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आज होगी जिले के 77 शराब दुकानों की नीलामी, 413 करोड़ राजस्व का रखा गया लक्ष्य, नये चेहरे आयेंगे सामने, शासन को होगा राजस्व का फायदा

जिले के शराब ठेकेदारो के बीच शुरु मंथन, उठ सकते है आठों समूह
सभी ठेकेदारों की नजर शहर की दुकानों पर
27 समूहों को समेट कर बनाया गया है 8 समूह

नगर प्रतिनिधि, रीवा

जिला आबकारी अधिकारी के मंशा अनुरूप जिले के शराब ठेकेदारो ने लाईसेंस रिन्युवल में न तो रूचि दिखाई और न ही लॉटरी सिस्टम में। द्वितिय चरण में 27 समूहो को समेट कर 8 समूहो में बनाये जाने पर जिले के ठेकेदारो में हलचल मच गई। जो भी तक एक-दूसरे को दुश्मन की नजर से देखते थे अब गले मिल कर शराब दुकानो में टेंडर डालने के लिए मंथन शुरू कर दिये है। मजे की बात तो यह है कि मंथन करने वाले शराब ठेकेदारो को पर्दे के पीछे बैठे घाघ शराब ठेकेदार नहीं दिख रहे और आपसी मंथन में जिले के आठों शराब दुकानो पर विचार-मंथन शुरू कर दिया है। टेंडर की पहली ही प्रक्रिया में जिले के आठो शराब दुकाने उठ जाने की प्रबल संभावना दिखाई दे रही है, यदि ऐसा हो गया तो शासन को राजस्व लाभ तो होगा लेकिन जिला आबकारी अधिकारी के माथे पर बल जरुर पड़ जायेगा। विभागीय सूत्र बताते है कि पूर्व वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला आबकारी अधिकारी की नीति है कि शासन द्वारा निर्धारित राशि से कम पर दुकाने उठने पर शासन को जरूर राजस्व हानि होगी परंतु उनकी चढ़ोतरी में आंच नही आयेगी, लेकिन इस बार ऐसा होना संभव नहीं दिख रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बार सबकी नजर शहर की शराब दुकानों में लगी हुई है।
जिसमें मयंक सिंह परिहार, जय महाकाल एसोसिएट के डायरेक्टर सुनील सिंह, चंदेल ट्रेडर्स, जितेंद्र सिंह जित्तू अहिरगांव जैसे बड़े शराब ठेकेदारो के बीच शहर की दुकाने लेने के लिए मंथन चल रहा है। मंथन के इस दौर में राल्ही ट्रेडर्स और राजमणि मांझी की सुगबुगाहट नही चल रही है जो आने वाले समय में शराब ठेकेदारो को घातक साबित हो सकती है। यदि हम नव गठित जिला मऊगंज की बात करें तो मऊगंज जिले की शराब दुकानो में सोम कंपनी का राज हो सकता है। सोम कंपनी से जुड़े पार्टनरो के बीच इस बात को लेकर कवायद शुरू हो गई है।
बांदा, अष्टभुजा और मांझी पर नही है किसी की नजर
बांदा कंपनी, मां अष्टभुजा कंपनी के साथ ही सफेदपोश नेता राजमणि मांझी पर किसी शराब ठेकेदारो की नजर नहीं जा रही है, मजे की बात तो यह है कि ये तीनो शराब कारोबारी साइलेट मूड में पड़े है। लेकिन यह भूलना घातक हो सकता है कि बांदा कंपनी और मां अष्टभुजा कंपनी का नाम किसी समय में रीवा में शराब कारोबारियों के नाम से जाना जाता था। बताया जाता है कि दमोह में जिला स्तरीय ठेका हो जाने की वजह से मां अष्टभुजा कंपनी का काम वहां खत्म हो गया, ऐसे में मां अष्टभुजा कंपनी मऊगंज जिले की ओर रूख कर सकती है। इसी प्रकार यदि राजमणि मांझी पर विचार किया जाये तो वे राजनीति से तालुक रखते है और राजनैति से जुड़े माननीय लोग पर्दे के पीछे से शराब कारोबार को आमदनी का एक अच्छा जरिया मानते है। सूत्र बताते है कि राल्ही ट्रेडर्स मनगवां की ओर रूख करने का विचार बना रहा है। बताते चले कि जिले के शराब दुकानो की नीलामी प्रक्रिया 8 मार्च को होगी जिसमें 8 मार्च को 11:30 बजे तक टेंडर का समय रखा गया है और फिर उसके बाद 02:30 बजे से शराब दुकानो में आन लाइन बोली लगनी शुरू हो जायेगी।जिले की 77 दुकानों के लिए 413 करोड़ का राजस्व निर्धरित किया गया है।

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