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विकास पुरुष की सोच पर अफसर पोत रहे कालिख, सरकारी धन का कर रहे खुलकर दुरुपयोग, काम हुआ ही नहीं और भुगतान किया 3 करोड़

लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की कृपा, संजय गांधी अस्पताल रीवा में टीनशेड लगवाने के नाम पर किया घोटाला
ठेकेदार से काम कराया नहीं, कर दिया 3 करोड़ का भुगतान
ई ओ डब्ल्यू में शिकायत के बाद मामला आया संज्ञान में, अब शुरू हुई भोपाल से जांच
ठेकेदार ने दिया पेटी पर कॉन्ट्रैक्ट, पेटी वाले ने भी उठा कर दे दिया दूसरे पेटी वाले को कॉन्ट्रैक्ट, फिर हो गया बड़ा खेल

अनिल त्रिपाठी, रीवा

एक और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला रीवा जिले को सजाने और संवारने में लगे हुए हैं, ऐन केन प्रकारेन बजट लाते हैं , ताकि रीवा के विकास के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने पाए, लेकिन मौका मिलते ही अधिकारी पूरी तरह से ताकत लगाते हैं कि धन का बंदर बांट कैसे कर लिया जाए। ऐसा ही एक मामला लोक निर्माण विभाग का सामने आया है जिसमें संजय गांधी अस्पताल रीवा में टीन शेड लगाने के नाम पर करोड़ों का बारा न्यारा कर दिया है। अब इस मामले की शिकायत आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो मैं होने के बाद जांच भी शुरू हो गई है।
हमारे सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि संजय गांधी अस्पताल की छत में 1 करोड़ 98 लाख की लागत से लगने वाले टीनशेड में बड़ा घोटाला सामने आया है। तत्कालीन कार्यपालन यंत्री एवं एसडीओ ने बगैर टीनशेड लगाए ही 3 करोड़ रुपए का फर्जी भुगतान कर दिया है। अब मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पहुंच गया है, जहां से जांच शुरू की गई है। यहां गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक-1 में बगैर कार्य के भुगतान किए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी कई ऐसे कार्यों की निविदा निकाली गई जिस पर निर्माण ही नहीं किया गया और फर्जी भुगतान कर दिया गया। यहां पर हम बात कर रहे हैं संजय गांधी अस्पताल की छत में टीनशेड लगाए जाने के लिए अनुबंध क्रमांक 50/रीवा, दिनांक 21.7.22 में एनकेपी कांस्ट्रक्शन कंपनी कटनी को 1 करोड़ 98 लाख 50 हजार में टेंडर जारी किया गया था। खास बात यह है कि उक्त कंपनी से पेटी कान्ट्रेक्ट के रूप में विभागीय अधिकारियों के रिश्तेदारों ने काम लिया था। जिस पर बगैर कार्य कराए ही निविदा से ज्यादा का भुगतान कर दिया गया। गौर करने वाली बात यह है कि जब निविदा जारी की गई थी, उस समय कार्यपालन यंत्री केके गर्ग एवं एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा थे। इसमें खास बात यह रही है कि जिस कार्य की जिम्मेदारी एनकेपी कांस्ट्रक्शन कंपनी को दी गई थी, उसकी न तो प्रशासकीय स्वीकृति ही थी और न ही उसका टी एस किया गया था।
संजय गांधी अस्पताल की छत में 1 करोड़ 98 लाख रुपए की लागत से लगने वाले टीनशेड का बगैर कार्य के निविदा से ज्यादा भुगतान किए जाने के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में शिकायत की गई है। दी गई जानकारी के अनुसार प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग मप्र भोपाल से 29 अक्टूबर को मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग रीवा को पत्र भेजा गया है जिसमें अधीक्षण यंत्री विजिलेंस शाखा ने मामले की जांच के संबंध में बिंदुवार प्रतिवेदन स्पष्ट अभिमत के साथ भेजने को कहा है। इस संबंध में हमारे भोपाल सूत्रों ने बताया है कि संजय गांधी अस्पताल के टीनशेड का जांच प्रतिवेदन जो भोपाल भेजा गया है वह पूरी तरह से कूटरचित है। ऐसी स्थिति में अधीक्षण यंत्री विजिलेंस ने इस संबंध में मुख्य अभियंता रीवा से अभिमत मांगा है।
इनका कहना है…..
लोक निर्माण विभाग प्रमुख अभियंता कार्यालय भोपाल से जो पत्र 29 अक्टूबर को आया है, उसमें उनके द्वारा मांगे गए जांच प्रतिवेदन का बिंदुवार परीक्षण किया जा रहा है। परीक्षण उपरांत भोपाल कार्यालय को प्रतिवेदन भेजा जाएगा।
संजय खाण्डे ,
मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग, परिक्षेत्र रीवा

रिश्तेदारों को दिलाया काम
संजय गांधी अस्पताल के छत में लगने वाले टीनशेड निर्माण के कार्य को बतौर पेटी कान्ट्रेक्ट में एनकेपी कांस्ट्रक्शन कंपनी से एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा ने अपने सगे रिश्तेदार अम्बुज द्विवेदी एवं रामानुज द्विवेदी को दिया था। इस मामले में शिकायतकर्ता का सीधा दावा है कि ठेका कंपनी ने मौके पर कोई कार्य नहीं किया। जिन्हें पेटी पर दिया गया उनके द्वारा कार्य कराए बगैर ही भुगतान लिया गया। ताज्जुब की बात यह है कि बगैर टीएस एवं ड्राप्ट एनआईटी के टेंडर लगाया गया। दिलचस्प बात यह है कि जो टेंडर 198 लाख में लगाया गया था, उसके भुगतान के पहले बगैर किसी सक्षम अधिकारी के सप्लीमेंट्री जोड़ा गया एवं कूटरचित दस्तावेज तैयार कर भुगतान कराया गया।
कूटरचित भेजी कार्यपालन यंत्री की एनओसी
लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक-1 के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री को जो एनओसी भोपाल भेजी गई है, वह पूरी तरह से कूटरचित है। बताया गया है कि अपने पद के प्रभाव से उन्होंने सेवानिवृत्ति के पहले जो एनओसी अपर सचिव लोक निर्माण को भेजी है, उसमें स्पष्ट किया गया है कि शासकीय सेवा में रहते हुए उनके विरुद्ध कोई भी विभागीय जांच, लोकायुक्त प्रकरण, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के प्रकरण लंबित या प्रचलित नहीं हैं। एनओसी कूटरचित होने का प्रमाण लोक निर्माण विभाग बल्लभ भवन भोपाल विजिलेंस से 29 अक्टूबर को भेजे गए पत्र से स्पष्ट हो जाता है।

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