विंध्यभारत, रीवा
जीएमएच की 2 महिला चिकित्सकों ने डिप्टी सीएम के स्वास्थ्य विभाग को ऐसा जख्म दे दिया है जो भर ही नहीं पाएगा। एक महिला चिकित्सक के कारण पूरा विभाग की बिखर गया। दूसरी ने ऐसा कांड कर दिया कि अस्पताल ही बदनाम हो गया। यह दोनों ही महिला चिकित्सक वही है जिन पर गाज गिरनी थी। एक की नौकरी जानी थी तो दूसरे की वेतनवृद्धि रुकनी थी। दोनों को डीन ने बचा लिया, अब उनकी करनी सब भोग रहे।
वर्तमान समय में जिस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल को डिप्टी सीएम बनाने में जुटे हुए हैं। करोड़ों का बजट फूंक दिए। वही अस्पताल अब लोगों के डर का कारण बन गया है। गांधी स्मृति चिकित्सालय के दो डॉक्टरों के कारण प्रदेश भर में गायनी विभाग की किरकिरी हो रही है। एक महिला चिकित्सक के कारण चार डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी। दो अवकाश पर चली गई हैं। वहीं दूसरी महिला चिकित्सक ने लापरवाही पूर्वक आपरेशन कर जच्चा और बच्चे की जान ले ली। यह वही डॉक्टर हैं जिन पर गाज गिरती थी। कार्यकारिणी की समिति में इनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव कई महीनों तक रखा गया। कमिश्नर ने कार्रवाई के निर्देश भी दिए लेकिन बाद में मामला रफा दफा कर दिया गया। डीन ने एजेंडे से मामले को हटा दिया। अब इसी की सजा सब को भुगतनी पड़ रही है। डिप्टी सीएम की भी गृह जिला होने के कारण बदनामी हो रही है। दोनों ही गायनी विभाग की चिकित्सक जीएमएच की बदनामी का कारण बन गई हैं। इन दोनों पर पहले ही कार्रवाई हो जाती तो हालात यहां तक नहीं पहुंचते।
यह था पूरा मामला
आपको संजय गांधी अस्पताल का एक मामला को याद ही होगा। गायनी विभाग में एक महिला को भर्ती किया गया था। इस महिला को बेहतर इलाज मिले इसके लिए इसके लिए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सिफारिश भी लगाई थी। अधीक्षक और डीन को बकायादा फोन कर जानकारी दी थी। इसके बाद भी एक महिला चिकित्सक डॉ सोनल अग्रवाल ने महिला का संजय गांधी में उचित इलाज करने की जगह महिला को निजी चिकित्सालय भेज दिया। वहीं पर उसका इलाज किया गया था। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा था कि विधानसभा तक में मामला उठा था। भोपाल से इस मामले की जांच करने टीम भी पहुंची थी। टीम को जांच में शिकायतें सही मिलीं थी। जांच टीम ने महिला चिकित्सक डॉ सोनल अग्रवाल को बर्खास्त करने और एचओडी रही डॉ बीनू सिंह की 2 इंक्रीमेंट रोकने की सिफारिश की थी। इन पर कार्रवाई का प्रस्ताव ईसी की बैठक में रखा गया। यह एजेंडा हर बैठक में रखा जाने लगा लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। नए डीन डॉ सुनील अग्रवाल ने इस एजेंडे से ही गायब कर दिया। इतने गंभीर मामले को रफादफा करने करने की कोशिश की जा रही है।