स्कूल के शिक्षक गुटबाजी छोडक़र छात्रों और स्कूल पर दें ध्यान
विशेष संवाददाता, रीवा
विभिन्न कार्यक्रमों में अपने भाषणों के दौरान रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा कई बार ऐसी बातें कह देते हैं जो चर्चा का विषय बन जाती है। शनिवार को भी एक बार ऐसा ही हुआ जब मॉडल स्कूल के एक कार्यक्रम में उन्होंने अपने बारे में ऐसी टिप्पणी कर दी जो चर्चा का विषय बनी हुई है। कार्यक्रम के दौरान भारी मंच के बीच उन्होंने कहा कि अगर आज मैं सांसद न होता….तो कहीं चाकू चला रहा होता….।
मॉडल स्कूल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सांसद जनार्दन मिश्रा ने अपने छात्र जीवन का किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि छात्र जीवन में वे थोड़ा बिगड़ गए थे। अन्य छात्रों के साथ मारपीट करते थे और बीड़ी भी पीते थे। जिस वजह से उन्हें स्कूल से सस्पेंड कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि उस दौर में अगर शिक्षकों का साथ न मिला होता तो वे आज सांसद नहीं होते। बल्कि चाकू चलाते घूम रहे होते।
उन्होनें लोगों को संबोधित करते हुए शिक्षक का महत्त्व बताने के लिए अपने छात्र जीवन को याद किया। अपने छात्र जीवन से जुड़े हुए कुछ किस्से भी सुनाएं। उन्होंने कहा कि छात्र जीवन में वो बिगड़ गए थे। बीड़ी पीने की आदत हो गई थी। लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल सिद्दिकी और शिक्षक रामानुज द्विवेदी के कारण वो सुधर गए। एक बार स्कूल बीड़ी पीकर गए तो शिक्षक ने पकड़ लिया। तब 7 दिन के लिए स्कूल से सस्पेंड कर घर में बीड़ी पीने की शिकायत कर दी थी।
मारपीट की शिकायत पर प्रिंसिपल सिद्दिकी ने उन्हें प्रिंसिपल कक्ष में 5 दिनों तक किताब पढऩे की सजा दी थी। उन्होंने कहा कि मैं आज जो भी हूं उन्हीं की बदौलत हूं। अगर कोई छात्र ये कहे की आज जो है वो खुद के दम पर है। तो उसकी ये बात गलत होगी। उसके पीछे शिक्षक का बड़ा योगदान है। उन्होंने इस दौरान कहा की शिक्षकों की गुटबाजी से न तो छात्र का भला होता है और न ही स्कूल का। छात्र और स्कूल का नाम तभी रोशन होगा जब गुटबाजी न हो।