Headlines

इंतहाँ हो गई….. इंतजार की प्रभारी मंत्री की बाट जोह रहे हैं जिला

प्रभारी मंत्री के कमी से जिले के कई काम प्रभावित
जिले की निगरानी और स्थानीय मुद्दों को नहीं मिल रही गति
तबादले में भी प्रभारी मंत्री की होती है अनुमति

नगर प्रतिनिधि, रीवा

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों को पिछले सात महीने से प्रभार का जिला मिलने का इंतजार है। इस इंतजार के बीच में एक बार मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो चुका है, लेकिन अब तक मंत्रियों को जिलों का प्रभार नहीं मिला है। पूर्व की सरकारों में आमतौर पर मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने में इतना वक्त नहीं लगा। वहीं राज्यमंत्री भी इस इंतजार में हैं कि कैबिनेट मिनिस्टर और उनके बीच में काम-काज का बंटवारा हो जाए तो वे अपना काम सुचारू रूप से कर सकें।
जिलों की निगरानी और स्थानीय मुद्दों को सरकार के ध्यान में लाने के लिए मंत्रियों को जिलों का प्रभार सौंपा जाता है। सरकार की तमाम योजनाओं और विकास कार्यों की निगरानी का जिम्मा वैसे तो संबंधित मंत्री का होता है, लेकिन जिलों में इनका क्रियान्वन ठीक ढंग से हो, इसके लिए मंत्रियों को जिले आवंटित किए जाते हैं। प्रभारी मंत्री संबंधित जिलों का समय-समय पर दौरा करते हैं और इस दौरान जिलों से जुड़े तमाम महत्वपूर्ण मुद्दे, क्षेत्र की समस्याओं को प्रभारी मंत्री के जरिए सरकार तक संज्ञान में लाना आसान हो जाता है।
प्रभारी मंत्री जिले में होने वाले तमाम विकास कार्यों और सरकार की योजनाओं को लेकर हर माह समीक्षा बैठके करते हैं। प्रभारी मंत्री एक तरह से जिले का प्रमुख होता है। जिले में हर माह होने वाली जिला योजना समिति की बैठक का प्रभारी भी प्रभारी मंत्री ही होते हैं। इसलिए जिलों में प्रभारी मंत्री की अहम भूमिका रहती है।
55 जिले मंत्री 31
मध्य प्रदेश में 55 जिले हैं, जिनका प्रभार 31 मंत्रियों के बीच में बांटा जाना है। दरअसल कई बार इस पर मंथन हुआ, लेकिन यह तय नहीं हो पा रहा कि किस मंत्री को कौन का जिला दिया जाए। वहीं लोकसभा चुनाव की तैयारियों के दौरान भी सभी का ध्यान चुनाव पर ही ज्यादा रहा। इसके चलते भी मंत्रियों को जिलों का प्रभार दिए जाने से बचा जाता रहा।
पिछली सरकार में भी होई थी लेट-लतीफी
शिवराज सिंह चौहान ने विंध्य क्षेत्र के रीवा की बागडोर नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह की दी गई थी वहीं वन मंत्री विजय शाह को सतना तो जनजातीय कार्य एवं अनसूचित जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह मांडवे को सीधी का प्रभारी मंत्री बनाया गया था। जबकि खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह को ऊर्जाधानी सिंगरौली का प्रभार दिया गया। बता दें कि 20 मार्च 2020 को कमलनाथ वाली कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसी को भी प्रभारी मंत्री नहीं बनाया था। भाजपा का दावा था कि नई सरकार के गठन के बाद शिवराज सरकार ने कोरोना के चलते प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ती नहीं की थी। हालांकि अप्रैल 2021 की शुरुआत से काफी विरोध के बाद कोविड प्रभारी मंत्री बनाया गया था। फिर भी जिलों में स्थायी प्रभारी मंत्री न बनने के कारण सरकार का काम और काज प्रभावित हो रहा था। दूसरी तरफ कोरोना से मिल रही राहत व तीसरे लहर की कसौटी के लिए सीएम शिवराज ने प्रभारी मंत्री नियुक्त किए।
ये काम हो रहे प्रभावित
प्रभार के जिलों का वितरण न होने से जिला विकास परियोजनाओं की समीक्षा बैठकें नहीं हो पा रहीं। हर महीने प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में जिले की अन्य समस्याओं का निराकरण हो जाता है। ऐसे मामले भी अटकें हैं। जिला स्तर पर होने वाले तबादलों में प्रभारी मंत्री की मंजूरी लगती है। जियोस का पदेन अध्यक्ष प्रभारी मंत्री और सचिव कलेक्टर रहते हैं।
यह है प्रभारी मंत्री का काम
शासन की योजनाओं को जिला स्तर पर गति देना।
योजनाओं की मॉनिटरिंग और नियमित समीक्षा।
जिला प्रशासन के कामों पर नजर रख कसावट बनाए रखना।
जिला स्तर पर तबादलों की मंजूरी।
स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का निराकरण भी प्रभारी मंत्री कर सकते हैं।
इन्हें विंध्य का प्रभारी मंत्री बनाया गया था
रीवा: नागरिक आपूर्ति मंत्री बिसाहूलाल सिंह। सतना: वन मंत्री विजय शाह। सीधी: जनजातीय कार्य अनसूचित जाति मंत्री सुश्री मीना सिंह मांडवे। – सिंगरौली: खनिज साधन एवं श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह पिछली सरकार में प्रभारी मंत्री के रूप में नियुक्त किये गये थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *