शिवेंद्र तिवारी

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के बाद 1950 के दौर में जब नेपाल में उनके मित्र और बनारस में उनके सहपाठी रहे कोइराला बंधुओं ने नेपाल में क्रांति के लिए रेणु से रिक्वेस्ट किया तब अपने मित्र कोइराला बंधुओं के आग्रह पर फणीश्वर नाथ रेनू नेपाल में भी सशस्त्र क्रांति करने चले गए थे और यह दुर्लभ फोटो उसी नेपाल क्रांति की है।
फणीश्वर नाथ रेणु को मैंने बहुत पढ़ा है। उनकी कहानियां हो या उनका उपन्यास, उनकी कहानियां और उपन्यास में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण आंचलिक जीवन का जो चित्रण किया गया है वह बेहद शानदार है।
क्योंकि हमारे उम्र के आस पास वाले लोग गांव के सम्पर्क में लगातार रहे हैं, फणीश्वरनाथ रेणु की कहानियां और उपन्यास पढ़ कर ऐसा लगता है जैसे सब कुछ मेरी आंखों के सामने गुजर रहा हो।
उनकी लिखी एक कहानी पंचलाइट जिसमें गांव में एक पेट्रोमैक्स जलाने की घटना का वर्णन है वह आज भी मेरे जेहन में ताजा है जब मेरे गांव में किसी के यहां कोई मांगलिक प्रसंग होता था तब हमारे गांव में बिजली नहीं थी तब पेट्रोमैक्स किराए पर आता था और उस वक्त ₹2 का फ़ार्गो कंपनी का मेंटल आता था।
और पेट्रोमैक्स जलाने वाला उसे इस तरह से जलाता था जैसे वह आईआईटी खड़कपुर से इंजीनियर हो। मेंटल को केरोसिन के तेल में डूबाना, उसे बांधना, बीच-बीच में पंप भरना फिर फूंक मारना फिर नॉब को इधर-उधर घुमाना फिर पंप मारना और जैसे ही पेट्रोमैक्स की सनसनाती आवाज होती थी हम सब बच्चे खूब ताली बजाते थे ।
फणीश्वर नाथ रेणु के उपन्यास मारे गए गुलफाम पर ही फिल्म तीसरी कसम बनी थी जिसमें राज कपूर और वहीदा रहमान थे। और उसके गाने आज भी बेहद चर्चित न जाने कितनी बार मैंने फिल्म तीसरी कसम देखी है और न जाने कितनी बार मैंने उपन्यास मारे गए गुलफाम पढ़ी है और हर बार यही लगता है जैसे यह सब कुछ मेरी आंखों के सामने गुजर रहा है।
उनकी कालजई रचना मैला आंचल और संवदिया पढ़िए तो ऐसा लगेगा यह मेरे और आपके ही गांव की कहानी है🙏