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नए भाजपा जिला अध्यक्ष चयन के लिए ढाई घंटे तक चली औपचारिक रायशुमारी, चहेतों के नाम लिफाफे में कैद, घोषणा भोपाल में होगी कल

अगर बंद लिफाफे से खोले गए नाम तो अजय सिंह फिर हो जाएंगे रिपीट ..!
अधिकांश मंडल अध्यक्षों ने पहला नाम अजय सिंह का ही दिया यही स्थिति जिला प्रतिनिधियों की भी रही
मंत्री जी का सागर दौरा हुआ अचानक निरस्त पहुंचे रीवा, जोड़ा जा रहा जिला अध्यक्ष चुनाव कनेक्शन
इस बार के जिला अध्यक्ष पद के चुनाव को कई नेता जोड़ रहे अपनी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा से भी

अनिल त्रिपाठी, रीवा

भारतीय जनता पार्टी जिला रीवा इकाई के जिला अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से लेकर सायं 5:30 तक रायशुमारी और लिफाफों के लिए जाने का क्रम खत्म हो गया। जिले के चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह थे जबकि सह प्रभारी के रूप में रीवा के पुराने बड़े नेता कमलेश्वर सिंह मौजूद थे।
बताया गया है कि अटल कुंज रीवा में आयोजित रायशुमारी के इस दौर में 22 मंडल अध्यक्ष और 22 प्रतिनिधियों के अलावा सभी विधायकों सांसद सहित कुछ अन्य नेताओं का शामिल थे , जिसमें कुल मिलाकर लगभग 70 नेता अपेक्षित थे। ढाई घंटे के इस दौर में सभी अपेक्षित नेताओं को एक फॉर्मेट दिया गया था जिसमें प्रथम तीन नाम लिखने थे। चौथा नाम अजा, जजा, एवं सामान्य महिला का दर्ज करना था। घोषित तौर पर कोई प्रत्याशी नहीं था सबको अपने मन माफिक और पसंदीदा नाम का इस कागज में उल्लेख करते हुए लिफाफे को बंद करके चुनाव प्रभारी के हवाले किया जाना था। कुछ लोगों से चुनाव प्रभारी पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह ने अकेले-अकेले में बात भी की। कुल मिलाकर यह दौर 5:30 बजे के आसपास समाप्त हो गया और राय शुमारी लिफाफे में कैद हो गई। चुनाव प्रभारी यह सारे लिफाफे लेकर भोपाल जाएंगे और प्रदेश इकाई के हवाले कर देंगे। इसके बाद वहां पर गोपनीय रायशुमारी होगी और फिर जिला अध्यक्ष कीघोषणा कर दी जाएगी।
इस मामले में बताया गया है कि रीवा भाजपा जिले की इकाई के अंतर्गत पांच भाजपा विधायक और एक सांसद के अलावा 22 मंडल अध्यक्ष और 22 जिला प्रतिनिधियों ने अपना मत व्यक्त किया है। विधायकों के बारे में हमारे सूत्रों ने खबर दी है कि तीन विधायक क्रमश: नागेंद्र सिंह दिव्यराज सिंह और सिद्धार्थ तिवारी एक ही नाम पर सहमत थे और यह भी चाह रहे थे कि रीवा में जिला अध्यक्ष फिर से रिपीट हो। कद्दावर नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री बड़े ही शालीन भाव में रहे और संभवत: उन्होंने अपने को वहां पर मौजूद रहने के बावजूद किनारे पर ही रखा। जबकि मनगवा विधायक के बारे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि वह इस मामले में क्या चाह रहे थे। सूत्रों का दावा था कि 22 मंडल अध्यक्षों में से 14 से 16 अध्यक्ष रिपीट चाह रहे थे और यही स्थिति जिला प्रतिनिधियों की भी रही है। अब अगर इस हिसाब से भाजपा प्रदेश इकाई निर्णय लेता है तो नया नाम आने की गुंजाइश नहीं है। वही दो दिन पहले जिस प्रकार की गाइड लाइन तय किए जाने की बात सामने आई थी उस हिसाब से फिर तो पैराशूट से ही अध्यक्ष उतरेगा । सूत्र यह भी कह रहे हैं कि जिले के दो प्रमुख कद्दावर नेताओं ने अपने एक दो समर्थकों से यह कह दिया है कि अब रिपीट नहीं होना चाहिए यह जानकारी दूसरे ग्रुप को होते ही वह पहले से ही सक्रिय हो गया था। अब यदि गाइडलाइन की बात करें तो फिर जब भाजपा को नया जिला अध्यक्ष देना ही है तो तीन नाम पहले से घोषित कर दिए जाते ताकि लोग उस पर राय व्यक्त कर सकते थे। अब किसी का कोई नाम तो था नहीं इसलिए ऐसी स्थिति में मंडल अध्यक्षों ने भी दूसरे और तीसरे नाम लिख दिए हैं। ऐसे में अगर भाजपा प्रदेश इकाई ने सभी के लिफाफे खोले तो वह खुद नहीं तय कर पाएंगे कि किसे जिला अध्यक्ष बनाना है। कुल मिलाकर अगर लिफाफे खोलकर अध्यक्ष चुना जाएगा तो उसमें हमारे सूत्रों का दावा है कि पुराने अध्यक्ष का रिपीट होना तय माना जा रहा है। वैसे कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं का यह कहना था कि इस तरह की रायशुमारी का कोई मतलब नहीं निकलता है, ऐसी ही रायशुमारी विधानसभा चुनावों के टाइम पर भी होती है, लेकिन उसका क्या मतलब निकलता है सभी जानते हैं।
जब उपमुख्यमंत्री अचानक पहुंच गए रीवा
प्रदेश की उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल का 27 दिसंबर को सागर जिले के बंडा में कार्यक्रम निर्धारित था उसके बाद उन्हें देर शाम तक रीवा आने का कार्यक्रम जारी किया गया था। लेकिन उनका वह कार्यक्रम निरस्त हो गया और नया कार्यक्रम जारी होने के पहले ही दोपहर नियमित विमान सेवा से उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला रीवा पहुंच गए। अचानक उनका कार्यक्रम बदलकर रीवा आने को भी इस चुनाव से जोड़ा जा रहा है। जबकि नया कार्यक्रम जो जारी किया गया है उसके अनुसार 28 दिसंबर को उपमुख्यमंत्री पुन: भोपाल जाने का बताया गया है। कयास यह लगाए जा रहे हैं कि चुनावी प्रक्रिया मैं अपनी उपस्थिति दर्ज कराने उपमुख्यमंत्री रीवा पहुंच गए।
वर्ष 1997 में हुआ था अंतिम बार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव
यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी में पहले पारदर्शिता का दौर था, पहले पार्टी के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाते थे। पार्टी का अंतिम चुनाव वर्ष 1997 में हुआ था और विद्या प्रकाश श्रीवास्तव ने रावेंद्र मिश्र को एक मत से हराया था और भाजपा जिला अध्यक्ष बने थे। उसके बाद से फिर अब रायशुमारी और मनोनयन का दौर जारी है। वर्ष 2024 के अंत में नए जिला अध्यक्ष चयन के लिए रायशुमारी का क्या महत्व रहेगा, यह अगले 48 घंटे के भीतर पता चल जाएगा।
कई लोग घंटो सोचते रहे किसका-किसका नाम डाल दें
इस मामले में खास पहलू यह भी रहा कि लगभग एक दर्जन से ज्यादा अपेक्षित सदस्य यह सोचते रहे कि वह किसका किसका नाम डाल दें। कुछ लोगों ने कल रात से लॉबिंग की थी, लेकिन वह नाम भी उनके समझ में नहीं आ रहे थे। अंत में उन लोगों ने अपने हिसाब से अपने-अपने खास लोगों के नाम डाल दिए हैं। यानी कुछ नाम तो ऐसे भी होंगे जिनका नाम लेने वाले बामुश्किल दो से तीन लोग होंगे।
…. ता हम पंचे दरिन् बिछावत रहि जाब ?
रीवा के एक वरिष्ठ कद्दावर नेता का खास समर्थक बहुत दुखी दिखाई दे रहा था। उनको यह लग रहा था कि इस बार उनके नेता जी उनके नाम का प्रपोजल जरूर रखेंगे और इस बार का मौका उनके लिए ही देंगे। लेकिन कद्दावर नेताजी वहां पर पहुंचे तो गए लेकिन उनके पक्ष में किसी से एक शब्द भी नहीं बोला। बाहर दुखी भाव में आक्रोशित होकर उन्होंने गाली गलौज तक कर डाली। अब कद्दावर नेताजी के समर्थक इस हरकत को देखकर अचंभित थे तथा खासे परेशान नजर आ रहे थे। उधर कद्दावर नेताजी आए और अपने लोगों का कान फूक कर चले गए।
अब इन नाम की आ रही चर्चा
हमारे सूत्रों ने दावे के साथ बताया है कि अगर उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की पसंद से अध्यक्ष चुना गया तो विनोद गुप्ता और विभा पटेल का नाम आ सकता है। अगर प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का हिसाब चल तो अजय सिंह रिपीट हो सकते हैं या फिर प्रज्ञा त्रिपाठी का नाम आ सकता है। इसी प्रकार यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से नाम प्रपोज्ड हुआ तो वीरेंद्र गुप्ता नंबर एक पर रहेंगे। वहीं प्रभारी मंत्री प्रहलाद पटेल भी इस मामले में कुछ गुणा भाग खेलने का प्रयास कर रहे हैं ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है। अलबत्ता लोग यह कह रहे हैं रीवा में कुछ भी हो सकता है ?

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