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परिजनों का आरोप – अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही से हुई मौत, अस्पताल उद्घाटन के दूसरे दिन ही लग गया मरीज के मौत का दाग

अस्पताल की खूबियां सुनकर पहुंचे थे मरीज लेकर परिजन, लेकिन निराशा लगी हाथ

नगर प्रतिनिधि, रीवा

जिस अपोलो अस्पताल का दो दिन पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने तारीफे करते हुए उद्घाटन किया था आज उसी अस्पताल में दूसरे दिन पहली मौत दर्ज कर ली गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। जिससे पहले झटके में ही अपोलो अस्पताल प्रबंधन की पोल खुलने लगी है।
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल द्वारा अपोला अस्पताल का उद्घाटन किया गया था। उद्घाटन के दौरान उक्त अस्पताल की कई खूबियां गिनाई गईं थी। स्वास्थ्य व्यवस्था की नई-नई सुविधाओं को लेकर आमजनता में भी खुशी देखने को मिली रही थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि उद्घाटन के ठीक 48 घंटे के भीतर आरोप लगे हैं कि रविवार को अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन के लापरवाही के चलते एक मरीज की जान चली गई।
यह है मामला
मैहर निवासी जगत नारायण यादव को उनके परिजनों द्वारा पीलिया और लीवर इन्फेक्शन की दवा कराने के लिए रविवार को अपोलो अस्पताल रतहरा में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती होते ही मरीज को इन्थीसिया का इंजेक्शन दिया गया जिसके चलते मरीज बेहोश हो गया घंटो तक जब मरीज को होश नहीं आया तो अस्पताल के मौजूद चिकित्सकों को अपने लापरवाही का अहसास हुआ और होश में लाने का प्रयास किया गया। लेकिन चिकित्सकों के लाख कोशिश के बाद भी मरीज को होश नहीं आया और 2 घंटे बाद अस्पताल प्रबंधन ने जगत नारायण को मृत घोषित कर दिया।
मृतक के बेटे ने लगाया आरोप
मृतक जगत नारायण यादव के बेटे ने बताया कि मेरे पिता को सिर्फ पीलिया की शिकायत थी वह पूरी तरह से चलते-फिरते थे। अस्पताल के अंदर चलकर ही गये थे। अस्पताल पहुंचकर चिकित्सकों से मेरे द्वारा पिता के मर्ज के संबंध में बताया गया तो उन्हें चिकित्सकों ने भर्ती कर लिया और वगैर किसी जांच और परीक्षण के उन्हें सीधे एन्थीसिया का इन्जेक्शन लगा दिया गया। इन्जेक्शन के लगते ही मेरे पिता बेहोश हो गये और 2 घंटे बाद चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक जगत नारायण के बेटे ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि चिकित्सकों के लापरवाही के कारण मेरे पिता की मौत हुई है। अपोलो अस्पताल की ढेर सारी खूबियों को सुनकर इलाज कराने के लिए यहां आये थे। हमें क्या मालूम था कि अपोलो अस्पताल में जिंदगी की जगह मौत मिलेगी।
भारतीय रहे 2 घंटे, बिल बन गया 30 हजार
मृतक के पुत्र ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले अस्पताल में लगने वाले खर्च के संबंध में मेरे द्वारा पूछा गया था जिसमें हमें कुल खर्च लगभग 30 हजार बताकर 15 हजार रूपये जमा करा लिये गये थे। बेटे ने बड़े भावुक और दुखी मन से बताया कि पैसों की खर्च की केाई बात नहीं थी हम पूरी जायदाद बेंचकर भी पिता दवा कराते, लेकिन अस्पताल के चिकित्सकों की लापरवाही मेरे उम्मीदों में पानी फेरते हुए हमें अनाथ कर दिया।
अभी क्या कम थे नर्सिंग होम ?
शहर के अंदर संचालित निजी चिकित्सालय आये दिन अपनी लापरवाही को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। कभी नेशनल हॉस्पिटल होम, तो कभी विहान तो कभी विंध्या और मिनर्वा जैसे जाने माने नर्सिंग होमों में हंगामे की स्थित निर्मित होती रहती है। परिजनों द्वारा जान-बूझकर मरीजों की जान लेने के आरोप लगाये जाते हैं। अब इसी कड़ी में एक और नाम अपोलो नर्सिंग होम का भी जुड़ गया है। लोग कह रहे हैं कि अपोलो अस्पताल प्रबंधन को अपनी छवि सुधारने के लिए तरीके से काम करना होगा।

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