नगर प्रतिनिधि, रीवा
बसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा माना जाता है, बसंत ऋतु के आगमन को खुशहाली का प्रतीक भी माना जाता है, इस ऋतु के आगमन से खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं,व पेड़ पौधों में फूल भी खिलने शुरू हो जाते हैं,और चारों तरफ हरियाली व खुशियों का वातावरण निर्मित हो जाता है।
ऐसी मान्यता है कि ज्ञान विद्या व कला की देवी मा सरस्वती का अवतरण भी इसी दिन हुआ था, शायद यही वजह है कि सनातन धर्म के अनुयायी इस दिन को एक पर्व की तरह मनाते हैं व इस मौके पर पीले वस्त्र धारण कर अपनी आराध्य देवी मा सरस्वती की पूजा -अर्चना बड़ी श्रद्धा व भक्ति भाव से करते हैं, ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन मा सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि व विवेक का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में बड़ी संख्या में भक्तजन मंदिर पहुंचते हैं व पूजा अर्चना के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मौके पर मंदिर के आस -पास तरह – तरह की दुकाने भी सजायी जाती हैं, मंदिर में अपने आराध्य देवता की पूजा अर्चना करने के पश्चात् बहुत से श्रद्धालु व भक्तजन इन दुकानों से अपने लिये उपयोगी सामानों की खरीददारी कर अपनी जरूरतों को पूरी करते हैं।
बसंत पंचमी के अवसर पर गुढ़ के कष्टहरनाथ मंदिर में भी प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पुरुष व महिला श्रद्धालु जन पहुंचते हैं, व भगवान की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस मौके पर मंदिर प्रांगण में तरह -तरह की दुकाने भी सजायी जाती हैं जिसे आप मेला भी कह सकते हैं इस मेले में जहां एक ओर काफी दूर – दराज से व्यापारी अपना सामान बेचने पहुंचते हैं तो दूसरी ओर प्राचीन काल से लगाये जा रहे कष्टहरनाथ मंदिर प्रांगण के मेले की ख्याति भी अत्यंत दूर दराज तक होने से यहां बड़ी संख्या में लोग मेला करने पहुंचते हैं व अपनी जरूरतों के हिसाब से खरीद फरोख्त करते हैं। आज बसंत पंचमी के मौके पर हमेशा की तरह इस वर्ष भी मंदिर प्रांगण में मेला आयोजित हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु व भक्तजनों के अलावा मेला प्रेमी शामिल हुए7मेला में उमड़ी भक्तों की भारी भीड़ व मेला प्रेमियों को नियंत्रित करने व शांति व्यवस्था बनाये रखने गुढ़ पुलिस द्वारा मेला परिसर में पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया गया,जिसके चलते जहां एक ओर भक्तों को आसानी से भगवान के दर्शन प्राप्त हो सके तो दूसरी ओर मेला करने पहुंचे मेला प्रेमी भी बेखौफ़ होकर मेला का लुत्फ़ उठाने में कामयाब रहे। हलांकि मेला परिसर में महिला पुलिस की उपलब्धता जरुरत के हिसाब से दिखाई नहीं पड़ी इसके बावजूद भी थाना प्रभारी गुढ़ द्वारा की गयी चाक चौबंद व्यवस्था ने इसकी कमी का अहसास नहीं होने दिया गया 7यहां यह बतलाना अनिवार्य है मेला को शांति पूर्वक सम्पन्न कराने में जहां एक ओर गुढ़ पुलिस को कड़ी मसक्कत करनी पड़ी तो दूसरी ओर नगर परिषद गुढ़ रीवा जिले के सबसे लोकप्रिय इस मेले के प्रति काफी लापरवाह व संवेदनहीन देखी गयी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेला तक पहुंचने वाले प्रमुख रास्तों पर कीचड़ व मिट्टी से सने रास्तों पर भगवान के भक्तों व मेला प्रेमियों को चलकर मंदिर तक या फिर मेला तक जाना पड़ा। विकास की झूंठी वाहवाही लूट रही संवेदनहीन नगर परिषद गुढ़ द्वारा मेला तक पहुंचने वाले रास्तों पर न तो साफ -सफाई करायी गयी और न ही कीचड़ युक्त सडक़ों की मरम्मत की गयी।
गुढ़ की तरह ही रीवा के किला परिसर में भी बसंत पंचमी के दिन भक्तों व मेला शौक़ीनों की भीड़ देखी गयी लेकिन किला परिसर में लगने वाले इस मेले में इस वर्ष उतनी भीड़ नहीं देखी गयी जितनी की उम्मीद की जा रही थी, हलांकि प्रशासन ने यहां भी भक्तों व मेला प्रेमियों को असुविधा से बचाने पुख्ता इंतजाम किये थे जिसके चलते ही मेला प्रेमी बेखौफ़ तरीके से मेला का आनंद उठाने में कामयाब रहे ही साथ ही भगवान के दर्शन करने पहुंचे भक्तों को भी महामृत्युंजय भगवान के आसानी से दर्शन प्राप्त हो सके।