पतञ्जलि (पतंजलि) योग सूत्र क्या है?
पतञ्जलि (पतंजलि) योग सूत्र में महर्षि पतञ्जलि (पतंजलि) ने विभिन्न ध्यानपारायण अभ्यासों को सुव्यवस्थित कर उनकों सूत्रों में संहिताबद्ध किया है। यह सूत्र योग के आठ अंगों को दर्शाते है। इसमें कुल १९५ सूत्र है जिन्हे ४ पदों में विभाजित किया गया है।

समाधि पद – इसमें ५१ सूत्र है। – इसके अनुसार मन की वृत्तियों का निरोध ही योग है।
साधना पद – इसमें ५५ सूत्र है। – “क्रिया योग” क्या है और उसके अंगो का वर्णन इस पद में शामिल है। तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान।
विभूति पद – इसमें भी ५५ सूत्र है। – इस अध्याय में संयम का वर्णन है। जिसमे ध्यान, धारणा और समाधि यह योग के आठ अंगो में से अंतिम तीन अंग शामिल है।
केवल्य पद – इसमें ३४ सूत्र है। – परम मुक्ति पर आधारित यह अध्याय सबसे छोटा है।
योग के आठ अंग इस प्रकार है – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि।
(महर्षि पतञ्जलि (पतंजलि) एक संत हैं जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान कुछ समय रहे थे। इन्हें नागनाथ, गोणिकापुत्र, अहितापति आदि कई नामों से जाना जाता है।
“पतञ्जलि (पतंजलि) योग सूत्र” नामक योग पर अपने ग्रंथ के लिए मशहूर, केवल योग के विज्ञान पर एक प्राधिकारी ही नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक और डॉक्टर भी थे, जिनकी स्पष्टता और ज्ञान उल्लेखनीय है।
इसलिए शास्त्रीय परंपरा महर्षि पतञ्जलि (पतंजलि) की इस प्रकार प्रशंसा करती है- “मैं विशिष्ट पतञ्जलि (पतंजलि) को झुक कर अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए प्रणाम करता हूं, जिन्होंने योग के माध्यम से मन, भाषण के माध्यम से व्याकरण एवं औषधि के माध्यम से शरीर की अशुद्धताओं को हटाया।”
राजा भोज ने भी महर्षि पतञ्जलि (पतंजलि) की कुछ इस प्रकार सराहना की है।
योगेन चित्तस्य पदेन वाचां । मलं शरीरस्य च वैद्यकेन ॥
योऽपाकरोत्तमं प्रवरं मुनीनां । पतञ्जलिं प्राञ्जलिरानतोऽस्मि ॥
मन की चित्त वृत्तियों को को योग से, वाणी को व्याकरण से और शरीर की अशुद्धियों को आयुर्वेद द्वारा शुद्ध करने वाले मुनियों में सर्वश्रेष्ठ महर्षि पतञ्जलि (पतंजलि) को में दोनों हाथ जोड़कर नमन करता हूँ। – इस श्लोक को योगाभ्यास के शुरू में गाया जाता है।
- श्रीश्री रविशंकर जी
(आर्ट आफ लिविंग)