- शिवेंद्र तिवारी

यहां के शिवलिंग को लेकर एक दिलचस्प लोककथा है। कथा के अनुसार बहुत साल पहले जब जमींदारी प्रथा चल रही थी तब पारागांव में रहने वाले शोभा सिंह नाम के जमींदार यहां पर खेती-बाड़ी किया करते थे। एक दिन जब शोभा सिंह शाम को अपने खेत में गए तब उन्होंने खेत के पास एक विशेष आकृतिनुमा टीले से सांड के चिल्लाने और शेर के दहाड़ने की आवाज सुनी। वो तुरंत वापस आ गए और ये बात गांव वालों को बताई। इस पर ग्रामवासियों ने सांड अथवा शेर की आसपास खोज की। लेकिन, दूर-दूर तक उनको ना ही शेर मिला और ना सांड। तभी से टीले के प्रति लोगों की श्रद्धा बढ़ने लगी। लोग इसकी पूजा शिवलिंग के रूप में करने लगे। यहां के लोगों का कहना है कि पहले इस टीले का आकार छोटा था। धीरे-धीरे इसकी ऊंचाई एवं गोलाई बढ़ती गई और बढ़ने का यह क्रम आज भी जारी है।