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जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल में जाने से अस्पताल में मची तबाही

हाईकोर्ट ने पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए हड़ताल को खत्म करने का दिया निर्देश
ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या के मामले में डॉक्टर हैं हड़ताल में
मरीजों के परिजन परेशान भटकते दिखे अस्पताल परिसर में

नगर प्रतिनिध, रीवा

रीवा में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के जूनियर डॉक्टर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कल से हड़ताल पर चले गए हैं। एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष आशय द्विवेदी ने बताया कि हमने शुक्रवार से ओपीडी में सेवा देनी बंद कर दी है। लेकिन एमरजेंसी सर्विस दे रहे हैं। ताकि गंभीर मरीजो को परेशानी ना हो। जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल की वजह से संभाग के सबसे बड़े हॉस्पिटल संजय गांधी अस्पताल में मरीज परेशान होते हुए देखे गए। किसी मरीज को डॉक्टर नहीं मिला तो किसी को मरीज भर्ती कराने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला। अस्पताल में निशुल्क दवाई केन्द्र बंद रहा। जिस वजह से कई मरीजो को दवाई भी नहीं मिल पाई। इधर हाइकोर्ट ने पूरे मामले में संज्ञान लेते हुए हड़ताल खत्म करने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ऑन ड्यूटी पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और फिर हत्या की गई थी। जिसके विरोध में डॉक्टर्स हड़ताल पर उतर आए। जूनियर डॉक्टरों का कहना था कि वे लंबे समय से डॉक्टर प्रोटेक्शन एक्ट को लेकर मांग कर रहे हैं। डॉक्टरों की सुरक्षा, वेतन-भत्ते, कार्य के घंटे, अस्पतालों में महिला डॉक्टरों के लिए सुरक्षा आदि कई मांगों पर राज्य सरकार कोई विचार नहीं कर रही है। जिस वजह से मजबूर होकर हड़ताल करनी पड़ी। परिजन बोले-2 घंटे तक स्ट्रेचर नहीं दिया मेरा नाम दीपक चतुर्वेदी है। मैं विधुई गांव से महिला पेशेंट को लेकर अस्पताल आया। दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक इंतजार करना रहा। लेकिन काफी निवेदन करने के बाद भी कोई भी मरीज को लेने के लिए स्ट्रेचर लेकर या देखने तक नहीं आया। मैं 2 घंटे के बाद भागकर ऊपर बिल्डिंग में गया। जहां से स्ट्रेचर लेकर नीचे आया। फिर मरीज को वार्ड के भीतर ले गया तो पता चला कि अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं।
लोको पायलट बोला- डॉक्टर के पांव पकड़े
अस्पताल परिसर में घूम रहे एक व्यक्ति से जब पूंछा गया तो उसने बताया कि मेरा नाम सुख संजय राम है। मैं कटनी में लोको पायलट हूं। मैं आज 18247 नंबर की गाड़ी विलासपुर-रीवा एक्सप्रेस गाड़ी लेकर आया था। अचानक हमारे ट्रेन के गार्ड के सीने में तेज दर्द हुआ। मैंने स्टेशन मास्टर को जानकारी दी तो उन्होंने एक आपातकालीन वाहन से अस्पताल भिजवाया। अस्पताल पहुंचकर कर मरीज को अंदर लेकर गए तो कहा गया कि मरीज को नहीं देख पाएंगे। मैंने डॉक्टर साहब से बहुत मिन्नत की.. पैर पकड़ लिए तब जाकर दो इंजेक्शन लगाए। ढंग से इलाज तक नहीं किया। रीवा में रेलवे का कोई हॉस्पिटल नहीं है। अभी भी मरीज की हालत बहुत ठीक नहीं है।
पिता बोला-बच्चा बुखार से तड़पता रहा, दवाई केन्द्र बंद मिला
मेरा नाम दशरथ साकेत है। मैं बनकुइया से आया हूं। मेरे बच्चे को तेज बुखार है। वो दर्द से कराह रहा है। पहले अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिले। बहुत मिन्नत की तब जाकर कुछ दवाई एक पर्ची पर लिखकर दे दी। अब दवाई केन्द्र में दवाई लेने आया हूं तो दवाई केन्द्र बंद है। काफी देर से परेशान हूं। कोई देखने वाला नहीं है। बाकी मरीज भी इसी तरह से परेशान हैं।

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