नगर प्रतिनिधि, रीवा
नगर निगम सहित अन्य नगरीय निकायों में कचरा उठाव व उसको पहाडिय़ा प्लांट तक ले जाने का काम कर रही रेमकी कंपनी को लेकर बड़ा खुलासा बीते दिनों नगर निगम आयुक्त द्वारा कराई गई जांच में सामने आया था। इस खुलासे के बाद नगर निगम की एम आई सी सदस्य ने बड़ा सवाल खड़ा करते हुए आयुक्त को पत्र लिखा है। उन्होंने इस संबंध में नगर निगम आयुक्त के साथ साथ नगरीय प्रशासन एवं आवास प्रमुख सचिव, संभागायुक्त रीवा व कलेक्टर रीवा को पत्र लिखा है। बता दें नोडल अधिकारी द्वारा कराई गई जांच में यह बंदरबांट सामने आया था।
पत्र में एम आई सी सदस्य ने लिखा
एम आई सी सदस्य नीतू अशोक पटेल झब्बू ने पत्र में लिखा कि समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई कि शहर में कचरा का उठाव व उसे पहाडिय़ा प्लांट तक पहुंचाने के लिए अनुबंधित कंपनी रीवा एमएस डब्ल्यू मैनेजमेंट साल्यूसन लिमिटेड कंपनी (रेमकी) द्वारा कचरा उठाव करके उसके वजन की नाप में गोलमाल किया जाता है। यह आपके द्वारा ही करवाई गई जांच में सामने आया है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के अनुसार रेमकी कंपनी को जो नोटिस आपके द्वारा दिया गया है, उसमें 117 टन का गोलमाल उसके द्वारा किया गया था।
आपके पत्र में यह वजन में अंतर मात्र 17 दिनों की नाप में प्रदर्शित है। यानि की कंपनी प्रतिदिन अब तक जो जांच में आया है उसके अनुसार रोजाना 6-7 टन का गोलमाल वजन में करती है। यानि वर्ष में कंपनी द्वारा 2512 टन से अधिक कम से कम वजन में गोलमाल कर इसका अधिक भुगतान लिया जाता है। कंपनी को मेरी जानकारी के अनुसार प्रति टन कचरे का उठाव कर उसे कचरा प्लांट तक पहुंचाने के लिए 1746 रुपए का भुगतान किया जाता है। यदि हम गोलमाल के राशि का आंकलन करें तो 2512 टन का अधिक नाम बताकर कंपनी न्यूनतम 43 लाख रुपए से अधिक का भुगतान ले रही है।
यह अभी तक की जांच में जो सामने आया है उसके अनुसार आंकलन है। कंपनी को फरवरी 2017 में अनुबंधित किया गया था, जिसके अनुसार कंपनी को काम करते 8 वर्ष बीत गए हैं। यदि एक वर्ष में कंपनी का जांच में करीब 43 लाख रुपए भी गोलमाल निकाला जाए तो 8 वर्षो में कंपनी का 3 करोड़ से अधिक का फर्जी भुगतान संभावित है। जाहिर है यह बिना निगम अधिकारियों की साठगांठ के संभवन नहंी है। इसके लिए बनाए गए अब तक के स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी, सहायक नोडल अधिकारी सहित वह सभी अधिकारी जिन्होंने कंपनी की मानिटरिंग व भुगतान संबंधित जिम्मेदारी निभाई उनकी भूमिका संदिग्ध है।
आपके द्वारा वर्तमान नोडल अधिकारी एच के त्रिपाठी से जांच कराई गई तो यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया जो प्रशंसा योग्य है। इस मामले में और सख्ती से जांच होनी चाहिए और अब तक हुए फर्जी अनुमानित भुगतान की वसूली भी उन्हीं अधिकारियों से होनी चाहिए जिनकी देखरेख में यह भुगतान कंपनी को हुआ है और कंपनी पर भी सख्त कार्यवाही करते हुए उसके अनुबंध को निरस्त किया जाना चाहिए। कृपया मामले की और बरीकी से जांच कराए जाने का कष्ट करें और इस फर्जी भुगतान की वसूली कराई जानी चाहिए।