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लोक निर्माण मंत्रालय में दबी है उपयंत्री कालरा की तबादला फाइल

तत्कालीन उप सचिव ने दिखाया था सिंगरौली का रास्ता

नगर प्रतिनिधि, रीवा

लोकनिर्माण विभाग रीवा में प्रभारी सहायक यंत्री का एक और कारनामा निकल कर सामने आया है। विभाग के विभीषणों का कहना है कि उपयंत्री से एसडीओ के कुर्सी पर बैठे संजीव कुमार कालरा की तबादला फाईल लोक निर्माण विभाग मंत्रायल में दब गई है! मंत्रालय में फाइल कैसे दबी इस बात की कहानी तो एसडीओ की कुर्सी पर बैठे उपयंत्री ही दे सकते है। लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि तत्कालीन उपसचिव नियाज अहमद खान ने 1 दिसबर 2021 को अपने आदेश में उपयंत्री संजीव कुमार कालरा को सिंगरौली का रास्ता दिखा दिया था। जिसके विरोध में उपयंत्री संजीव कुमार ने उच्च न्यायालय में अपील की थी। उच्च न्यायालय ने 21 दिसंबर 21 के डब्ल्यू पी नंबर 28261 में तीन बिंदुओं पर विचार करते हुए शामन को निर्देशित किया कि अपीलकर्ता को निर्णय होने पीआईयू रीवा में ही पद है पर कार्य करने की अनुमति दी जाये।
मंडल कार्यालय हुए थे अटैच, पीआईयू में जमाए पैर
प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग में अपने नोटशीट पर उल्लेख कर शासन को रिपोट भेजी कि दिनांक 1अप्रैल 21 की स्थिति में जारी उपयंत्री (सिविल) की वरिष्ठता सूची के समूह ब में सक्र 201 पर सजीव कुमार कालरा का नाम गृह जिला रीवा एवं उपयत्री के पद पर नियुक्ति 25 जुलाई 94 अंकित है। उपरोक्त सूची में प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी के रूप में पदस्थ समस्त उपयंत्री श्री कालरा से वारिष्ठ है। साथ ही अपने नीटशीट के माध्यम से प्रमुख अभियंता ने बताया कि पांच कार्यालयों में स्थान रिक्त नहीं है। यहां तक कि पीआईयू दो स्वीकृत पद है और दोनों में पदो में पहले से ही सहायक यंत्री पदस्थ है। ऐसे हालातों में उपयंत्री संजीव कुमार कालरा को कार्यालय अधीक्षण यंत्री लोक निर्माण विभाग रीवा मंडल में पदस्थ किया जा सकता है. जिससे को वह शासकीय कार्य के साथ-साथ परिवारिकों दायित्वों को निर्वहन कर सके। उक्त फाइल मंत्रालय लोक निर्माण विभाग को भेज गई थी। विभागीय सूत्र बताते है आश्चर्य की बात यह है कि उक्त फाइल मंत्रालय में विलोपित हो गई और उपयंत्री संजीव कुमार कालरा पीआईयू में सहायक यंत्री की कुर्सी पर बैठ गये। जबकि प्रमुख अभियंता के रिपोट के अनुसार पीआईयू में दो पद हैं जो पहले ही भरे हुए है। ऐसे में उपपंत्री का घुसपैठ करना कहीं न कहीं सरकारी तंत्र पर सवाल खड़ा करता है।
एसडीओ की कुर्सी पाने के पहले कई हुए सेवा निवृत, कईयों की उम्मीदों पर फिर रहा पानी
विभागीय सूत्र बताते है कि उपयंत्री संजीव कुमार कालरा स्थानीय होने का भरपूर फायदा उठा रहे भाजपा की सरकार हो या फिर कांग्रेस की सरकार रही हो संजीव कुमार कालरा का दोनों ही पार्टियों के माननीयों से तालमेल बनाए है। सूत्रों ने बताया कि 1994 में उपयत्री के पद पर नियुक्त हुए संजीव कुमार कालरा ने चंद सालों में ही कुछ ऐसी विरासत बिछाई की एसडीओ की कुर्सी पर जा बैठे! जबकि उनसे वरिष्ठ एसडीओ की कुर्सी पर बैठने का ख्याल देखते ही रह गये। सूत्र ने चुटकी लेते हुए कहा कि कई उपयत्री एसडीओ बनने का सपना देखते-देखते सेवानिवृत हो गये और जो बेचरे उपयंत्री है अपने जूनियर बैच के उपयंत्री बनाम एसडीओ के अधीन कार्य करने को मजबूर है। और लोनिवि के वरिष्ठ उपयत्रियो को यही मजबूरी विभाग में चिंगारी बनाने का काम कर रही है।

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