भाजपा जिला अध्यक्ष रीवा का नाम फिलहाल चला गया होल्ड पर
दो कद्दावर नेता अपने अपने हिसाब से बनाना चाह रहे अध्यक्ष, तीन विधायक एक तरफ
30 दिसंबर तक हो जानी थी नियुक्ति, अब नए सिरे से होगा मंथन
अंत में बचे हैं केवल तीन नाम, जिन पर हो रही है चर्चा
अनिल त्रिपाठी, रीवा
भाजपा जिला अध्यक्ष का नए सिरे से मनो नयन कब होगा इस पर कोई कुछ बोलने से कतरा रहा है। यह नियुक्तियां 30 दिसंबर तक हो जानी थी लेकिन 4 दिसंबर तक अभी कोई सुगबुगाहट समझ में नहीं आ रही है। मामला फिलहाल दिल्ली तक पहुंच गया है, जहां फिलहाल अपने-अपने हिसाब से लोग लाबिंग में जुटे हुए हैं लेकिन ऊपर से अभी तक किसी को हरी झंडी नहीं मिली है। रीवा जोन के रीवा और शहडोल संभाग में मऊगंज और मैहर के बारे में यह जानकारी मिली है कि यहां पर फिर से अध्यक्ष रिपीट होंगे जबकि रीवा और सतना जिले के मामले में पेंच फंस गई है। रीवा और सतना के कद्दावर नेता नए सिरे से अपने लोगों की नियुक्ति चाह रहे हैं जिसमें आर एस एस के लोग राजी नहीं हो रहे हैं जिसके चक्कर में पेंच फंसी हुई है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि 27 दिसंबर को कथित तौर पर राय शुमारी आयोजित की गई थी जिसमें चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने सभी से नाम लेते हुए लिफाफे पैक कर भोपाल मुख्य भाजपा कार्यालय को पहुंचा दिया था। तब यह कहा गया था कि 30 या 31 दिसंबर को रीवा जिला अध्यक्ष की घोषणा हो जाएगी। ऐसा ही दोनों संभागों के बारे में कहा गया था। लेकिन अभी तक मध्य प्रदेश के किसी जिले में कहीं कोई जिला अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हुई है।
सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि रीवा के दो प्रमुख कद्यावर नेता किसी कीमत पर यह नहीं चाह रहे हैं कि वर्तमान जिला अध्यक्ष फिर से रिपीट हो जाए, क्योंकि 3 साल पहले जब नियुक्तियां हुई थी, तब भी इन दोनों नेताओं ने अपनी लाबिंग की थी और उसमें असफल हो गए थे क्योंकि उस समय पांच विधायकों ने इन दोनों नेताओं का विरोध कर दिया था। समय बदल गया परिस्थितियों बदल गई अब केवल रीवा जिले में 6 विधानसभा सीट ही है। सूत्र बता रहे हैं कि रीवा जिले के दो कद्दावर नेता अपने-अपने लोगों को सेट करवाने का जुगाड़ कर रहे हैं जबकि इस मामले में तीन विधायक एक राय होकर चल रहे हैं। यह मामला दिल्ली तक पहुंच चुका है। अभी तक जिन नए नाम को दिल्ली में दिया गया उनमें अधिकांश खारिज हो गए हैं और केवल तीन नाम अंतिम रेस में बताए जा रहे हैं। अगर रिपीट हुए तो अजय सिंह फिर से अध्यक्ष बन सकते हैं अलबत्ता दो नाम और क्रमश: प्रज्ञा त्रिपाठी और वीरेंद्र गुप्ता का चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक इन्हीं तीन नाम पर अंतिम फैसला होना है।
इस बार प्रतिष्ठा मानकर चल रहे नेता
वर्ष 2025 में भारतीय जनता पार्टी की जिला अध्यक्षीं को लेकर कई बड़े नेता खासे सक्रिय हैं। सामान्य तौर पर यह माना जा रहा है कि अधिकांश विधायक सामान्य वर्ग से हैं इसलिए पिछड़े वर्ग को एडजस्ट करने के लिए यहां पर पिछड़े वर्ग का ही जिला अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। इस मामले में आरएसएस का जोर व्यापारी वर्ग की ओर है क्योंकि व्यापारी वर्ग के खाते में रीवा जिले में कुछ भी नहीं है। इससे अलग हटकर एक मुद्दा यह भी है कि अगर दोनों में सहमत नहीं बन पाती है तो महिला कोटे में डाल दिया जाएगा। जिसके लिए नेताओं से सहमति बनाए जाने का प्रयास किया जा रहा है, यही कारण है कि कई नेताओं ने भोपाल में डेरा डाल रखा है। इन सबसे अलग हटकर यह बात भी सामने आ रही है कि इस बार जिला अध्यक्ष पद के मनो नयन के लिए उप मुख्यमंत्री भी मानसिक तौर पर काफी सक्रिय हैं और उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा से इस मामले को जोड़ रखा है।
अगले 24 घंटे में सूची आना संभावित
हमारे सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि प्रदेश के लगभग 90 फ़ीसदी जिलों के मामले में सहमति बन गई है शेष 4- 6 ऐसे जिले हैं जहां पर कुछ हद तक सामंजस्य नहीं बन पा रहा था उन पर भी शनिवार की देर रात अथवा रविवार को दोपहर तक सामंजस्य बन जाएगा और 5 जनवरी की देर रात तक पूरे मध्य प्रदेश की सूची आ जाएगी।
दोनों नए जिले में रिपीट होना था
रीवा संभाग अंतर्गत मऊगंज और मैहर जिले में भाजपा ने जिला बनने के काफी दिनों बाद अध्यक्ष पद पर ताजपोसी की थी और उनका एक साल का कार्यकाल भी पूरा नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि उन्हें एक मौका 3 साल का पूर्णकालिक तौर पर दिया जाएगा ताकि वह अपना बेहतर प्रदर्शन दिखा सके। गौर तलब है कि मऊगंज में राजेंद्र मिश्रा और मैहर में कमलेश सुहाने भाजपा जिला अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं और दोनों जगह में भाजपा के ही प्रतिनिधि पिछले चुनावो में निर्वाचित घोषित हो चुके हैं। ऐसे में इनका रिपीट होना तय माना जा रहा है।