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आत्म मंथन में जुटी कांग्रेस क्या भितर घातियो पर कर पाएगी कार्यवाही?, हार के झटके से उबर नहीं पा रहे नेता…

गुढ़, देव तालाब, मऊगंज के बड़े अंतर से लगा है बड़ा झटका
जिस क्षेत्र के लिए जहां करते थे दमदारी के साथ दावा, वहीं हो गए फिस्स

अनिल त्रिपाठी, रीवा

लोकसभा के चुनाव परिणाम आने के 20 दिन बाद भी कांग्रेसी झटके से उबर नहीं पा रहे हैं । चुनाव की रणनीति बनाने वाले और लगातार मॉनिटरिंग करने वाले यह हतप्रभ है कि आखिर मामला अंत में कहां फंस गया था। क्योंकि समीक्षक पहले से ही यह कह रहे थे कि अगर हार हुई तो आंकड़ा 50000 से ज्यादा का नहीं होगा लेकिन यहां जो स्थिति बनी उन आंकड़ों को लेकर अभी भी कांग्रेस के भीतर आपसी चर्चा का विषय बिंदु बना हुआ है।
चुनाव के हार की समीक्षा प्रदेश स्तर पर भी हो रही है लेकिन स्थानीय स्तर पर जो समीक्षा हो रही है वह अलग ही है। यहां पर एक-एक विधानसभा क्षेत्र के अलावा अलग-अलग सेक्टर में जहां पर वोट अत्यंत कम मिले हैं उनको लेकर बातें हो रही है। आकलन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव को लेकर हो रहा है। जिन इलाकों में विधानसभा चुनाव के दौरान स्थितियां कुछ बेहतर थी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस वहां पर सीधे गड्ढे में चली गई। जिसका अंदाजा कांग्रेस के नेता लगा नहीं पाए। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिला संगठन और पार्टी प्रत्याशी दोनों ने मुख्य रूप से अपने पुराने विधानसभा प्रत्याशियों पर ही पूर्ण रूपेण भरोसा जताया था। सारी जिम्मेदारियां उन्हीं की ऊपर सौंप दी गई थी कि उनके क्षेत्र में प्रचार का तरीका किस किस्म का रहेगा और किस स्तर पर लोगों को उपकृत किया जाना है। समीक्षा के दौरान जो बातें सामने आई है उसमें स्पष्ट रूप से यह बात भी ज्ञात हुई है कि जहां उपकृत किया जाना था वहां तक संबंधित नेता पहुंचे ही नहीं। और जब पहुंचे नहीं तो मामला गड़बड़ हो गया। ऐसे में कांग्रेस और गंभीरता के साथ हार के लिए आत्म मंथन में जुट गई है तथा उन लोगों से भी बातचीत कर पूरी वस्त्र स्थिति स्पष्ट करना चाहती है जिनके ऊपर प्रमुख जिम्मेदारियां सौंपी गई थी। ऐसे में कई नेताओं के कार्य शैली का आकलन किया जा रहा है तथा आने वाले दिनों में ऐसे नेताओं के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा हो रहा है।
सूत्र कहते हैं कि कांग्रेस का एक तबका इस बात को लेकर लगातार चुनाव के दौरान तनाव में रहा कि अगर पार्टी से घोषित उम्मीदवार जीत जाता है तो आने वाले दिनों में पार्टी में उनका वर्चस्व बढ़ जाएगा। उसे वर्चस्व को न बढने देने के लिए पार्टी की ही मटिया पलीद कर दी। जिले के सभी आठ विधानसभा क्षेत्र में ऐसे लोगों का चिन्हांकन भी हो चुका है। लेकिन संगठन की मजबूरी है कि अभी वह कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं है क्योंकि जब तक प्रमाण इक_े नहीं हो जाते तब तक खुले आम आप भी नहीं लगाए जा सकते।
इस बीच हमारे सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल नेताओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। इस मामले को लेकर फिलहाल पार्टी का हाई लेवल में मंथन चल रहा है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ इस विषय में मंथन कर रहे हैं। रीवा में हुई पार्टी विरोधी गतिविधियों से जुडे लोगों के नाम के बारे में प्रदेश संगठन पूरी तरह से अवगत हो चुका है।

गुढ़, देवतालाब और मऊगंज का मामला गरमाया हुआ
जिले की आठ विधानसभा सीटों में से गुढ़, देव तालाब और मऊगंज विधानसभा सीट में हुई करारी हार से पार्टी खासा चिंतित है। यहां पर विधानसभा चुनाव के समय पार्टी ने अपनी बेहतर स्थिति बनाई थी लेकिन 5 महीने के भीतर ही जब लोकसभा चुनाव हुए तो परिणाम में परिदृश्य बिल्कुल अलग ही नजर आया। उदाहरण के लिए सबसे पहला नंबर गुढ़ का लिया जा रहा है, जहां से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को खासी उम्मीदें थी। लेकिन यहां की लीड देखकर प्रत्याशी से लेकर संगठन तक भौचक्का रह गया। मऊगंज के तो दावे ही अलग थे, लेकिन परिणाम में सब फिस्स दिखे। देव तालाब, मन गवा की भी हालत यही रही। वहीं पार्टी त्यौंथर, सिरमौर, सेमरिया के परिणाम को लेकर संतुष्ट सी है। रीवा विधानसभा क्षेत्र में एक ओहदेदार नेता को लेकर गंभीर चर्चाएं हो रही है जिनकी चर्चा चुनाव के पर्चा भरने के दिन से ही लगातार होती रही है और मतगणना के दिन भी होती रही ।

राजेंद्र शर्मा पर भरोसा लेकिन अन्य से खफा
हमारे सूत्र बताते हैं कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी जिला अध्यक्ष इंजीनियर राजेंद्र शर्मा पर पूरा भरोसा जता रही है। लेकिन दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि जिन पर पार्टी को खासा भरोसा था और चुनाव के अंतिम दिनों में उन्होंने अपने रवैया बदल दिए थे शायद ही उन्हें पार्टी माफ कर पाएगी। इसमें रीवा से दो चर्चित नाम है वही अन्य विधानसभा क्षेत्र के उन दमदार नेताओं का नाम शामिल है जो चुनाव के दौरान अंदरूनी तौर पर व्यापक रूप से उपकृत किए गए थे, उसका रिजल्ट उन्होंने उल्टा दिया है। सूत्रों का कहना है कि अगले 15 दिनों के भीतर ही जब पार्टी क्षेत्रीय स्तर पर नए सिरे से संगठन में नए युवाओं को महत्व देगी और ऐसे लोगों से धीरे से किनारा कर लेगी। पार्टी का यह भी मानना है कि जिन्हें जाना था वहीं चले गए क्योंकि वह पहले से भी कई बार आरोपित रह चुके हैं और इस बार उन्हें तवज्जो नहीं दी गई थी। वही निष्ठावान लोगों को भी पार्टी की इसी गतिविधि का इंतजार है।

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