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भाजपा के कई नेताओं में बनी हुई है आक्रोश की स्थिति पूर्व विधायक की पोस्ट से मची खलबली

त्यौंथर के पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने 7 लाइन की चि_ी डाली सोशल मीडिया में
समस्याओं के निराकरण न होने और सम्मान न मिलने से हो रहे काफी व्यथित


अनिल त्रिपाठी, रीवा

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भले ही बेहतर रूप से संचालित होने का दावा कर रही हो लेकिन रीवा के भाजपा नेताओं के मन में कहीं न कहीं आक्रोश की स्थिति दिख रही है। खुलकर तो कोई नहीं बोल पा रहा लेकिन मन के उद्गार कहीं न कहीं निकल ही जाते हैं। त्यौंथर के पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी द्वारा सोशल मीडिया में आज रविवार को जो एक सात लाइन की चिी पोस्ट की गई है, उससे यह लगता है कि कहीं न कहीं सरकार से या अपने जन प्रतिनिधियों से वह दुखी भी है। रविवार की शाम सोशल मीडिया में एक पत्र देखते ही भारतीय जनता पार्टी संगठन में भूचाल की स्थिति बन गई है। अपनी बातों को हमेशा मुखरता के साथ एवं बिना लाग लपेट के जनता और सरकार के बीच रखने वाले पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी ने इस 7 लाइन के पत्र में लिखा है कि भारत के धर्म ग्रंथ प्रमाण है कि राजा प्रजा के पिता के समान होता है और राजा से बढक़र प्रजा का कोई सेवक नहीं होता है। किंतु जो राजा प्रजा की समस्याओं को सुनने में उपेक्षा करता है तो फिर निरीह प्रजा का श्राप भी लगता है। जिससे उसका विनाश सुनिश्चित है। उसकी रक्षा स्वयं महाकाल भी नहीं करता है”। इस पत्र की भाषा ऐसी है कि केवल समझने वाला ही समझ सकता है, सामान्य तौर पर यह किसके लिए लिखा गया है यह नहीं कहा जा सकता। लेकिन पत्र के वाक्यों को पढऩे के बाद यह प्रतीत होता है कि पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी के मन में कहीं न कहीं दर्द है और उसे व्यथा को वह जब कहीं नहीं कह पा रहे हैं तो उन्होंने इस पोस्ट के माध्यम से अपनी व्यथा बयां कर दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व मंत्री स्व रमाकांत तिवारी के अत्यंत करीबी रहे श्यामलाल द्विवेदी वर्ष 2018 से 2023 तक त्योंथर विधानसभा क्षेत्र के विधायक थे और अंतिम समय में उनकी टिकट काट दी गई। जितना वह गुस्से में थे उस 100 गुना ज्यादा गुस्से में कार्यकर्ता थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के संगठन तथा वर्तमान उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल की समझाइस पर वह चुप बैठे तथा संगठन के फैसले को मानते हुए सिद्धार्थ तिवारी के लिए प्रचार प्रसार किया था। उसे दौरान संगठन ने यह वादा किया था कि आप के सम्मान में कहीं कोई कमी नहीं रहेगी लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि 10 महीने की सरकार के दौरान सम्मान तो दूर की बात, संगठन में भी पूछपरख न के बराबर हो रही है। जन चर्चाएं इस बात की भी है कि चुनाव के दौरान भाजपा का केंद्रीय शीर्ष नेतृत्व भी श्यामलाल द्विवेदी के बगैर नहीं चल रहा था, अब वही स्थानीय जनप्रतिनिधि भी तरीके से तरजीह नहीं दे रहे हैं। पत्र की अंतिम चार लाइन को अगर पढ़ा जाए कि जो राजा प्रजा की समस्याओं को सुनने की अपेक्षा करता है निधि प्रजा का श्राप लगता है और जिससे उसका विनाश सुनिश्चित है उसकी रक्षा स्वयं महाकाल भी नहीं करते। यह सीधे-सीधे महाकाल की नगरी की ओर इंडिकेट कर रहा है। जिससे सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि श्यामलाल द्विवेदी मन ही मन पार्टी की गतिविधियों से कहीं न कहीं आहत हुए हैं, तब जाकर उन्होंने इतनी बड़ी बात कह डाली है। सामान्य तौर पर काफी सौम्य स्वभाव के पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी हमेशा से संघर्ष की ही राजनीति करते रहे हैं, सम्मान के लिए काफी लड़ाइयां लड़ी, वहीं चुनाव के दौरान जिस तरह से टिकट हाईजैक कर ली गई थी, उससे उनका मन आज भी खासा आहत सा दिखाई दे रहा है। इनका कहना है… जब इस पत्र के बारे में पूर्व विधायक श्यामलाल द्विवेदी से उनके मोबाइल चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में चिी जो जारी हुई है, मैंने ही की है। किसी के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखा है। जिसे जो समझना है समझता रहे। मजाकिया लहजे में उन्होंने कहा कि चोर की दाढ़ी में तिनका की कहावत के अनुरूप इसे वही समझ सकता है जो इससे संबंधित है।
आहत तो कई, लेकिन नहीं निकल पा रहे अपने गुबार
विंध्य की भाजपा राजनीति में लगभग दो दर्जन से ज्यादा सीनियर लीडर प्रदेश संगठन और सत्ताधारी नेताओं की एक तरफा कार्य प्रणाली के चलते मन ही मन काफी आहत है। लेकिन भाजपा की शैली के चलते वह बोल नहीं पा रहे हैं। ऐसी स्थिति केवल रीवा जिले में ही नहीं बल्कि सतना और सीधी में भी देखने को मिल रही है। उधर सत्ता और संगठन दोनों ऐसे नेताओं को तरजीह नहीं दे रहा है। दबी जुबान कई नेताओं ने कहा कि स्थितियां उलटती जा रही है। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी पर्याप्त बहुमत के साथ सरकार में है लेकिन अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में परिस्थितिया बदलते देर नहीं लगेगी।

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