- शिवेंद्र तिवारी

लंका युद्ध के दौरान अहिरावण अपनी मायावी शक्ति का प्रयोग करते हुए भगवान श्री राम और लक्ष्मण को मूर्छित कर पाताल लोक लेकर पहुंच गया था.
अहिरावण को देवी का वरदान था कि जब तक कोई पाँच दिशाओं में रखे पांचों दीपक को एक साथ नहीं बुझाएगा, तब तक उसका वध असंभव है.
तब हनुमान जी ने पांच दिशाओं में मुख किए पंचमुखी हनुमान का अवतार लिया और पांचों दीपकों को एक साथ बुझाकर अहिरावण का वध किया. तभी से पंचमुखी हनुमान जी के स्वरूप की पूजा होती है.
ये पाँच इस प्रकार हैं——
- वानर मुख- पूर्व दिशा में. यह दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है.
- गरुड़ मुख- पश्चिम दिशा में. यह जीवन की रुकावटों और परेशानियों का नाश करता है.
- वराह मुख- उत्तर दिशा में जो लंबी उम्र, प्रसिद्धि और शक्ति का दायक है.
- नृसिंह मुख- दक्षिण दिशा में, जो मन से डर और तनाव को दूर करता है.
- अश्व मुख- आकाश की दिशा में जो समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करता है.
** जब पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर को लगाएं तो यह दक्षिण दिशा में होनी चाहिए
** मंगलवार और शनिवार के दिन बजरंगबली की पूजा का विशेष दिन होता है, इस दिन लाल रंग के फूल, सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें
** घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाने से सभी तरह के वास्तुदोष मिट जाते हैं
** घर के मुख्यद्वार पर पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा लगाना काफी शुभ माना जाता है. इसे लगाने से बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं करती हैं
ॐ🙏🏻