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सडक़ों के ऊपर से गुजरे विद्युत लाइनों से हो सकता है बड़ा हादसा, छतों पर क्षमता से ज्यादा सामान लोड कर रहीं यात्री बसें

नगर प्रतिनिधि, रीवा

जिले में दौडने वाली बसें अघोषित रूप से मालवाहक बनी हुई हैं। बसों की छतों पर नजर दौड़ाई जाए तो लगेज वसूलने के लिए जोखिम भरे सामानों की लोडिंग भी करने में बस कर्मचारी पीछे नहीं हैं। बसों की छतो के ऊपर घरेलू सामानों से लेकर कई तरह की प्रतिबंधित सामग्री भी लोड की जाती हैं। कई बसें तो छतों पर काफी मात्रा में सब्जी एवं फल के साथ ही अन्य सामग्री नियमित रूप से लोड करके चल रही हैं। लोहे के बड़े-बड़े वजनी सामान भी बसों की छत के ऊपर लोड किए जाते हैं। वहीं कुछ यात्री तो भरे हुए गैस सिलेंडर बोरी के अंदर डालकर बस की छत में आसानी से लोड करा देते हैं। बसों के छत के ऊपर कपड़ों के सामान के साथ ही किराना एवं हार्डवेयर के सामान भी लोड हो रहे हैं। कुछ कंडक्टर तो लगेज के लिए बस की छत के ऊपर काफी ऊंचाई पर सामान छल्ली लगाकर रखवाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर मुख्य विद्युत लाईन की तार नीचे भी हैं। ऐसे में बसों की छत के ऊपर काफी ऊंचाई तक सामानों की लोडिंग होने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जिसकी अनदेखी बस कर्मचारी अपने स्वार्थ के लिए कर रहे हैं। यदि कभी ऐसा हादसा हुआ तो उस दौरान यही कहा जाएगा कि विद्युत मंडल की लापरवाही से विद्युत लाईन सडक़ के ऊपर लटक रही थी।
इसी वजह से बस के छत में रखे सामान उनकी चपेट में आ गए और आग लग गई। शायद हादसे के बाद पुलिस की विवेचना में भी यही जानकारी दर्ज हो जाए। जबकि हकीकत बस कर्मचारियों एवं मालिकों का निजी स्वार्थ ही है। बसों पर ओवरलोडिंग गुड्स की तरह सामान लादा जा रहा है। न तो वर्दी में बस चालक है और न ही परिचालक है, लेकिन एक बार भी यातायात पुलिस या आरटीओ विभाग ने यहां पर आकर इन्हें समझाइश देने या कार्रवाई करने जहमत उठाई है। शहर में बस स्टैंड का जायजा लेने पर मालुम पड़ा कि वहां नियम नाम की कोई चीज नहीं दिखी। ट्रांसपोर्ट की तरह बसों पर कुली सामान लाद रहे थे। जिससे बिजली के तार अडने से हादसे की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। वहीं बस चालक और परिचालक दोनों ही वर्दी में नहीं थे जबकि वर्दी कोड लागू है। वहीं बस में स्पीड गर्वनर तक नहीं लगा है। वहीं सवारी भी सीट पूरी भरने के बाद बोनट पर सवारी को बैठाकर उनकी जान जोखिम में डालकर यात्रा कराई जा रही है।

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