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श्री बड़े हनुमानजी मन्दिर, त्रिवेणी संगम, प्रयागराज-जहाँ हनुमानजी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं

शिवेंद्र तिवारी

भारतवर्ष और विदेशों में अनेक मंदिरों में हनुमानजी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। लेकिन ऐसे बहुत कम मन्दिर हैं जहां हनुमानजी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं। ऐसे कुछ मन्दिर जहां हनुमानजी की प्रतिमा लेटी हुई विश्राम मुद्रा में स्थापित हैं, निम्नांकित हैं: त्रिवेणी संगम, प्रयागराज स्थित श्री बड़े हनुमानजी मन्दिर, महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के खुल्दाबाद में स्थित भद्र मारुति मन्दिर और जामसांवली, सौंसर, छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) का हनुमान मंदिर।

प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के निकट हनुमानजी का उक्त प्रसिद्ध मन्दिर बड़े हनुमानजी के मन्दिर के नाम से विख्यात है। मन्दिर में हनुमान जी की लगभग 20 फ़ीट लम्बी विशाल दक्षिणाभिमुखी मूर्ति धरातल से लगभग छः फुट नीचे लेटी हुई मुद्रा में विराजमान है। इस मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है और दूर-दूर से भक्त यहां हनुमानजी के दर्शन करने आते हैं। कहते हैं कि यह मन्दिर काफ़ी पुराना है और यहां हनुमान जी अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

एक मान्यता के अनुसार, रावण पर विजय प्राप्त करके श्री राम संगम स्नान करने और भारद्वाज ऋषि का आशीर्वाद लेने प्रयागराज आये थे। उनके साथ हनुमान जी भी थे। यहां किसी कारणवश हनुमानजी मूर्छित हो गए और भूमि पैट लेटी हुई मुद्रा में गिर पड़े । उनकी यह दशा देखकर सीताजी ने उनको सिंदूर लगाया और आशीर्वाद दिया, जिससे वे पुनः पूर्णतः स्वस्थ हो गए।

एक अन्य कथा के अनुसार लंका विजय के बाद जब हनुमान जी कुछ थकान का अनुभव करने लगे तो सीताजी ने उन्हें विश्राम करने की सलाह दी। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए हनुमानजी प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के किनारे एक स्थल पर विश्राम करने के लिए लेट गए, जहां बाद में यह मंदिर बनाया गया।

इस मन्दिर के गंगा नदी के बहुत निकट स्थित होने के कारण कई बार नदी का जल स्तर बढ़ जाने पर गंगा जी का जल मन्दिर के अन्दर तक पहुंच जाता है और हनुमानजी की मूर्ति उस में डूब जाती है। श्रद्धालु इसे शुभ संकेत के रूप में देखते हैं। वे मानते हैं कि स्वयं गंगाजी श्री हनुमान को स्नान कराने उनके द्वार पर पधारी हैं।

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