भीड़ तो जुटा ली लेकिन सामंजस्य का दिखा अभाव
युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों की रही मौजूदगी लेकिन उन्हें नहीं मिला ज्यादा भाव
विशेष संवाददाता, रीवा
गत दिवस युवा कांग्रेस का आंदोलन बेहतर तो रहा लेकिन आमजनों के बीच कई चर्चाओं को जन्म दे गया। इस कार्यक्रम में कई बड़े नेता शरीक हुए लेकिन स्थानीय उन नेताओं को भी तरजीह नहीं दी गई जो चुनकर जनप्रतिनिधि बने हैं। और तो और कई विधानसभा क्षेत्र के हारे हुये प्रत्याशियों ने भी अपनी दूरी बना कर रखी। कार्यक्रम सम्पन्न होने के बाद समीक्षक जब चर्चा करना शुरू किये तो कई मुद्दे सामने आये जिसमें यह बात स्पष्ट रूप से नजर आई कि कांग्रेस फिर से फुट्टफैल हो चुकी है। लिहाजा यहां की राजनीति में भाजपा का बर्चस्व बना रहना तय है।
उक्त कार्यक्रम में चुरहट विधायक अजय सिंह राहुल जहां प्रमुख रूप से मौजूद थे वहीं महापौर अजय मिश्रा बाबा के अलावा पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना और जिला अध्यक्ष ग्रामीण इंजी. राजेन्द्र शर्मा की उपस्थिति रही। इसके विपरीत सेमरिया विधायक अभय मिश्रा, वर्तमान शहर अध्यक्ष लखनलाल खण्डेलवाल, पूर्व शहर अध्यक्ष गुरमीत सिंह मंगू, पूर्व प्रत्याशी रमाशंकर सिंह पटेल एवं कई अन्य प्रत्याशियों ने उक्त कार्यक्रम से अपना किनारा रखा। पूरे मामले की तहकीकात करने पर यह बात संज्ञान में आई है कि कार्यक्रम की तैयारियों के पहले ही यह खाका तैयार कर लिया गया था कि कार्यक्रम में किसे बुलाने के लिये महत्व देना है और किसे नहीं। यह बात कई कांग्रेसियों को पता लगने पर उन्होंने किनारे रहना ही बेहतर समझा।
हमारे सूत्रों ने जानकारी देते हुये बताया है कि चूंकि युवा कांग्रेस की कथित तौर पर बागडोर कहीं और से संचालित होती है। लिहाजा वहां से सब कुछ डायरेक्शन दिया गया। वैसा ही होता भी चला गया। इंजी. राजेन्द्र शर्मा भी न जान पाये और एक बड़ा खेला हो गया। कांग्रेस के बचे-खुचे धुरंधर भी दुखी मन से किनारे रहे। एक दूसरे से यह बात होती रही कि जब आयोजकों ने तरीके से बुलाया नहीं, तैयारियों के बारे में कोई सलाह नहीं ली, तो इससे अच्छा है कि वहां पर जाने से बचा जाये। लिहाजा कार्यक्रम में शामिल होने की बजाय कोई कहीं चला गया, कोई कहीं चला गया।
इस मामले में हमारे कांग्रेसी सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के अंदर इतनी हार हो जाने के बावजूद एकता नहीं बन पा रही है और यह एकता बन पाने की संभावनाएं भी फिलहाल नहीं के बराबर दिख रही हैं। शायद पूरे स्थितियों के बारे में यदि कद्दावर नेता अजय सिंह राहुल और इंजी. राजेन्द्र शर्मा को भी पता लग गया होता तो शायद वह भी दूरी बना बैठते। बताया गया है कि मऊगंज से एक बार जीत कर विधायक बने सुखेन्द्र सिंह बन्ना इस समय रीवा की राजनीति में ज्यादा सक्रिय दिखाई दे रहे हैं और स्थानीय स्तर पर अपना कद बढ़ाने के लिये पूरी ताकत के साथ जुटे हुये हैं। युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों की टीम के प्रमुख लोग उनके समर्थकों में गिने जाते हैं। लिहाजा संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि उसी हिसाब से कार्यक्रम में लोगो को बुलौवा दिलवाया गया। इसके अलावा कांग्रेस का जो नया गुट पनप रहा है उस टीम से अभय मिश्रा, गुरमीत सिंह मंगू, रमाशंकर सिंह एवं दो-तीन अन्य प्रमुख नेता कटआफ किये जा रहे हैं। ताकि इनका बर्चस्व कहीं दिखाई न दे। यही कुछ कारण ऐसे भी है ं कि शहर अध्यक्ष लखनलाल खण्डेलवाल भी किनारे-किनारे चलते दिखाई दे रहें है। ऐसे में कांग्रेस का हश्र क्या होगा, स्वयं समझा जा सकता है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि भाजपा का यहां पर मुकाबला कांग्रेस के पास कर पाने की कूबत ही नहीं रहेगी।
लडक़े मार गये, नेता बच निकले
कार्यक्रम के दौरान सबसे बड़ी बात यह रही कि जब प्रदर्शन उग्र होने लगा था तो पुलिस ने अपना बल प्रयोग भी दिखाया। इस दौरान युवा कांग्रेस के वे लडक़े पुलिस के चक्कर में फंस गये जो संभवत: पहली बार इस तरह के आंदोलन में शरीक होने आये थे। बड़े नेताओं ने जब मामला बिगड़ता हुआ देखा तो वह बच निकले। एक दर्जन से ज्यादा लडक़े जो घायल हुये हैं वह अति उत्साह में पुलिस से भिडऩे पहुंच गये थे। अलबत्ता आज इस बात की भी चर्चा थी कि नेता हमेशा बच जाता है और समर्थक हमेशा पिट जाता है।