अधिकारी और कर्मचारी कम्पनी के निर्णय का कर रहें विरोध
बीएसएनएल के ग्राहकों को लगेगा झटका
नगर प्रतिनिधि, रीवा
बीएसएनएल कम्पनी विंध्य के रीवा सहित 3 जिलों के सम्पत्ति बेंचने के साथ-साथ प्रदेश के अन्य कुछ जिलों की सम्पत्ति बेंचने का मन ही नहीं मना लिया है बल्कि टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पहले दौर में प्रदेश के ४ शहरों की सम्पत्ति बेंचने के बाद विंध्य क्षेत्र के रीवा, शहडोल तथा सतना जिले की सम्पत्ति बेची जायेेगी। बीएसएनएल कम्पनी ने यह निर्णय ऐसे वक्त में लिया है जब जियो, एयरटेल सहित अन्य कम्पनियों के रिचार्ज के दाम बढऩे के कारण लोगों का झुकाव बीएसएनएल तरफ देखने को मिल रहा है।
रीवा साहित इन शहरों को किया गया चिन्हित
बीएसएनएल ने प्रदेश के शहरों में स्थित भूखंड, एक्सचेंज, कर्मचारी आवास सहित अन्य 52 संपत्तियों को बेचने की तैयारी कर ली है। इसके लिए भोपाल में अयोध्यानगर टेलीकॉम कंपाउंड, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी होशंगाबाद में टेलीकॉम कंपाउंड, होशंगाबाद की सेमरी हरचंद में टेलीकॉम एक्सचेंज कंपाउंड, भोपाल के दामखेड़ा में बीएसएनएल की भूमि, भोपाल में बागमुगालिया एक्सटेंशन में प्लॉट, भोपाल के साकेत नगर में कर्मचारी आवास, ग्वालियर के विनयनगर में प्लॉट, जबलपुर में बारेला वार्ड में भूखंड, देवास में कालानी नगर में प्लॉट के अलावा इंदौर में स्कीम नंबर 78, नेहरू पार्क क्षेत्र, भंवर कुआं, अमितेशनगर और चंदननगर में प्लॉट, मुरैना, जबलपुर, बालाघाट, बड़वानी, खरगोन, धार, रीवा, सतना, नरसिंहपुर, कटनी, शहडोल, उज्जैन शहर में भी संपत्तियों को ब्योरा जुटा लिया गया है।
4 शहरों में संपत्ति बेच रहा
बीएसएनएल फर्स्ट फेज में चार प्रॉपर्टी की बिक्री के लिए ई-टेंडर जारी किए गए हैं। इसमें इटारसी के सनखेड़ा नाका स्थित कर्मचारी आवासों की बिक्री के लिए 8.43 करोड़ आरक्षित मूल्य रखा गया है। वहीं देवास में कालानी बाग कॉलोनी में 50 प्लॉटों के लिए 39.29 करोड़, शहडोल में राजेन्द्र टॉकीज के पास स्थित बीएसएनएल कंपाउंड के लिए 4.72 करोड़, जबलपुर में मढ़ोताल कृषि मंडी के पास जेडीए स्कीम नंबर 5 में 26 प्लाटों के लिए 22.02 करोड़ रिजर्व प्राइज रखा गया है। इसके लिए 1 जुलाई 2024 को टेंडर जारी किया गया है। इन संपत्तियों को खरीदने के लिए सरकारी संस्थाएं, नगरीय निकाय, निजी संस्थाएं या लोग ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं। प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में भी बीएसएनएल की संपत्तियां खरीदने ई-टेंडर प्रक्रिया चल रही है।
पोर्ट कराने वालों की संख्या में वृद्धि
प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों द्वारा रिचार्ज प्लान की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद मध्यप्रदेश के रीवा में बी एस एन एल की ओर ग्राहकों का रुझान बढ़ रहा है। रोजाना 500-600 लोग जियो. एयरटेल और वी आई से अपना नंबर बी एस एन एल में पोर्ट करा रहे हैं। बी एस एन एल के आकर्षक प्लान और बेहतर कवरेज लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। बी एस एन एल 5 जी सेवाएं शुरू करने की भी योजना बना रहा है।
बी एस एन एल की बढ़ती लोकप्रियता
प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अपने रिचार्ज प्लान की कीमतों में 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी के बाद, रीवा में बी एस एन एल की लोकप्रियता बढ़ रही है। रोजाना 500-600 लोग जियो, एयरटेल और वी आई से अपना नंबर बी एस एन एल में पोर्ट करा रहे हैं। बी एस एन एल के अधिकारी अमित पाण्डेय का कहना है कि पिछले दो हफ्तों में, उन्हें प्रतिदिन 600 से अधिक पोर्ट अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
आकर्षक प्लान और बेहतर कवरेज
ग्राहक बी एस एन एल के किफायती और आकर्षक प्लान, बेहतर कवरेज और विश्वसनीय सेवा से आकर्षित हो रहे हैं। 4जी सेवाएं प्रदान करने के साथ, बी एस एन एल अब 5 जी सेवाएं शुरू करने की योजना भी बना रहा है, जो इसे और अधिक प्रतिस्पर्धी बना देगा।
जहां बी एस एन एल ने अपने प्लान की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है, वहीं जियो, एयरटेल और वी आई ने पिछले महीने अपने प्लान 25त्न तक महंगे कर दिए हैं।
ग्राहकों का गुस्सा और बी एस एन एल का फायदा
इस बढ़ोतरी से ग्राहकों में भारी नाराजगी है, जिसका फायदा बी एस एन एल को मिल रहा है। प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी के कारण, बी एस एन एल रीवा में एक आकर्षक विकल्प बनकर उभर रहा है।
घाटे से उबारने के लिए बेंच रहे संपत्ति
बीएसएनएल लंबे समय से घाटे में चल रहा है। इस वजह से सरकार को नुकसान पहुंचाने वाले इस उपक्रम को कई वर्षों से बेचने की चर्चाएं सामने आती रही हैं, लेकिन अब जबकि निगम की संपत्तियों को चिन्हित कर बेचने की प्रक्रिया ही शुरु कर दी गई है तो दो तरह की बातें हो रही हैं। अधिकारी देशभर में लगभग अनुपयोगी हो चुकी संपत्तियों को ही चिन्हित करके उन्हें बेचने और उससे मिलने वाली राशि से निगम को घाटे से उबारने की सफाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ संपत्तियों को बेचने के साथ ही बीएसएनएल के देश भर में फैले नेटवर्क और संसाधनों को समेटने की भी चर्चा चल पड़ी है। निगम के अधिकारी-कर्मचारियों में भी इसको लेकर विरोधाभास की स्थिति है। भारत संचार निगम लिमिटेड के कर्मचारियों के संगठन भी संपत्तियों को बेचने के निर्णय को गलत बता रहे हैं।