकेदारो से डिफरेंस ड्यटी की राशि भी जमा करवा ली। सूत्र ने बताया कि सुरा प्रेमी इस बात को लेकर भ्रमित हो जाते है कि शराब की बोतलों में लिखे दाम पुराने स्टाक का है, अथवा नया स्टाक का।
इस मामले में जो जानकारी मिली उसके अनुसार अभी फिलहाल पुराने स्टाक की शराब की बेची जा रही है जिसमें पुरानी एमआरपी और एमएसपी के दामों का उल्लेख है। उक्त राशि को देखकर सुरा प्रेमी शराब ठेकेदार सहित आबकारी विभाग का विरोध करते है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में सतना जिले में शराब दुकानों में शासन स्तर पर खरीदी की गई थी , जिस पर बढ़े हुए दामों पर शराब बेचना पाया गया था। परंतु कलेक्टर ने शराब ठेकेदारो पर इसलिए कार्रवाही नही कि ठेकेदार शासन द्वारा निर्धारित डिफरेंस राशि जमाकर शराब को नये दामों में बेचना पाया। इसी प्रकार छतरपुर जिले की शराब दुकानों में मंहगी शराब बेचे जाने को कलेक्टर ने संज्ञान में लेते हुए जिला आबकारी अधिकारी को फटकार लगाते हुए कार्रवाही करने को कहा गया तो वहां भी यही बात निकल कर सामने आई कि शराब के पुराना स्टाक होने की वजह से दामों को लेकर सुरा प्रेमी भ्रमित हो रहे है।
रीवा के अफसर बने हुए हैं खुद ही आरोपी
आबकारी विभाग अमले पर फिलहाल अब कोई भरोसा नहीं कर रहा है। लगभग यह सिद्ध हो चुका है कि अधिकारी और कर्मचारी एक और सरकार को चूना लगाते हैं दूसरी ओर सुर प्रेमियों का भी चूना लगवा रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि प्रशासन केवल बैठक तक ही सक्रिय रहता है उसके बाद की निष्क्रियता के चलते आबकारी विभाग पूर्ण रूपेण बरकरार रहती है। इसलिए सामान्य रूप से आम सुरा प्रेमियों को किसी प्रकार का फायदा मिल पाएगा यह कहना अपने आप में बेमानी होगा, क्योंकि अधिकारी खुद भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं जिसके प्रमाण भी जांच कर्ताओं के पास है।