सुबह 4 बजे से लगते हैं लाइन में फिर भी नहीं उपलब्ध हो पाती यूरिया
प्रशासन करता है दावा , हमारे पास पर्याप्त खाद की जगह-जगह है उपलब्धता
अनिल त्रिपाठी, रीवा
जिला प्रशासन का रहा है कि हमारे पास किसानों के लिए पर्याप्त खाद उपलब्ध है, इसके विपरीत किसान कह रहे हैं कि हम खाद के लिए तरस रहे हैं । अब सवाल यह उठता है कि इस मामले में झूठ कौन बोल रहा है। किसानों का दावा है कि स्टॉक में खाद है लेकिन जब हम लोगों को मिलेगी नहीं तो मतलब क्या ? आरोप है कि खाद की कालाबाजारी हो रही है।
इस मामले में विंध्य भारत की टीम ने जब तहकीकात की तो पता लगा कि किसान 80त्न सही है। क्योंकि उन्हें उनके समय पर खाद की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। वर्तमान में खेतों में गेहूं की फसल की सिंचाई हो चुकी है ऐसे में अब सिंचाई के बाद यूरिया खाद की अत्यंत आवश्यकता है। अब किसान यूरिया खाद के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं। प्रशासन के अधीन विभिन्न समितियां बनी हुई है जहां पर खाद का स्टॉक किया जाता है। समिति के प्रबंधक कहते हैं कि हमारे पास खाद आई ही नहीं तो वह कहां से उपलब्ध करा दे। जबकि प्रशासन दावा करता है कि हमने हर जगह खाद भिजवा दी है। बीच में फंस गया है किसान। अब वह खाद के लिए इधर-उधर मारा मारा फिर रहा है। कई जगह तो किसान निजी दुकानदारों से खाद ले रहे हैं। आज मटीमा गांव के बाबूलाल कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने बरो गांव की एक निजी दुकान से 400 रुपए प्रति बोरी के हिसाब से चार बोरी खाद खरीदी है। इन्होंने कहा कि तीन दिन से समिति के चक्कर लगा रहे थे वहां पर खाद आई ही नहीं। हटहा गांव के बृजेंद्र अग्निहोत्री बताते हैं कि इस बार के सीजन में उन्हें एक बोरी खाद भी समिति से नहीं मिल पाई है, पूरी खाद निजी दुकानदारों के यहां से उठाई है। सभी बोरियां सरकारी थी फिर भी 30त्न से ज्यादा राशि अदा कर उन्होंने खाद खरीदी। यहां पर उन्होंने 10 बोरी यूरिया 390 की रेट पर खरीदी। यह स्थिति किसी एक जगह की नहीं है।
जनपद क्षेत्र जवा ने आज किसानों ने जमकर हंगामा मचाया। यहां की समिति में खाद उतरने वाली थी। वह खाद आई नहीं। जो खाद बची थी वह बंट गई थी। किसानों का आरोप है कि समिति प्रबंधक की मनमानी के चलते ऐसी स्थिति निर्मित हो रही है क्योंकि यहां की खाद बाजार की दुकानों से कैसे उपलब्ध होती है यह समझ से परे है, इस दौरान यह भी का बताया गया कि यहां पर मनमानी का दौर चल रहा है। सुबह 4 बजे जो किसान लाइन में लग जाते हैं, उन्हें खाद नहीं मिल पाती और जो उनके चहेते लोग होते हैं, उनको खाद मिल जाती है। किसान पूछते हैं कि जब प्रशासन बहुत कडक़ है तो फिर खाद निजी दुकानों में कैसे पहुंच जाती है यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। प्रशासन द्वारा अक्टूबर के महीने से लगातार यह कहा जाता रहा है कि उसके पास निरंतरता के साथ खाद की उपलब्धता है लेकिन यहां किसानों का रोना समाप्त ही नहीं हो रहा। पूरे जिले के किस प्रशासन को कोसते हैं, क्योंकि इतना हल्ला मचाने के बावजूद किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल पा रही है।
प्रशासन का दावा- भण्डारण केन्द्रों एवं पैक्स में उर्वरक उपलब्ध
रीवा एवं मऊगंज जिले में विपणन संघ के भण्डारण केन्द्रों एवं पैक्स में वर्तमान में उर्वरक की उपलब्धता है। जिला विपणन अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार रीवा जिले के भण्डारण केन्द्र चोरहटा में 226 मेट्रिक टन यूरिया, 474 मे. टन डीएपी व एनपीके, गुढ़ केन्द्र में 224 मे. टन यूरिया व 513 टन डीएपी व एनपीके, उमरी केन्द्र में 140 मे. टन यूरिया, 418 मे. टन डीएपी व एनपीके, जवा केन्द्र में 190 मे. टन यूरिया, 237 मे. टन डीएपी व एनपीके उपलब्ध है। जबकि मऊगंज भण्डारण केन्द्र में 183 मे. टन यूरिया, 637 मे. टन डीएपी व एनपीके तथा हनुमना केन्द्र में 98 मे. टन यूरिया, 591 मे. टन डीएपी व एनपीके की उपलब्धता है। रीवा में यूरिया की रैक का आना प्रस्तावित है। जिसमें से 1472 मे. टन उर्वरक उपलब्ध होगा।