सीआरएम टीम प्रदेश के रीवा और बालाघाट का करेगी निरक्षण
जमीनी कर्मचारियों से लेकर सीएमएचओ तक के माथे में आ रहा पसीना
सीआरएम की टीम की जांच में अगर रहेगी पारदर्शिता तो निपटेगे कई अधिकारी और कर्मचारी
नगर प्रतिनिधि, रीवा
जिले का स्वास्थ्य महकमा इन दिनों काफी दहशत में नजर आ रहा है इसकी वजह जो सामने आई है उसके मुताबिक दिल्ली से रिव्यू मिशन ष्टक्ररू टीम विजिट पर रीवा आ रही है जिसको लेकर सीएमएचओ सहित जिम्मेदार अधिकारी रातों-रात कायापकल्प करने में जुटे हुए हैं, सभी अस्पतालों में अधिकारियों कर्मचारियों की तैनाती की जा रही है जो वर्षों से बंद पड़ी थी उन अस्पतालों में रंग रोगन करके अपग्रेड किया जा रहा है दस्तावेजों का संधारण युद्ध स्तर पर जारी है अब प्रिंटेड रजिस्टर छपवाकर पुराने गोलमाल का संधारण करने कर्मचारियों पर दबाव बनाकर दस्तावेजी खाका को अमली जामा पहनाने की भरपूर कोशिश की जा रही है, खबर यह भी है कि कुछ अधिकारी इससे पहले ही मैदान छोडक़र भाग खड़े हुए हैं अब छोटे कार्यालयीन कर्मचारियों और मैदानी कर्मचारियों पर जिम्मेदारियां थोप कर पूर्व समय में की गई अनियमिताओं पर पर्दा डालने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है,
अब जब दिल्ली की टीम पहली बार रीवा में व्यवस्थाओं की जमीनी हकीकत पड़ताल करने आ रही है तब अधिकारियों के पसीने छूटने लगे और रात दिन एक कर रंग-रोगन में जुट गए यह सब देख ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी देव शिल्पी विश्वकर्मा बनकर रातों-रात चमत्कार कर रहे हैं सभी व्यवस्थाओं को चार-चांद लगाने में जुटी टीम 18 नवम्बर के पहले अपनी नाकामियों को छिपाने में जुटी हुई है।
अनियमितता और भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त
रीवा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में अनियमितता और भ्रष्टाचार की लंबी फेहरिस्त रही है बीते कई वर्षों से भ्रष्टाचार और अनियमित के आरोप लगते रहे हैं व्यवस्था और सामाग्री खरीद फरोख्त के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का खेल हो जाता है दवा घोटाला किसी से छिपा नहीं है शासन द्वारा जनता की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए दी जाने वाली राशि का अंधाधुंध बंदरबांट हुआ है सूत्र बताते हैं कि इस खेल में शामिल सभी असली और नकली अधिकारी कुछ वर्षों में ही करोड़पति बन गए, ऐसा नहीं है कि इस भ्रष्टाचार का विरोध नहीं हुआ है कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग के भ्रष्टाचार की पोल खोली है और शिकायतें की है लेकिन उन शिकायतों पर जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक बैठे भ्रष्ट अधिकारियों ने लीपापोती करते हुए एकछत्र राज किया है बीते वर्षों से सीएमएचओ की कुर्सी के लिए कई बार युद्ध भी हुए हैं और फिर कुर्सी दौड़ में विजेता बने अधिकारी ने अपने चहेतों (नकली अधिकारियों) को प्रभार देकर मदों की राशि का बेजा तरीके से प्रतिवर्ष घोटाला किया।
बेलगाम स्वास्थ्य व्यवस्था और धृतराष्ट्र बने अधिकारी
शहर मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक कुकुरमुत्ते की तरह बिना रजिस्ट्रेशन खुली अवैध क्लिनिक, पैथोलॉजी और मेडिकल स्टोर के खिलाफ जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने से कतराते हैं इसके दो ही कारण हो सकते हैं या तो अधिकारी के नियंत्रण में व्यवस्था नहीं है य फिर अधिकारी निजी लाभ लेने के लिए धृतराष्ट्र बने हुए हैं रीवा शहर के मेडिकल कॉलेज कैंपस डाक्टर कालोनी में मरीजों का मेला और डाक्टरों की मंडी देखकर तो यही लगता है कि शासन से मोटी रकम वेतन लेने वाले डाक्टरों के सामने सिस्टम घुटने टेक चुका है शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर ड्यूटी नहीं करते खुलेआम ड्यूटी के टाइम पर भी अपने निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम में व्यस्त रहते हैं इसी वर्ष जनवरी माह से सभी शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की उपस्थित सार्थक एप्प से लिए जाने का आदेश शासन द्वारा जारी हुआ था लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी 11 महीने में सार्थक एप्प से उपस्थित लेने में नाकाम रहे।
योजनाओं का ले सकते हैं जायजा
दिल्ली से आने वाली सीआरएम की टीम परिवार कल्याण, मातृ स्वास्थ्य शिशु स्वास्थ्य, एनीमिया मुक्त भारत, एनसीबी, मलेरिया, टीबी, तथा कुष्ठ रोग सहित टीकाकरण की जानकारी गावों में जाकर ले सकती है। जिस तरह विभाग द्वारा फर्जी रिकार्ड तैयार किये जाते हैं तो यह माना जा रहा है कि टीम के निरीक्षण दौरान अधिकारी और कर्मचारियों के फर्जीवाड़े का खुलाशा हो सकता है। सीआरएम की टीम द्वारा प्रदेश के रीवा और बालाघाट जिले का निरीक्षण किया जायेगा।