डीपीआई को पारित करना होगा 30 दिनों के अंदर उचित आदेश
डीपीआई के सार्थक निर्णय लेने पर हजारों अतिथि शिक्षकों की बन जायेगी जिंदगी
हजारों अतिथि शिक्षक हाईकोर्ट की इस आदेश को अपने आखिरी उम्मीद के तौर पर देख रहे हैं
नगर प्रतिनिधि, रीवा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अतिथि शिक्षकों के नियमितीकरण के मामले में एक अहम फैसला सुनाया है। जस्टिस संजय द्विवेदी की सिंगल बेंच ने आदेश दिया कि लोक शिक्षण संचालनालय 30 दिनों के भीतर कानून के मुताबिक सही फैसला ले। सालों से अपने भविष्य को सुरक्षित करने की लड़ाई लड़ रहे हजारों अतिथि शिक्षकों के लिए यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। हालांकि, इस आदेश के बाद डीपीआई की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि पहले भी कई बार इस मामले में फैसले को टालने के प्रयास किए गए हैं। अब देखना होगा कि विभाग हाईकोर्ट के निर्देश का पालन करता है या फिर कोई नया कानून लाकर प्रक्रिया को और जटिल बनता है।
सालों से नियमितीकरण की राह देख रहे अतिथि शिक्षक
अतिथि शिक्षकों के स्थायीकरण की मांग कोई नई नहीं है। यह मामला सालों से सरकार और प्रशासन के बीच अटका हुआ है। इस संघर्ष के कुछ महत्वपूर्ण पड़ाव हैं 2 सितंबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों के लिए एक नीति बनाएगी। इससे शिक्षकों की उम्मीद जागी, लेकिन यह घोषणा सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई। ना तो कोई नीति बनी ना ही इस पर कोई काम हुआ
11 सितंबर 2019 को तात्कालिक आयुक्त जयश्री कियावत ने स्पष्ट किया था कि नियमित नियुक्ति केवल उन्हीं शिक्षकों की होगी, जिनके पास डी एड बी एड डिग्री होगी और जिन्होंने पात्रता परीक्षा पास की होगी। यह शर्त लगने के बाद हजारों अतिथि शिक्षकों को अपने करियर को लेकर चिंता सताने लगी।
4 सितंबर 2024 को वर्तमान आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने 1 दिसंबर 2022 के संशोधित भर्ती नियमों का हवाला देते हुए एक नया नियम लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ डी एड बी एड/ और टे ट पास करने से काम नहीं चलेगा, बल्कि एक चयन परीक्षा भी देनी होगी। इससे उन हजारों शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गईं, जो पहले ही पात्रता परीक्षा पास कर चुके थे। इसके बाद 10 अक्टूबर 2024 तक जब डी पी आई ने इन मांगों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो योग्य अतिथि शिक्षकों ने लोक शिक्षण संचालनालय को एक औपचारिक अभ्यावेदन सौंपा।
इसके बाद भी प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की, जिससे मजबूर होकर अतिथि शिक्षकों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
डी पी आई को 30 दिनों में फैसला लेने का आदेश
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि डी पी आई को 30 दिनों के भीतर उचित आदेश पारित करना होगा। कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं की मांगों के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की, बल्कि प्रशासन को कानून के मुताबिक सही फैसला लेने की जिम्मेदारी सौंपी। इसका मतलब यह है कि अब डी पी आई को जल्द से जल्द कोई फैसला लेना ही होगा, वरना अतिथि शिक्षक को फिर से कोर्ट का सहारा लेना पड़ सकता है। यह आदेश डी पी आई के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
यदि विभाग टालमटोल की नीति अपनाता है या फिर नए नियमों का हवाला देकर इस प्रक्रिया को लटकाने की कोशिश करता है, तो यह मामला एक बड़े विवाद का रूप ले सकता है। वहीं, यदि विभाग समय पर कोई ठोस निर्णय लेता है, तो हजारों शिक्षकों को राहत मिल सकती है और सरकार पर से भी दबाव कम होगा।
डी पी आईके एक्शन पर हैं सबकी नजरें
पिछले कुछ वर्षों में डी पी आई की ओर से भर्ती प्रक्रिया को लेकर कई तरह की शर्तें जोड़ी गई हैं। पहले डी एड बी एडऔर पात्रता परीक्षा को अनिवार्य बताया गया, जिसे हजारों अतिथि शिक्षक ने पूरा किया। जब उन्होंने इन शर्तों को पूरा कर लिया, तो विभाग ने चयन परीक्षा की नई शर्त जोड़ दी। अब यह देखना होगा कि क्या विभाग इस बार भी कोई नया नियम लाकर नियमितीकरण की प्रक्रिया को और जटिल बनाएगा या फिर हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक कार्रवाई करेगा।
अगर डी पी आई फिर से किसी नए नियम की आड़ में इस मामले को टालने की कोशिश करता है, तो यह सरकार के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण स्थिति बन सकती है। हजारों अतिथि शिक्षक इस आदेश को अपनी आखिरी उम्मीद के रूप में देख रहे हैं और यदि विभाग ने कोई बहाना बनाया, तो यह मामला राजनीतिक रूप से भी तूल पकड़ सकता है।
इस मामले को लेकर शिक्षकों में है भारी आक्रोश
इस आदेश का राजनीतिक असर भी नजर आ सकता है। अतिथि शिक्षकों का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है और हर सरकार इस पर वादे तो करती रही है, लेकिन समाधान निकालने में नाकाम रही है। अगर डीपीआई हाईकोर्ट के आदेश का पालन करता है और नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरु करता है, तो सरकार की छवि मजबूत होगी और शिक्षकों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ेगा। लेकिन अगर विभाग टालमटोल करता है, तो शिक्षकों का गुस्सा आंदोलन का रूप ले सकता है, जिससे सरकार को भारी विरोध का सामना करना पैडसकता है।