एक ने प्रस्तुत किये थे कूटरचित अभिलेख
दूसरा मैरिट में था पांचवे व छठवें स्थान पर
दूसरी स्कुटनी में दोनो अपात्रों हो गये पात्र
तीसरे आवेदक ने अभ्यावेदन में किया दावा, अब कोर्ट पहुच सकता है यह मामला
सिटीरिपोर्टर, रीवा
श्यामशाह चिकित्सा महाविद्यालय एवं सुपर स्पेशलिटी में मेडिकल रिकार्ड कीपर दो पदों पर हुई नियुक्तियों का विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इस मामले में एक तीसरा दावेदार भी सामने आ गया है जो स्वयं को पात्र बता रहा है जबकि जिन दो अभ्यर्थियों चयन किया गया उन्हें कई प्रमाणों एवं तथ्यों के आधार पर अपात्र बता रहा है एवं उन्हें सेवा से पृथक कर नये सिरे से भर्ती किये जाने की मांग की जा रही है। ज्ञात हो इस पद पर विजय शर्मा एवं निशान्त यादव की नियुक्ति हाल में की गई है। यह अब मामला निकट भविष्य में कोर्ट भी पहुच सकता है।
विजय शर्मा अपात्र क्यों?
इस मामले में शिकायतकर्ता संजय द्विवेदी का आरोप है कि उसके द्वारा आल इण्डिया काउसिंल फार वोकेशनल एण्ड पैरामेडिकल साइंस नामक संस्था से मेडिकल रिकार्ड टेक्नीशियन का कोर्स किया था जो हिसार (हरियाणा) में संचालित है। यह कोर्स नियमित रूप से प्रवेश लेकर किया गया। रिकार्ड के अनुसार उन्होंने इस संस्थान में जून 2019 से जून 2020 तक अध्ययन किया। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने अपना जो अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है वह कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय आगर मालवा बड़ोद रोड माली खेड़ी आगर मालवा का है। यहां वे विडाल हेल्थ कंपनी के माध्यम से आयुष्मान मित्र के पद पर कार्य कर रहे थे। इस तरह की सेवा उन्होंने आगर मालवा में दिनांक 1.8.2019 से 22.12.2021 तक दिया। इस समयावधि पर गौर किया जाय तो पता चलता है कि विजय शर्मा जिस समय हिसार हरियाणा से मेडिकल रिकार्ड टेक्नीशियन का नियमित रूप से डिप्लोमा कर रहे थे उसी समायावधि में वे आगर मालवा में जिला अस्पताल में नियमित सेवायें कैसे दे रहे थे। चूंकि दोनो ंस्थलों की दूरियां हजारों किलोमीटर हैं फिर भौतिक रूप से ऐसा संभव भी नहीं है। यह भी आरोप है कि आल इण्डिया काउसिंल फार वोकेशनल एण्ड पैरामेडिकल साइंस नामक संस्था स्वयं कोई डिक्री या डिप्लोमा नहीं देता बल्कि वह फ्रेंचाईजी देता है।
इसके अलावा सरकारी सेवाओं में उसके फ्रेंचाईजी के प्रमाण पत्र शासकीय सेवाओं के लिये मान्य नहीं हैं। क्योंकि उसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता ही प्राप्त नहीं है। यह भी आरोप है कि मेडिकल रिकार्ड विभाग श्रीमंत राजमाता विजय राजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल शिवपुरी की जानकारी के अनुसार विजय शर्मा दिनांक 1.8.2020 से 30.7.2021 तक वहां भी रिकार्ड आफिसर का कार्य किया। इस तरह से विजय शर्मा के अभिलेख बता रहे हैं वह एक ही समयावधि में तीन-तीन स्थानो में कार्य कर रहा था यह कैसे संभव है। आपत्तिकर्ता एवं आवेदक संजय द्विवेदी ने इस तरह की जानकारी के लिये सूचना के अधिकार का प्रयोग किया जब इस तरह के आरोप लगाये हैं और नियुक्तियोंं को गलत बताते हुये निरस्त करने की मांग किया है। इसी तरह के फर्जी अभिलेखों के आधार पर विजय शर्मा मैरिट में पहुच रहा था। आरटीआई से आयुक्त चिकित्सा शिक्षा से भी यह जानकारी प्राप्त हुई है कि मेडिकल रिकार्ड आफीसर के पद हेतु एक वर्षीय प्रमाण पत्र/डिप्लोमा/ अनलाईन/दूरस्थ शिक्षा पद्धति से मान्य नहीं है, यह एक पूर्णकालिक पाठ्यक्रम है।
पांचवें एवं छठवें नम्बर से मैरिट में कैसे आया निशांत यादव
पहली बार परीक्षा के बाद जब दिनांक 4.1.2024 को मैरिट सूची जारी हुई तो मेडिकल कालेज के लिये 17 जबकि सुपर स्पेशलिटी के लिये 14 अभ्यर्थियों का नाम था और सभी को पत्र के माध्यम से दस्तावेज सत्यापन के लिये दिनांक 20.2.24 को बुलाया गया था। दस्तावेज सत्यापन के बाद जो दिनांक 7.०3.24 को जारी चयन सूची में केवल विजय शर्मा को पात्र बताया गया जबकि अन्य सभी को अपात्र घोषित कर दिया गया। जबकि इन्हीं दोनो सूचियो ंमें निशान्त यादव पांचवें एवं छठवें स्थान पर था। इसके साथ ही निशांत यादव को अपात्र करने का कारण अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता पूर्ण नहीं होता भी बताया गया था। इसके बाद दिनांक 13.3.2024 को दावा आपत्ति भी मांगी गई थी। किन्तु इस सूची के आधार पर विजय शर्मा का नियुक्ति आदेश जारी नहीं हुआ। इस चयन प्रक्रिया के दस महीने बाद एक बार फिर दस्तावेजों की स्कु्रटनी शुरू हुई। ऐसा क्यों किया गया यह भी स्पष्ट नहीं है। इस प्रक्रिया में 20.12.2024 के बाद कोई दावा आपत्तियां भी नहंी मांगी गई। इस तरह से अपात्र निशांत यादव को पात्र घोषित करते हुये जहां नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया वहीं फर्जी एवं संदिग्ध अभिलेखों के आधार पर मैरिट में शामिल विजय शर्मा को पात्र घोषित करते हुये नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। उपरोक्त तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर अपना अभ्यावेदन प्रस्तुत करने वाले संजय द्विवेदी का आरोप है कि विजय शर्मा एवं निशांत यादव दोनो अपात्र थे जिनका चयन गलत तरीके से किया गया और चयन प्रक्रिया को दूषित किया गया है। इसलिये दोनो को सेवा से पृथक करते हुये सम्पूर्ण मामले की जांच की जाय एवं भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर नये सिरे से विज्ञापन जारी कर भर्ती की जाय।