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विद्युत वितरण कंपनी में मनमानी का खेल, जो था ब्लैक लिस्टेड, वह हो रहा उपकृत सौदा नहीं पटा तो टेंडर कर देते हैं निरस्त

अधीक्षण यंत्री सिविल के गतिविधियों के खुलने लगी है पोल
राजनीतिक संरक्षण के चलते नहीं हो रही कोई कार्यवाही
जिन्हें नहीं कार्य का अनुभव उन संविदा कारों को भी कार्य कर दिए जाते हैं आवंटित

विशेष संवाददाता, रीवा

मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी अंतर्गत अधीक्षण अभियंता सिविल का कार्यालय एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। मनमानी इस कदर यहां पर हावी है कि नियम कायदों का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। काम करने वाले ठेकेदार भी परेशान है कि वह किन स्थितियों में काम करें। जिसकी शिकायत भी उच्च स्तर पर की जा रही है।
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस तरह की मनमानी का खेल अधीक्षण अभियंता सिविल कार्यालय में हो रहा है उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि संबंधित अधिकारी द्वारा केवल अपने लाभ के लिए सरकारी नियमों का दुरुपयोग करते हुए खुलकर मनमानी की जा रही है। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्यालय द्वारा संविदा कर कमला प्रसाद शाह, विश्वनाथ पांडे, ललित मिश्रा, रूद्र कंस्ट्रक्शन, श्री ट्रेडर्स को अनुभव जारी दिनांक के पूर्व किस देयक के अनुसार जारी कर दिया गया। यह विभाग भी बताने में असमर्थ है। लेकिन ऐसे लोगों को भी काम का आवंटन कर दिया गया है। इसी प्रकार शहडोल क्षेत्र अंतर्गत अभिषेक पटेल को ब्लैक लिस्टेड होने के बावजूद अमानत राशि एवं सुरक्षा निधि वापस कर दी गई। यह भी बताया गया है कि टेंडर जारी होने के बाद अपने लोगों को उपकृत करने के उद्देश्य से कई बार नए-नए नियम एवं शर्तें जोड़ देते हैं ताकि स्थानीय ठेकेदार किनारे हो जाएं और उनके लोग इसमें लाभान्वित हो। इसी प्रकार एक अन्य ठेकेदार को पहले चयन लिंक का कार्य आदेश जारी किया गया था बाद में कार्य आदेश ही बदलकर पंप रिपेयरिंग के नाम पर भुगतान करा दिया गया। यानी कि हर जगह केवल मनमानी का खेल है।
आक्रोश काफी बढ़ता जा रहा
यहां यह भी बताया गया है कि अधीक्षक अभियंता सिविल कार्यालय में काम करने वाले ठेकेदारों का आक्रोश अब और बढ़ता जा रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मार्च के महीने में ठेकेदारों ने धरना भी दिया था और जिला प्रशासन के संज्ञान में आने पर अधिकारियों को भेज कर सभी मामलों के जांच कराए जाने का श्वसन दिया गया था लेकिन आज तक उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां पर ठेकेदारों का सीधा आरोप था कि अधीक्षक अभियंता सिविल सुधीर श्रीवास्तव द्वारा खुलकर लेनदेन की बात की जाती है और जहां मामला सेट नहीं होता वहां सारे नियम कायदों को ताक पर रखकर टेंडर ही निरस्त कर दिए जाते हैं।
10 महीने बाद टेंडर कर दिया निरस्त
इस मामले में एक ठेकेदार सुशील कुमार पांडे ने चर्चा के दौरान बताया कि उनके पांच टेंडर एक झटके में कैंसिल कर दिए गए और यह टेंडर क्यों कैंसिल किया गया इसका कारण बताने को कोई तैयार नहीं है। इन्होंने कहा कि टेंडर जारी होने के बाद कार्य आदेश जारी होता है लेकिन न तो कोई कार्य आदेश किया और न ही कोई जानकारी ली । सीधे टेंडर निरस्त कर देने की कार्रवाई कर दी गई। इसी प्रकार अक्टूबर माह में बघवार सीधी अंतर्गत टेंडर कराया गया था जो अभी हाल में 24 जून को निरस्त कर दिया गया। इनका सीधा आरोप था कि हर जगह संबंधित अधिकारी द्वारा मनमानी की जा रही है और अपने स्व लाभ के लिए सारे नियमों को दरकिनार कर दिया जाता है।

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