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कुपोषण दूर करने के नाम पर पोषित हो रहे हैं अधिकारी और सफेदपोश धारी, ्शहर मुख्यालय से चल रहीं 70 फीसदी आंगनवाड़ी

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सफेद पोशियों का मिला है संरक्षण
आंगनवाडिय़ों के न खुलने से जिले में बढ़ रहा कुपोषण

नगर प्रतिनिधि, रीवा

रीवा जिला वर्तमान समय में दो जिलों में विभक्त है रीवा और मऊगंज जिसमें महिला बाल विकास का कार्यालय रीवा में दोनों जिले का लगता है जांच के लिए एक लंबी टीम बनी है जिसमें जनप्रतिनिधि और अधिकारी दोनों शामिल है जिला पंचायत सदस्य जनपद सदस्य ग्राम पंचायत सरपंच पंच आदि होते हैं किंतु स्थानीय राजनीति से प्रेरित होने के कारण इस ओर ध्यान नहीं देते रीवा जिले के 70त्न आंगनबाड़ी केंद्र जिला मुख्यालय से संचालित हो रहे हैं जहां आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता अपने बच्चों को तो रीवा में पढ़ा रही हैं और बच्चों का भरण पोषण हो रहा है किंतु केंद्र में केवल ताले लटके रहते हैं और महीने में एक या दो दिन आकर सुपरवाइजर को अपनी उपस्थिति और अभिलेख प्रस्तुत कर देती जहां मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी और लाडली बहना और भांजे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं।
वही गर्भवती और धात्री महिलाएं और किशोरी बालिकाएं भी केवल रिकॉर्ड पर सामग्रियां प्राप्त कर रही हैं कुपोषण दूर करने के लिए हर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर महीने लाखों लाख के कुपोषण दूर करने के बिल लगते हैं कुपोषित बच्चों को चिन्हित करने का काम आंगनबाड़ी केंद्रों का होता है जहां आंगनबाड़ी केंद्र के सुपरवाइजर ब्लाक कार्यक्रम अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी केवल वाहनों में दौड़ा दर्शाए जाते हैं और कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं होता यदि कोई अधिकारी कार्यवाही करते भी हैं तो महिलाएं गंभीर आरोपों पर फंसा देती है यदि गढ़ क्षेत्र की बात करें तो एक ऐसी आंगनबाड़ी केंद्र है कि जहां अधिकारी यदि कोई कार्यवाही करते हैं तो समाजसेवी नाम के व्यक्तियों द्वारा उस कार्यालय अधिकारी के नाम आरटीआई आवेदन लगा दिए जाते हैं और उसे कार्यकर्ता द्वारा थाने में छेडख़ानी की रिपोर्ट दर्ज कर शिकायतकर्ताओं के मुंह बंद कर देती है।
आंगनबाड़ी केंद्र में जहां पूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा। खिलौने से लेकर अन्य सामग्रियां दी गई थी कुपोषित भारत के कुपोषण दूर करने की यह संयुक्त राष्ट्र संघ की योजना है जो भारत सरकार के अधीनस्थ संचालित होती है और हर राज्य और हर जिले में कुपोषण दूर करने के लिए यह योजनाएं संचालित हो रही हैं जहां तीन वर्ष से 5 वर्ष के बच्चे को आंगनबाड़ी केदो में पौष्टिक आहार और भोजन प्रदान किया जाता है जहां समूह के संचालक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका सुपरवाइजर और स्थानीय जनप्रतिनिधि की मिली भगत से सभी बराबर हिस्से बांट कर खा लेते हैं।
यदि कार्यकर्ताओं के पंजीकृत मोबाइलों का लोकेशन देखा जाए तो 10:30 से और 5:00 बजे तक अधिकांश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मोबाइल लोकेशन जिला मुख्यालय में मिलेगा यदि यही स्थिति रही तो कुपोषण तो दूर नहीं होगा किंतु इससे संबद्ध अधिकारी जनप्रतिनिधि और कर्मचारियों का कुपोषण जरूर दूर होगा आज भी रीवा और मऊगंज में ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र दिख जाएंगे जहां कार्यकर्ता समूह संचालिका भी है और वही कार्यकर्ता पोषण आहार दे रही है लेकिन इन समूहों को भी देखने वाला कोई नहीं है क्योंकि सभी की बराबर हिस्सेदारी होती है और हर दल के सफेद पोसधारी शायद जनता की आवाज उठाना उचित नहीं समझते हैं क्योंकि राजनेता वही उचित समझते हैं जिसमें जनाधार की संख्या की वृद्धि हो कोई कुपोषित रहे या ना रहे इससे क्या लेना देना है क्योंकि आज क्षेत्र में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं का वर्चस्व यथावत कायम है चाहे महिला बाल विकास परियोजना गंगेव सिरमौर मऊगंज त्योथर एवं रीवा मुख्यालय विकासखंड हो ऐसा कोई विकासखंड नहीं है जहा कि ३0 प्रतिशत भी आंगनबाड़ी सुचारु रूप से संचालित हो रही हों।

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