कुत्ते नोच रहे हैं शव, आसपास गंदगी का आलम
गौशाला के पास बसी हरिजन बस्ती के लोगों का जीना मुश्किल
नगर प्रतिनिधि, रीवा
रीवा की सरकारी गौशाला में 12 गायों की मौत का मामला सामने आया है। कलेक्टर का कहना है कि गोवंश की मौतों की संख्या इससे भी ज्यादा है। इसकी जांच के लिए टीम गठित की गई है। यह गोशाला रायपुर कर्चुलियान जनपद की बक्क्षेरा ग्राम पंचायत में है। 20 सितंबर 2020 को इसकी शुरुआत हुई। 27.62 लाख रुपए की लागत से इसे बनाया गया था।
बताया गया है कि कचरा प्लांट से सिर्फ 50 मीटर दूर इस गोशाला को बनाया गया है। लोगों के मुताबिक, कचरा प्लांट से आया काला पानी गोशाला परिसर में भरा है। यही पीकर गायें बीमार पड़ रही हैं।
कैसे सामने आया मामला
इसके जवाब में लोगों का कहना है कि उन्हें गोशाला की तरफ से बदबू आ रही थी। शक हुआ तो 18 सितंबर को गांव के लोग जमा होकर गोशाला पहुंच गए। अंदर इधर-उधर 12 गोवंश के शव पड़े मिले। कुछ को कुत्तों ने नोंचा तक था। लोगों ने सबूत के लिए इसके वीडियो रिकॉर्ड किए।
हफ्तों सड़ते रहते हैं गौवंश के शव
अनिल कोल ने बताया, इस गोशाला में 30 गायों की मौत हो चुकी है। कचरा प्लांट से ज्यादा समस्या तो गायों की मौत से हो रही है। मरने के बाद गोवंश के शव यहां पर हफ्तों तक सड़ते रहते हैं। पास ही में हमारे घर हैं। जब सरपंच और सचिव को कहते हैं तो वे बोलते हैं कि हम क्या करें। तुम लोगों को अगर समस्या है तो खुद ही उठाकर फेंक आओ।
सज्जन कोल ने बताया, गोशाला में गोवंश की मौत अब आम बात हो चुकी है। यहां आए दिन गोवंश मृत अवस्था में पड़े रहते हैं। देखने और सुनने वाला कोई नहीं है। काशीनाथ तिवारी ने बताया, गोशाला की चारागाह जमीन पर काला पानी भरा रहता है आसपास 500 से ऊपर हरिजन और आदिवासि की बस्ती है। लोग भी बदबू से परेशान हैं।
सरपंच, सचिव, प्रशासन बराबर के जिम्मेदार
विजय तिवारी ने बताया, हम सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर चुके हैं। हमारे ऊपर लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि हम शिकायत वापस ले लें। सुभाष तिवारी का कहना है, गोशाला में 100 गोवंश रखने की क्षमता है, लेकिन यहां 200 से ज्यादा गोवंश रह रहे हैं। खानी-पीने का ठीक से इंतजाम नहीं है। सरपंच, सचिव, प्रशासन बराबर के जिम्मेदार हैं।
सरपंच बोले- गलत जगह पर बनाई गई गौशाला
ग्राम पंचायत के सरपंच लक्ष्मीकांत तिवारी के मुताबिक, गलत जगह पर गोशाला बनाई गई है। गायों की मौत कचरा प्लांट से निकलने वाले दूषित पानी को पीने की वजह से हो रही है। गोशाला के भीतर ही दूषित काला पानी आता है। हम भला उन्हें कितना पकड़ सकते हैं। जब परिसर के अंदर ही काला पानी भरा हुआ है। गोवंश यही पानी पीकर बीमार पड़ जाते हैं। शासन-प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। अकेले हमारे चाहने से कुछ नहीं होने वाला है।
केयर टेकर बोले- बीमार और कमजोर होने से हुईं मौतें
गोशाला के केयर टेकर राजीव कुमार तिवारी का कहना है, सभी गोवंश की मौत 15 दिन के अंदर ही हुई हैं। कुछ गायों ने कमजोर होकर तो कुछ ने बीमार होकर दम तोड़ दिया है। मेरे अलावा यहां पर दो लोग और भी रहते हैं, जो गोवंश की देखभाल का काम करते हैं। परिसर के अंदर काला पानी भी भरा हुआ है। इसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। काला पानी पीना भी बीमारी की वजह हो सकती है। मैं यहां पर नौकरी करता हूं। बदले में मुझे 4 हजार रुपए मिलते हैं। कुछ दिन पहले एक बछड़ा भी तेज बरसात की वजह से गोशाला के अंदर ही मर गया था। एक गाय गड्ढे के पानी में गिरकर मर गई थी