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दो मौतों के बाद सक्रिय हुआ प्रशासन, कलेक्टर एसपी पहुंचे जेल

तेज गर्मी के साथ निर्धारित से दो गुना ज्यादा कैदियों की संख्या को लेकर प्रशासन तनाव में

विशेष संवाददाता , रीवा

शुक्रवार और शनिवार के दिन लगातार केंद्रीय जेल रीवा में हुई दो मौतों के बाद अब प्रशासन गंभीर हो गया है। एक मामले में तो प्रशासन की जमकर छीछा लेदर भी हुई।
रविवार की सुबह 11बजे कलेक्टर प्रतिभा पाल , एसपी विवेक सिंह समेत मेडिकल कॉलेज से गए चिकित्सक तथा तहसीलदार आदि अचानक केंद्रीय जेल रीवा का निरीक्षण करने पहुंच गए। उन्होंने पहले जेलर से जानकारी ली तथा अंदर जाकर कैदियों से भी मिलकर समस्याओं को सुना। इस दौरान बताया गया कि केंद्रीय जेल रीवा में निर्धारित संख्या से लगभग 2 गुना संख्या में विचाराधीन और निरुद्ध कैदी मौजूद है जिनकी संख्या 1500 के पार है।
जबकि रीवा जेल की क्षमता 700 के आसपास बताई जा रही है। गर्मी के समय में केवल वहां पर पंखों की उपलब्धता है वह भी तरीके से नहीं चल रहे हैं जिसकी वजह से कई बार कैदी बीमार हो जाते हैं। इस दौरान वहां कैदियों से बातचीत के दौरान किसी ने भी जेल प्रशासन पर कोई आरोप नहीं लगाया है लेकिन अव्यवस्थाओं की बात जरूर सामने आई।
इस बात को लेकर जिला कलेक्टर और एसपी ने जेलर से बात की गई। संख्या बल के मामले पर कलेक्टर ने गंभीरता के साथ बात करते हुए कहा है कि इस मामले में उच्च स्तर पर बात की जाएगी तथा कुछ न कुछ हल निकाला जाएगा।
वही कलेक्टर प्रतिभा पाल एवं पुलिस अधीक्षक ने केंद्रीय जेल के जेलर को संपूर्ण व्यवस्थाएं बनाने की बात कही गई तथा यह भी कहा गया कि किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिलनी चाहिए ।
आखिर घटनाओं के बाद ही क्यों एक्टिव होता है प्रशासन
आज जनता के बीच में बड़ा सवाल यह है कि आखिर जब कोई घटना घटित हो जाती है तभी प्रशासन क्यों जागता है। इसके पहले लगातार निरीक्षण, मौका मुआयना एवं कार्यवाही क्यों नहीं होती है।
-त्योथर में बोरवेल में जब एक बच्चा गिरा तो सभी बोरवेल बंद करने के आदेश जारी हुए।
-जेल में कैदी की मौत हुई तो जेल का निरीक्षण हुआ।

  • खनिज माफिया ने पुलिस अधिकारी को कुचला तो ट्रकों का निरीक्षण होने लगा।
  • मध्यान भोजन में छिपकली गिरी तो खाने का निरीक्षण हुआ।
  • नहर में बच्चे डूबे तो स्टॉपर लगाया गया।
    इस तरह के अन्य कई उदाहरण हैं जो कहीं ना कहीं प्रशासनिक कार्य शैली पर सवालिया निशान उठाते। यदि सभी विभागों के अधिकारी अपने पदीय दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करें तो कहीं ना कहीं आए दिन होने वाली घटनाओं से निजात मिल पाएगी। जिला कलेक्टर प्रतिभा पाल के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में जिले की स्थिति काफी हद तक सुधरी है किंतु निचले स्तर के अधिकारी उसे पर पातीला लगाने में कहीं भी नहीं चूकते हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति शहर के यातायात की है। ऐसी कोई सडक़ नहीं है जहां जाम की स्थिति निर्मित ना हो इसके मात्र दो कारण है। सडक़ किनारे दोनों छोर पर अतिक्रमण एवं ऑटो की अव्यवस्था। बीच सडक़ों पर बस का खड़े होकर सवारी भरना।
    जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक का ध्यानाकर्षण कर आग्रह है कि घटनाओं से पहले ही वह व्यवस्था सुनिश्चित करें ताकि आग लगने पर कुआं खोदने की आवश्यकता ही ना हो। क्योंकि नवीन शिक्षण सत्र भी प्रारंभ हो चुका है। बच्चों के स्कूल खुल चुके हैं । यातायात व्यवस्था पर निश्चित ही दबाव पड़ेगा। शहर की अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था से जहां अधिकारी कर्मचारी अपने कार्य पर समय से नहीं पहुंच पाते हैं वहीं आये दिन दुर्घटनाएं भी हो रही है।

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