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निजी स्कूलों में एडमिशन फीस के लिए सरकारी आदेश हवा हवाई, बड़ी कक्षाओं के लिए सालाना फीस 40 हजार के ऊपर

हर साल एडमिशन फीस के नाम पर होती है अच्छी खासी वसूली
शिक्षा की दुकानदारी अभिभावकों के लिए बनी अभिशाप
सरकार ने कहा था 10 फ़ीसदी से ज्यादा नहीं बढ़ेगी फीस, लेकिन रीवा जिले में मनमानी का दौर

विशेष संवाददाता, रीवा

जिस वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने यह आदेश प्रसारित किए थे कि अब निजी विद्यालयों की मनमानी नहीं चलने पाएगी तथा उनकी हर गतिविधियों पर हमारी नजर रहेगी। जिले में पुस्तक खरीदी और ड्रेस खरीदी पर भी लगाम लगाई जाएगी। लेकिन जो स्थितियां अब देखने को मिल रही है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उन आदेशों का कहीं पर 25 फ़ीसदी भी पालन नहीं हो रहा है। शुरू में रीवा जिले के अधिकारियों ने दबाव बनाया अब वह खेला में तब्दील हो चुका है।
गौर तलब है कि मध्य प्रदेश सरकार ने एक गाइडलाइन जारी की थी जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश में प्राइवेट स्कूल 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकेंगे, यदि इससे ज्यादा फीस बढ़ानी हो तो जायज कारण बताकर सरकार को प्रस्ताव भेजना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की गाइडलाइन में कहा गया है कि नए सेशन से एडमिशन लेने वाले छात्रों से केवल एक ही बार एडमिशन फीस ली जाएगी। अगली कक्षा में प्रवेश लेने पर स्कूल छात्रों से दोबारा एडमिशन फीस नहीं वसूल सकेंगे। अगर संस्था स्कूल डेवलपमेंट के नाम पर राशि लेती है तो वह भी एक माह की फीस की राशि से ज्यादा नहीं होगी। नई गाइडलाइन सत्र 2024-25 से लागू होगी।पिछले एक साल से प्रदेश भर में पालक संघों द्वारा प्राइवेट स्कूलों द्वारा बढ़ाई जाने वाली फीस का विरोध किया जा रहा है। शासन ने फीस रेगुलेटरी कमेटी के गठन के बाद आने वाली दिक्कतों को देखते हुए गाइडलाइन जारी करना बेहतर समझा है। कहा जा रहा है कि कमेटी बनाने के लिए सरकार को एक्ट बनाना पड़ता।
इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एसआर मोहंती का कहना है कि गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी जाएगी। उनकी नजर में स्कूलों पर नियंत्रण के लिए गाइडलाइन पर्याप्त है। एक्सपीरियंस के आधार पर इसमें संशोधन की गुंजाइश है। गौर तलब है कि जिला स्तरीय शुल्क विनियमन समिति के अध्यक्ष कलेक्टर होंगे। छह सदस्य होंगे। एक माह में शिकायत का निराकरण होगा।आपत्ति होने पर पेरेंट्स संभाग स्तरीय समिति में अपील कर सकेंगे। इसके अध्यक्ष संभागायुक्त होंगे। इसे आपत्तियों का निराकरण 45 दिनों में करना होगा।
आदेेश हुआ था यह भी …
केपीटेशन फीस, दान या उपहार के नाम पर कोई भी राशि वसूलना पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। एडमिशन फॉर्म नि:शुल्क मिलेगा। शुल्क लिया भी जाता है तो 10 रुपए से ज्यादा नहीं।
किताबें, यूनिफॉर्म व अन्य सामग्री खुले बाजार से खरीदी जा सकेंगी। यूनिफॉर्म कम से कम पांच साल तक नहीं बदली जाएगी। स्कूल सामग्री तीन दुकानों में उपलब्ध कराना जरूरी। एजुकेशन सेशन के दौरान स्कूल किसी प्रकार की नई फीस लागू नहीं कर सकेंगे। स्कूल लेट फीस पर चार्ज कर सकेंगे। लेकिन एक प्रतिशत प्रति माह की दर से अधिक नहीं।
सब कुछ यथावत चल रहा है साहब…
निजी स्कूलों की मनमानी रुक नहीं पा रही है। ज्यादातर अभिभावक अभी विभिन्न सरकारी आदेशों से अनजान से भी है। वहीं दूसरी और अभिभावक संबंधित स्कूल की शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि अगर उनका नाम सामने आ गया तो बच्चे का भविष्य भी खराब हो सकता है। उधर राज्य सरकार ने हर साल एडमिशन फीस पर प्रतिबंध लगा रखा है लेकिन दूसरी ओर रीवा जिले में रिपीट एडमिशन फीस ली जा रही है। उसके लिए तरीका बदल गया है उसकी कई जगह रसीद नहीं दी जा रही बल्कि केवल रजिस्टर में एंट्री की जा रही है। हालांकि सरकार ने पहला तो शुरू कर दी है इसका परिणाम भी बेहतर देखने को मिल सकता है लेकिन पहले साल होने की वजह से इस साल तो अभिभावक लुट ही रहे हैं।

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