मान्यताओं के अनुसार, ये मंदिर हजारों सालों से है। 700 साल पहले पंडित श्रीधर ने माता रानी का ये मंदिर ढूंढा था।
शिवेंद्र तिवारी
चार वेदों में से सबसे पुराने वेद ऋगवेद में भी त्रिकुटा पर्वत का जिक्र है।
जहां वैष्णो देवी पिंडियों, देवी काली, देवी सरस्वती और देवी लक्ष्मी के रूप में गुफा में विराजित हैं, उसे ‘माता रानी का भवन’ कहते हैं।
वैष्णो देवी गुफा मंदिर लगभग 98 मीटर लम्बा और 5,200 फीट की ऊंचाई पर है।
गुफा के अंदर एक चबूतरा है, जिसे ‘मां का आसन’ कहा जाता है।
गुफा के एक स्थान को ‘गर्भ-पूजन स्थान’ या ‘गर्भजून’ कहते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि जिस तरह से शिशु नौ महीने तक गर्भ में रहता है, उसी तरह वैष्णो देवी ने यहां वास किया था।